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जींद के आंगनबाड़ी केन्द्रों में नहीं बचा पोषक आहार, कुपोषण का शिकार हो रहे बच्चे

कोरोना काल में आंगनवाड़ी वर्कर्स का काम बढ़ गया है. वो घर-घर जाकर बच्चे और प्रसूता महिलाओं का सर्वे कर रही हैं, लेकिन इन वर्कर्स को अधिकारियों की अनदेखी का सामना करना पड़ रहा है. शायद यही वजह है कि 1433 आंगनवाड़ी केंद्र होने पर भी जींद में 119 बच्चे कुपोषित हैं.

anganwadi
जींद आंगनवाड़ी केंद्र
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Published : Aug 22, 2020, 8:39 PM IST

Updated : Aug 26, 2020, 12:25 PM IST

जींद: देशभर में आंगनवाड़ी केंद्र एक विशेष उद्देश्य के लिए खोले गए हैं. जिनका उद्देश्य कुपोषण से मरने वाली बच्चों और महिलाओं को बचाना है. ये आंगनवाड़ी केंद्र अपने क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं को पोषक भोजन, स्वास्थ्य सहायता और दवाइयां उपलब्ध कराते हैं, ताकि गर्भवती महिला को प्रसव के दौरान स्वास्थ्य संबंधी परेशानी ना हों, जो आंगनवाड़ी वर्कर दूसरों के स्वास्थ्य के लिए कोरोना काल में दिन रात लगी हैं. वो खुद सुविधाओं के लिए मोहताज हैं.

जींद में 1433 आंगनवाड़ी केंद्र होने पर भी 119 बच्चे कुपोषित, कारण जानकर रह जाएंगे दंग

जींद जिले में 1433 आंगनवाड़ी केंद्र हैं. जिन पर 19 हजार 817 दूध पिलाने वाली महिलाएं, गर्भवती महिलाएं और 72 हजार 770 बच्चे 6 साल से कम उम्र के बच्चों की जिम्मेदारी है. आंगनवाड़ी केंद्र इन बच्चों के वजन, उनका टीकाकरण, महिलाओं के खाने-पीने सहित उनके तमाम रिकॉर्ड रखते हैं. कोरोना की वजह से आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चे तो नहीं आ रहे, लेकिन इन आंगनवाड़ी वर्कर्स का काम और ज्यादा बढ़ गया है. इनको घर-घर जाकर इनकी मॉनिटरिंग करनी पड़ रही है. जींद जिले में 119 बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. इसके पीछे की वजह जानकर आप हैरान रह जाएंगे.

आंगनवाड़ी वर्करों का कहना है कि उनके पास वर्कलोड इतना ज्यादा है, लेकिन तनख्वाह के नाम पर मात्र 11 हजार रुपये दिए जाते हैं. पटवारी से ज्यादा रजिस्टर उनके पास हैं. जिनको रखने के लिए कोई अलमारी भी नहीं है. कभी इन रजिस्टर को चुहे कुतर जाते हैं तो कभी बारिश से खराब हो जाते हैं. उनको बच्चों और महिलाओं के रिकॉर्ड रखने में कई तरह की परेशानियां हो रही हैं.

आंगनवाड़ी वर्कर का कहना है कि उनके पास बच्चों के देने के लिए राशन नहीं है और कभी-कभी जो राशन मिलता है वो भी पूरा नहीं मिलता और ना ही समय पर मिलता है. अधिकारी कहते हैं कि दूसरे सेंटर से लेकर बांट दो. वो किस-किस लेकर राशन बांटे. साथ ही कई सेंटर ऐसे भी हैं. जिनमें टॉयलेट भी नहीं हैं. 9 बजे से 3 बजे तक उनके सेंटर में रहना होता है. ऐसे में वो कहां जाएं?

