जींद: शहर की एसडी शिक्षण संस्थान में काम करने वाले पांच मजदूर परिवारों को ठेकेदार ने बिना मजदूरी दिए घर से निकाल दिया. जिसके बाद ये परिवार पैदल ही अपने घर मध्य प्रदेश के लिए रवाना हो गए. इनमें महिलाएं और छोटे बच्चे भी शामिल थे. वहीं इसमें से एक महिला आठ महीने से गर्भवती थी.
जब ये शहर में गोहाना रोड पर राजकीय कॉलेज के पास पहुंचे. तो थक हारकर पेड़ों की छांव तले विश्राम करने के लिए बैठ गय. इसी बीच कर्मपाल, रोहतास, विजेंद्र, कुलदीप, रवि, संजय आदि समाजसेवियों ने प्रवासी मजदूरों को देख लिया और उनके लिए जलपान की व्यवस्था की. वहीं इनकी व्यथा जानने के बाद समाजसेवियों ने इसकी सूचना पुलिस को दे दी.
वहीं मौके पर पहुंचे पत्रकारों ने मंगला अस्पताल से डॉक्टरों की टीम बुलाकर गर्भवती महिला का चेकअप कराया. जिसमें डॉक्टरों ने बताया कि यह महिला आठ महीने से गर्भवती है और इसका चलना खतरे से खाली नहीं है. वहीं डॉक्टरों की टीम ने इन गरीब मजदूरों के 10 बच्चों के लिए बिस्किट और साफ पानी का प्रबंध किया.
प्रवासी मजदूरों ने बताया कि वह चार महीने से ठेकेदार के पास काम करे है. ठेकेदार उन्हें महीने का खर्च सिर्फ 500 रुपये देता था. उन्होंने बताया कि शुक्रवार को ठेकेदार ने सभी लोगों को दो-दो हजार रुपये देकर बाहर का रास्ता दिखा दिया. जिसके बाद वो सभी पैदल ही मध्य प्रदेश के लिए निकल पड़े. प्रवासी मजदूरों ने बताया कि ठेकेदार के पास उनका 80 हजार रुपये बकाया है.
जिसके बाद शहर थाना प्रभारी एएसआई विनोद शर्मा मौके पर पहुंचे और मामले की पूरी जानकारी ली. विनोद शर्मा ने ठेकेदार को चेताया कि अगर मजदूरों को वापस नहीं ले जाया गया और उनकी राशि का भुगतान नहीं किया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.
जिसके बाद एसडी शिक्षण संस्था के प्रधान लक्ष्मी नारायण बंसल ने इन मजदूरों को पूरी मजदूरी दिलाने और अन्य प्रबंध करने का आश्वासन देकर अपने साथ ले गए. वहीं मजदूर परिवारों के लिए भोजन का प्रबंध करने वाले समाजसेवी
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