ETV Bharat / state

जींद: एसडीएम ने मासाखोरों को सब्जी मंडी के बाहर सब्जी बेचने की दी अनुमति

मासाखोरों की समस्या को लेकर व्यापारियों का एक शिष्टमंडल गुरुवार को डीसी जींद से मिला. डीसी के कहने पर एसडीएम ने मासाखोरों को नई सब्जी मंडी के बाहर तीन स्थानों पर सब्जी बेचने की अनुमति दे दी है.

SDM allows masakhores to sell vegetable outside of vegetable market in jind
एसडीएम ने मासाखोरों को सब्जी मंडी के बाहर सब्जी बेचने की दी अनुमति
author img

By

Published : May 28, 2020, 12:42 PM IST

जींद: मासाखोरों को नई सब्जी मंडी में काम करने की इजाजत और उनका रोजगार वापस दिलाने के लिए व्यापार मंडल का एक दल गुरुवार को जिला उपायुक्त से मिला. इस दौरान उन्होंने लॉकडाउन के चलते मासाखोरों को होने वाली परेशानियों के बारे में उपायुक्त को बताया और उसका निदान करने की अपील की.

व्यापारियों के शिष्टमंडल ने जींद के डीसी के सामने मासाखोरों की समस्या बताते हुए कहा कि लॉकडाउन की वजह से मासाखोरों का काम-धंधा चौपट हो गया है. पूरा शहर खुल चुका है लेकिन मासाखोरों को नई सब्जी मंडी में बैठने की इजाजत नहीं दी गई है. जिसके चलते मासाखोरों को अपने परिवार को चलाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

एसडीएम ने मासाखोरों को सब्जी मंडी के बाहर सब्जी बेचने की दी अनुमति

इस दौरान मासाखोर बलबीर और सत्यवान ने बताया कि उनके बच्चे भूखों मर रहे हैं. उन्होंने डीसी से गुहार लगाई कि उन्हें नई सब्जी मंडी में बैठने की इजाजत दी जाए. ताकि वो अपने परिवार का पेट पाल सकें. मासाखोरों ने बताया कि इस मसले पर विधायक से लेकर जिला प्रशासन तक से गुहार लगा चुके हैं. लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है.

डीसी के कहने पर एसडीएम से मिलने पहुंचे मासाखोर

मासाखोरों की व्यथा सुनने के बाद डीसी ने मासाखोरों को एसडीएम से मिलने की बात कही. उन्होंने कहा कि वो नहीं चाहते कि लॉकडाउन के चलते कोई परिवार भूखा मरे. जिसके बाद मासाखोर एसडीएम से मिलने पहुंचे और उनको अपनी समस्या बताई.

इस संबंध में एसडीएम ने कहा कि जींद की नई सब्जी मंडी में कोई भी रजिस्टर्ड मासाखोर नहीं है. ऐसे में मासाखोरों को इजाजत देने में दिक्कत आ रही है. उन्होंने कहा कि मासाखोरों को सब्जी मंडी से बाहर तीन अलग-अलग स्थान दिए गए हैं. जहां मासाखोर सब्जी बेच सकते हैं.

इस संबंध में व्यापारी नेता राजकुमार गोयल ने कहा कि ये मासाखोर पिछले 25 साल से सब्जी मंडी में बैठते थे. प्रशासन ने कोरोना महामारी के चलते इन मासाखोरों को अस्थाई तौर पर यहां से उठाया था. उन्होंने कहा कि अब पूरा शहर खुल चुका है. ऐसे में इन मासाखोरों को बैठने की इजाजत दी जाए.

क्या होता है मासाखोर?

मासाखोर सब्जी मंडी में बैठने वाले वो व्यापारी होते हैं जो फुटकर तौर पर सब्जी बेचते हैं. इनके पास थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सभी सब्जियां होती हैं. जहां से लोग फुटकर खरीदारी करते हैं. मासाखोर शब्द पुराने जमाने के मासा-तोला शब्द से बना है. जिसका अर्थ होता है रत्ती भर. अर्थात जो सब्जी विक्रेता थोड़ी मात्रा में सब्जी बेचते हैं. उन्हें मासाखोर कहते हैं.

