कैथल: कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ कि मंकीपॉक्स ने चिंता बढ़ा दी है. इन दिनों जानवरों में फैला लंपी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease) चिंता का सबब बन गई है. लंपी स्किन वायरस कैथल के कई गांवों में पैर पसार चुका है. जिसकी वजह से स्वास्थ्य विभाग और पशु पालकों की चिंता बढ़ गई है. अभी तक इस वायरस की सही से पहचान तक नहीं हो पाई है. इसलिए इसका इलाज मुश्किल हो रहा है.
लंपी त्वचा रोग पशुओं के लिए लाइलाज बीमारी बनकर सामने आया है. इस बीमारी का खास असर हरियाणा के कैथल जिले के रसूलपुर गांव में देखने को मिला है. जहां पर अब तक दर्जनों पशुओं की मौत हो चुकी है. वहीं इस बारे में विभाग के अधिकारियों का कहना है कि भारत में अभी इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. ये एक वायरस है. जिस पर अभी रिसर्च चल रही है. ग्रामीणों के मुताबिक इस बीमारी से कई पशुओं की मौत तक हो चुकी है.
पशुपालन विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों में डॉक्टरों की टीमों को अलर्ट कर दिया है और पशुपालकों को सलाह दी है कि वो अपने मवेशियों को संक्रमित होने से बचाने के लिए अलग-अलग रखें. डॉक्टर ने पशुपालकों को सलाह भी दी है कि जिस पशु को ये बीमारी है, उस पशु के दूध का भी इस्तेमाल ना करें, क्योंकि इस वायरस के कुछ लक्षण दूध में भी पाए गए हैं. विभाग के अधिकारियों ने इस वायरस की गंभीरता को देखते हुए उच्च अधिकारियों को पत्र लिखे हैं. इसके अलावा अलग-अलग गांव से संक्रमित पशुओं के सैंपल लेकर लैब में भेजे गये हैं.
लंपी स्किन वायरस के लक्षण: इस बीमारी में पशुओं के शरीर पर चकते बन जाते है. पशु को तेज बुखार आता है. जिसके बाद वो खाना-पीना कम कर देते हैं. बीमार जानवर कमजोर होने लगते हैं. हर उम्र और हर वर्ग के पशु को ये बीमारी हो रही है. पशु चिकित्सकों के मुताबिक अभी इस पर रिसर्च चल रहा है, जिसके पूरा होने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा.
कहां से आया लंपी स्किन वायरस? पशु पालकों के मुताबिक पहले इस वायरस के केस पाकिस्तान और पाकिस्तान के साथ लगते पंजाब के हिस्सों में मिले थे. अब ये वायरस कैथल तक आ पहुंचा है. अभी तक इसके बारे में कोई खास जानकारी सामने नहीं आई है. बस पशु के शरीर पर चकते पड़ते हैं और वो बीमार हो जाता है. जिसके बाद उसकी मौत हो जाती है.
कैसे फैलता है लंपी स्किन वायरस? प्रारंभिक जांच में पता चला है कि ये वायरस मच्छर और मक्खी के काटने से एक पशु के शरीर से दूसरे पशु के शरीर में फैल सकता है. इसके अलावा पशुओं की लार के संपर्क में आने से दूसरे पशु में ये वायरस फैल सकता है.
इंसानों में फैल सकता है वायरस? अभी तक इस बात की पुष्टी नहीं हुई है. इस पर रिसर्च जारी है. हालांकि पशु चिकित्सकों ने कहा है कि संक्रमित पशु का दूध पीने से ये वायरस इंसानों में भी फैल सकता है. इसलिए पशु चिकित्सकों ने संक्रमित पशुओं के दूध का इस्तेमाल ना करने की सलाह दी है. पशु चिकित्सक डॉक्टर कुलदीप सिंह ने बताया कि संक्रमित पशु को दूसरे पशु से अलग कर देना चाहिए. जैसे ही पशु को बुखार हो या उसके शरीर पर चकते हों तो सीधा उसे डॉक्टर को दिखायें.