जींदः शहर में प्रदूषण का लेवल खतरनाक स्तर पर है. पिछले दिनों एक सर्वे एजेंसी द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में जींद को दुनिया का 20वां सबसे प्रदूषित शहर बताया था. इसके बावजूद प्रशासन की नाक तले शहर में खुलेआम पॉलिथीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. नगर परिषद के अधिकारियों ने जरूर एनजीटी के आदेश पर कुछ चालान किए लेकिन वो भी नाकाफी रहे.
प्रति वॉर्ड का ये हाल तो शहर का क्या होगा?
शहर में प्रतिदिन 10 हजार किलोग्राम पॉलिथीन कूड़े से निकल रही है. यानी प्रति वॉर्ड के हिसाब से 322 किलोग्राम पॉलिथीन कूड़े में निकल रही है, जबकि बिक्री अलग से हो रही है. इसके हिसाब से तो शहर में पॉलिथीन के इस्तेमाल का आंकड़ा काफी खतरनाक है.
अधिकारियों की लगी थी अलग से ड्यूटी
पॉलिथीन को रोकने के लिए एडीसी से लेकर हुडा एस्टेट ऑफिसर की ड्यूटी चालान काटने के लिए छह साल पहले शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने लगाई थी. सभी 15 अधिकारियों को एक-एक चालान बुक भी दी गई थी लेकिन आज तक एक भी चालान नहीं काटा गया.
पल्ला झाड़ते नजर आए अधिकारी
वहीं पॉलिथीन के खुलेआम इस्तेमाल को लेकर जब नगर परिषद एग्जीक्यूटिव ऑफिसर से बात की गई तो वो मामले से पल्ला झाड़ते नजर आए. उन्होंने कुछ भी कहने से साफ इनकार करते हुए कहा कि उच्च अधिकारी ही इस बारे में जवाब देंगे.
पॉलिथीन बेचने पर ये है जुर्माने का प्रावधानः
- 100 ग्राम से अधिक पर 500 रुपए जुर्माना
- 101 से 500 ग्राम पर 1500 रुपए जुर्माना
- 501 से एक किलोग्राम पर 3 हजार रुपए जुर्माना
- एक से पांच किलोग्राम 10 हजार रुपए जुर्माना
- पांच से 10 किलोग्राम 20 हजार रुपए जुर्माना
- 10 किलोग्राम से अधिक 30 हजार रुपए जुर्माना
वैज्ञानिकों के मुताबिक
पर्यावरण वैज्ञानिकों की मानें तो पॉलिथीन और प्लास्टिक जलाने से निकलने वाली गैसों से सेहत को काफी नुकसान पहुंचता है. पॉलीथीन से निकलनी वाली कार्बन डाई ऑक्साइड गैस से सांस की बीमारी होती है, अगर उसमें पीवीसी मिला हुआ है तो उससे डाई ऑक्सीजन और फयुरान जैसी जहरीले गैस निकलती हैं. जिनसे कैंसर होता है.