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बजट 2025 : रुपया कहां से आता है, कहां खर्च होता है, इसे समझें - BUDGET 2025 REVENUE AND EXPENDITURE

एक रुपये के हिसाब से समझें कहां से आमदनी हो रही है, और कहां खर्च हो रहा है.

Budget 2025 Central Revenue and Expenditure
बजट 2025 (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 1, 2025, 3:43 PM IST

नई दिल्ली: भारत सरकार ने अपने केंद्रीय बजट 2025-26 के विस्तृत प्रकाशन में इकाई अर्थशास्त्र की व्याख्या की है कि उसका राजस्व कैसे प्राप्त होता है और उसे कहां खर्च किया जाता है. यह दस्तावेज इस बात पर प्रकाश डालता है कि रक्षा और विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संसाधनों का आवंटन किस प्रकार किया जाता है, तथा राजस्व का लगभग एक चौथाई हिस्सा उधार के रूप में प्राप्त होता है. भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 84 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के खर्च का लक्ष्य रखा है. बजट में रोजगार, कौशल विकास, एमएसएमई और मध्यम वर्ग पर विशेष जोर दिया गया है.

बजट सरकार के आय-व्यय का लेखा-जोखा होता है. इसमें बताया जाता है कि सरकार को किस क्षेत्र या मद से कितने पैसे आने की उम्मीद है और किस मद पर कितना पैसा खर्च हो सकता है. हम इसे एक रुपया के बजट से समझने की कोशिश करते हैं कि सरकार को एक रुपये कहां से आता है और यह कहां खर्च होता है.

कहां से आता है एक रुपया
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, उधार और अन्य देनदारियों से 24 पैसे आते हैं. निगम टैक्स से 17 पैसे, इनकम टैक्स से 22 पैसे, सीमा शुल्क 4 पैसे, केंद्रीय उत्पाद शुल्क से 5 पैसे, जीएसटी व अन्य टैक्स से 18 पैसे, कर भिन्न प्राप्तियां 9 पैसे, ऋण भिन्न प्राप्तियां 1 सरकार को मिलता है.

कहां खर्च होता है
अब हम जानते हैं कि सरकार यह एक रुपया कहां खर्च करती है. आंकड़ों के मुताबिक, सरकार केंद्र की ओर से प्रायोजित योजनाओं में 8 पैसे खर्च करती है. वहीं, केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं में 16 पैसे, ब्याज भुगतान के रूप में सरकार के 20 पैसे, रक्षा पर 8 पैसे, आर्थिक सहायता पर 6 पैसे, वित्त आयोग और अन्य ट्रांसफर पर 8 पैसे, टैक्स और शुल्क में राज्यों के हिस्से के रूप में 22 पैसे, पेंशन के रूप में 4 पैसे और अन्य व्यय के रूप में 8 पैसे खर्च होते हैं.

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नई दिल्ली: भारत सरकार ने अपने केंद्रीय बजट 2025-26 के विस्तृत प्रकाशन में इकाई अर्थशास्त्र की व्याख्या की है कि उसका राजस्व कैसे प्राप्त होता है और उसे कहां खर्च किया जाता है. यह दस्तावेज इस बात पर प्रकाश डालता है कि रक्षा और विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में संसाधनों का आवंटन किस प्रकार किया जाता है, तथा राजस्व का लगभग एक चौथाई हिस्सा उधार के रूप में प्राप्त होता है. भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 84 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के खर्च का लक्ष्य रखा है. बजट में रोजगार, कौशल विकास, एमएसएमई और मध्यम वर्ग पर विशेष जोर दिया गया है.

बजट सरकार के आय-व्यय का लेखा-जोखा होता है. इसमें बताया जाता है कि सरकार को किस क्षेत्र या मद से कितने पैसे आने की उम्मीद है और किस मद पर कितना पैसा खर्च हो सकता है. हम इसे एक रुपया के बजट से समझने की कोशिश करते हैं कि सरकार को एक रुपये कहां से आता है और यह कहां खर्च होता है.

कहां से आता है एक रुपया
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, उधार और अन्य देनदारियों से 24 पैसे आते हैं. निगम टैक्स से 17 पैसे, इनकम टैक्स से 22 पैसे, सीमा शुल्क 4 पैसे, केंद्रीय उत्पाद शुल्क से 5 पैसे, जीएसटी व अन्य टैक्स से 18 पैसे, कर भिन्न प्राप्तियां 9 पैसे, ऋण भिन्न प्राप्तियां 1 सरकार को मिलता है.

कहां खर्च होता है
अब हम जानते हैं कि सरकार यह एक रुपया कहां खर्च करती है. आंकड़ों के मुताबिक, सरकार केंद्र की ओर से प्रायोजित योजनाओं में 8 पैसे खर्च करती है. वहीं, केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं में 16 पैसे, ब्याज भुगतान के रूप में सरकार के 20 पैसे, रक्षा पर 8 पैसे, आर्थिक सहायता पर 6 पैसे, वित्त आयोग और अन्य ट्रांसफर पर 8 पैसे, टैक्स और शुल्क में राज्यों के हिस्से के रूप में 22 पैसे, पेंशन के रूप में 4 पैसे और अन्य व्यय के रूप में 8 पैसे खर्च होते हैं.

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