कैथल: गांव मुंदड़ी स्थित लव कुश तीर्थ के पदाधिकारियों ने हनुमान वाटिका में प्रेस वार्ता कर कैथल के संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति पर गंभीर आरोप लगाए हैं. तीर्थ के प्रधान महेंद्र सिंह और सचिव सूरज ने कहा कि हाईकोर्ट के तीन फरवरी के नोटिस के बावजूद कुलपति ने सरकार और कार्य परिषद को गुमराह करते हुए व्यक्तिगत फायदे के लिए 5 फरवरी को कार्यपरिषद की ऑनलाइन बैठक बुलाई. इस बैठक के अगले ही दिन यूजीसी एक्ट 2018 के तहत नियुक्तियां दी गई.
तीर्थ के पदाधिकारियों का कहना है कि यूजीसी एक्ट को अब तक हरियाणा सरकार ने लागू ही नहीं किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि नियुक्तियों का विज्ञापन फरवरी 2020 में निकाला गया था, जबकि नियुक्तियां फरवरी 2021 में की गई हैं, जो कि विज्ञापन के 1 साल बाद की गई हैं. नियमानुसार विज्ञापन जारी करने की तारीख से 6 महीने के अंदर नियुक्तियां करना अनिवार्य होता है.
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तीर्थ के सदस्यों ने सरकार से मांग की है कि नियुक्तियों को निरस्त कर नियम अनुसार दोबारा भर्ती की जाए. जानकारी के मुताबिक तीर्थ की तरफ से एक पीआईएल हाई कोर्ट में दायर की गई है. जिस बारे में कुलपति और कुलसचिव को 3 फरवरी को भर्ती बारे लीगल नोटिस भेजा गया था, जिसके बाद 5 फरवरी को जल्दबाजी में कार्य परिषद की ऑनलाइन बैठक बुलाकर अगले ही दिन यूजीसी एक्ट 2018 के अनुसार विश्वविद्यालय प्रशासन ने नियुक्तियां दी.
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पारदर्शिता से की गई हैं भर्तियां- कुलपति
एक तरफ तीर्थ के सदस्यों का कहना है कि यह नियमों को ताक में रख कर दी गई है और कुलपति ने व्यक्तिगत फायदे के लिए सरकार और न्यायालय को गुमराह किया है. वहीं दूसरी तरफ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. श्रेयांश द्विवेदी ने कहा की भर्ती की प्रक्रिया पूरी तरह से नियम अनुसार व पारदर्शिता से की गई है. भर्ती में धांधली के आरोप पूरी तरह से निराधार व बेबुनियाद है.
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