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कोरोना काल में बढ़ी महंगाई, मुश्किल हुआ 'आशियाने' का सपना

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Published : Nov 22, 2020, 11:17 AM IST

Updated : Nov 28, 2020, 12:39 PM IST

लॉकडाउन का असर अब आशियाना बनाने पर पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है. लॉकडाउन से पहले जहां एक मकान बनाने में 10 लाख रुपये का खर्चा आता था वो अब बढ़कर 15 लाख रुपये के करीब हो गया है. इससे लोगों का आशियाना बनाने का सपना भी लटकता हुआ नजर आ रहा है.

Price of Building materials increased due to lockdown in jind
Price of Building materials increased due to lockdown in jind

जींद: कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन को खत्म हुए काफी वक्त बीत चुका है, लेकिन इसका असर अभी भी लोगों पर पड़ रहा है. हालात ये हैं कि लोगों का आशियाना बनाने का सपना अब पहले से ज्यादा महंगा हो गया है. अनलॉक में घर बनाने वाले सामान के रेट आम आदमी की पहुंच से दूर हो रहे हैं.

घर बनाने के सपने पर महंगाई की मार

बता दें कि पहले जहां एक मकान को बनाने में 10 लाख रुपये का खर्च आता था. वहीं अब उसी मकान को बनाने में करीब 15 लाख रुपये की लागत आ रही है. मकान बनाने के लिए सबसे अहम और सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला सामान है सीमेंट, जिसकी कीमत लॉकडाउन के बाद तेजी से बढ़ी है, जो सीमेंट का 50 किलो का बैग लॉकडाउन से पहले 340 से 350 रुपये का मिलता था. वही सीमेंट बैग अब 400 रुपये का मिल रहा है.

कोरोना काल में बढ़ी महंगाई, मुश्किल हुआ 'आशियाने' का सपना

लॉकडाउन में बढ़े दाम

इतना ही नहीं रेत के दाम रेत के दाम भी 35 रुपये से बढ़कर 40 रुपये हो गए हैं. तो वहीं बजरी 36 रुपये प्रति स्क्वेयर फीट से बढ़कर 43 रुपये हो गए हैं और सरिये में भी 500 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है. जिसके कारण मकान बनाने की लागत में भी 20 फीसदी का इजाफा हुआ है. यानी अब आम आदमी का खुद का जो आशियाना बनाने का सपना था वो और महंगा हो गया है.

मजदूरों की मजदूरी भी बढ़ी

लॉकडाउन में कई दिनों तक काम बंद रहने के कारण भी मजदूरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था. जहां एक तरफ 6 महीने तक मजदूर खाली बैठे थे तो अब उन 6 महीनों के खर्च को कवर करने के लिए मजदूरी भी बढ़ा दी है. हालांकि मजदूरी थोड़ी ही बड़ी है. लॉकडाउन से पहले रोजाना मजदूरी 500 रुपये होती थी जो अब 600 हो गई है और कुशल मिस्त्री की दिहाड़ी भी 700 रुपये से बढ़कर 800 तक पहुंच गई है.

ये भी पढ़ें- सोनीपत में पॉलिथीन की बड़ी खेप बरामद, दो दुकानों पर लगा 25-25 हजार का जुर्माना

हर आदमी अपने छत के नीचे रहना चाहता है. उसका सपना होता है कि वो भी अपने मकान में रहे. लेकिन कोरोना के कारण बढ़ी महंगाई ने इस सपने को और भी मुश्किल बना दिया है या यूं कहे की महंगाई ने इस सपने को लटका सा दिया है.

जींद: कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन को खत्म हुए काफी वक्त बीत चुका है, लेकिन इसका असर अभी भी लोगों पर पड़ रहा है. हालात ये हैं कि लोगों का आशियाना बनाने का सपना अब पहले से ज्यादा महंगा हो गया है. अनलॉक में घर बनाने वाले सामान के रेट आम आदमी की पहुंच से दूर हो रहे हैं.

घर बनाने के सपने पर महंगाई की मार

बता दें कि पहले जहां एक मकान को बनाने में 10 लाख रुपये का खर्च आता था. वहीं अब उसी मकान को बनाने में करीब 15 लाख रुपये की लागत आ रही है. मकान बनाने के लिए सबसे अहम और सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला सामान है सीमेंट, जिसकी कीमत लॉकडाउन के बाद तेजी से बढ़ी है, जो सीमेंट का 50 किलो का बैग लॉकडाउन से पहले 340 से 350 रुपये का मिलता था. वही सीमेंट बैग अब 400 रुपये का मिल रहा है.

कोरोना काल में बढ़ी महंगाई, मुश्किल हुआ 'आशियाने' का सपना

लॉकडाउन में बढ़े दाम

इतना ही नहीं रेत के दाम रेत के दाम भी 35 रुपये से बढ़कर 40 रुपये हो गए हैं. तो वहीं बजरी 36 रुपये प्रति स्क्वेयर फीट से बढ़कर 43 रुपये हो गए हैं और सरिये में भी 500 प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है. जिसके कारण मकान बनाने की लागत में भी 20 फीसदी का इजाफा हुआ है. यानी अब आम आदमी का खुद का जो आशियाना बनाने का सपना था वो और महंगा हो गया है.

मजदूरों की मजदूरी भी बढ़ी

लॉकडाउन में कई दिनों तक काम बंद रहने के कारण भी मजदूरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था. जहां एक तरफ 6 महीने तक मजदूर खाली बैठे थे तो अब उन 6 महीनों के खर्च को कवर करने के लिए मजदूरी भी बढ़ा दी है. हालांकि मजदूरी थोड़ी ही बड़ी है. लॉकडाउन से पहले रोजाना मजदूरी 500 रुपये होती थी जो अब 600 हो गई है और कुशल मिस्त्री की दिहाड़ी भी 700 रुपये से बढ़कर 800 तक पहुंच गई है.

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हर आदमी अपने छत के नीचे रहना चाहता है. उसका सपना होता है कि वो भी अपने मकान में रहे. लेकिन कोरोना के कारण बढ़ी महंगाई ने इस सपने को और भी मुश्किल बना दिया है या यूं कहे की महंगाई ने इस सपने को लटका सा दिया है.

Last Updated : Nov 28, 2020, 12:39 PM IST
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