इसे भी पढ़ें:जानें हरियाणा में आज क्या हैं फल-सब्जियों के दाम

जींद: मासाखोरों को नई सब्जी मंडी में काम करने की इजाजत और उनका रोजगार वापस दिलाने के लिए व्यापार मंडल का एक दल गुरुवार को जिला उपायुक्त से मिला. इस दौरान उन्होंने लॉकडाउन के चलते मासाखोरों को होने वाली परेशानियों के बारे में उपायुक्त को बताया और उसका निदान करने की अपील की.

व्यापारियों के शिष्टमंडल ने जींद के डीसी के सामने मासाखोरों की समस्या बताते हुए कहा कि लॉकडाउन की वजह से मासाखोरों का काम-धंधा चौपट हो गया है. पूरा शहर खुल चुका है लेकिन मासाखोरों को नई सब्जी मंडी में बैठने की इजाजत नहीं दी गई है. जिसके चलते मासाखोरों को अपने परिवार को चलाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

एसडीएम ने मासाखोरों को सब्जी मंडी के बाहर सब्जी बेचने की दी अनुमति

इस दौरान मासाखोर बलबीर और सत्यवान ने बताया कि उनके बच्चे भूखों मर रहे हैं. उन्होंने डीसी से गुहार लगाई कि उन्हें नई सब्जी मंडी में बैठने की इजाजत दी जाए. ताकि वो अपने परिवार का पेट पाल सकें. मासाखोरों ने बताया कि इस मसले पर विधायक से लेकर जिला प्रशासन तक से गुहार लगा चुके हैं. लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है.

डीसी के कहने पर एसडीएम से मिलने पहुंचे मासाखोर

मासाखोरों की व्यथा सुनने के बाद डीसी ने मासाखोरों को एसडीएम से मिलने की बात कही. उन्होंने कहा कि वो नहीं चाहते कि लॉकडाउन के चलते कोई परिवार भूखा मरे. जिसके बाद मासाखोर एसडीएम से मिलने पहुंचे और उनको अपनी समस्या बताई.

इस संबंध में एसडीएम ने कहा कि जींद की नई सब्जी मंडी में कोई भी रजिस्टर्ड मासाखोर नहीं है. ऐसे में मासाखोरों को इजाजत देने में दिक्कत आ रही है. उन्होंने कहा कि मासाखोरों को सब्जी मंडी से बाहर तीन अलग-अलग स्थान दिए गए हैं. जहां मासाखोर सब्जी बेच सकते हैं.

इस संबंध में व्यापारी नेता राजकुमार गोयल ने कहा कि ये मासाखोर पिछले 25 साल से सब्जी मंडी में बैठते थे. प्रशासन ने कोरोना महामारी के चलते इन मासाखोरों को अस्थाई तौर पर यहां से उठाया था. उन्होंने कहा कि अब पूरा शहर खुल चुका है. ऐसे में इन मासाखोरों को बैठने की इजाजत दी जाए.

क्या होता है मासाखोर?

मासाखोर सब्जी मंडी में बैठने वाले वो व्यापारी होते हैं जो फुटकर तौर पर सब्जी बेचते हैं. इनके पास थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सभी सब्जियां होती हैं. जहां से लोग फुटकर खरीदारी करते हैं. मासाखोर शब्द पुराने जमाने के मासा-तोला शब्द से बना है. जिसका अर्थ होता है रत्ती भर. अर्थात जो सब्जी विक्रेता थोड़ी मात्रा में सब्जी बेचते हैं. उन्हें मासाखोर कहते हैं.

इसे भी पढ़ें:जानें हरियाणा में आज क्या हैं फल-सब्जियों के दाम

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.