ये भी पढ़ें:- द्रोणाचार्य अवॉर्ड के लिए चुने गए पूर्व बॉक्सिंग कोच शिव सिंह से खास बात

अधिकारी दवा कर रहे हैं कि जींद के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में आगनवाड़ी वर्कर्स को सभी सुविधाएं दी जा रही हैं. जिससे कि बच्चों का संपूर्ण टीकाकरण हो सके और महिलाओं को भी पौष्टिक आहार मिल सके, लेकिन अधिकारियों के हवाई दावे और आंगनवाडी वर्कर्स की जुबानी आप सब सुन चुके हैं. ये आंगनवाड़ी वर्कर्स प्रसूता महिला और नवजात बच्चे की देखरेख में पूरी शिद्दत से लगी हुई हैं, लेकिन इनको मिलने वाली सुविधाओं की ओर किसी का ध्यान नहीं है. शायद यही वजह है आए दिन इनको धरना प्रदर्शन करना पड़ता है.

जींद: देशभर में आंगनवाड़ी केंद्र एक विशेष उद्देश्य के लिए खोले गए हैं. जिनका उद्देश्य कुपोषण से मरने वाली बच्चों और महिलाओं को बचाना है. ये आंगनवाड़ी केंद्र अपने क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं को पोषक भोजन, स्वास्थ्य सहायता और दवाइयां उपलब्ध कराते हैं, ताकि गर्भवती महिला को प्रसव के दौरान स्वास्थ्य संबंधी परेशानी ना हों, जो आंगनवाड़ी वर्कर दूसरों के स्वास्थ्य के लिए कोरोना काल में दिन रात लगी हैं. वो खुद सुविधाओं के लिए मोहताज हैं.

जींद में 1433 आंगनवाड़ी केंद्र होने पर भी 119 बच्चे कुपोषित, कारण जानकर रह जाएंगे दंग

जींद जिले में 1433 आंगनवाड़ी केंद्र हैं. जिन पर 19 हजार 817 दूध पिलाने वाली महिलाएं, गर्भवती महिलाएं और 72 हजार 770 बच्चे 6 साल से कम उम्र के बच्चों की जिम्मेदारी है. आंगनवाड़ी केंद्र इन बच्चों के वजन, उनका टीकाकरण, महिलाओं के खाने-पीने सहित उनके तमाम रिकॉर्ड रखते हैं. कोरोना की वजह से आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चे तो नहीं आ रहे, लेकिन इन आंगनवाड़ी वर्कर्स का काम और ज्यादा बढ़ गया है. इनको घर-घर जाकर इनकी मॉनिटरिंग करनी पड़ रही है. जींद जिले में 119 बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. इसके पीछे की वजह जानकर आप हैरान रह जाएंगे.

आंगनवाड़ी वर्करों का कहना है कि उनके पास वर्कलोड इतना ज्यादा है, लेकिन तनख्वाह के नाम पर मात्र 11 हजार रुपये दिए जाते हैं. पटवारी से ज्यादा रजिस्टर उनके पास हैं. जिनको रखने के लिए कोई अलमारी भी नहीं है. कभी इन रजिस्टर को चुहे कुतर जाते हैं तो कभी बारिश से खराब हो जाते हैं. उनको बच्चों और महिलाओं के रिकॉर्ड रखने में कई तरह की परेशानियां हो रही हैं.

आंगनवाड़ी वर्कर का कहना है कि उनके पास बच्चों के देने के लिए राशन नहीं है और कभी-कभी जो राशन मिलता है वो भी पूरा नहीं मिलता और ना ही समय पर मिलता है. अधिकारी कहते हैं कि दूसरे सेंटर से लेकर बांट दो. वो किस-किस लेकर राशन बांटे. साथ ही कई सेंटर ऐसे भी हैं. जिनमें टॉयलेट भी नहीं हैं. 9 बजे से 3 बजे तक उनके सेंटर में रहना होता है. ऐसे में वो कहां जाएं?

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अधिकारी दवा कर रहे हैं कि जींद के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में आगनवाड़ी वर्कर्स को सभी सुविधाएं दी जा रही हैं. जिससे कि बच्चों का संपूर्ण टीकाकरण हो सके और महिलाओं को भी पौष्टिक आहार मिल सके, लेकिन अधिकारियों के हवाई दावे और आंगनवाडी वर्कर्स की जुबानी आप सब सुन चुके हैं. ये आंगनवाड़ी वर्कर्स प्रसूता महिला और नवजात बच्चे की देखरेख में पूरी शिद्दत से लगी हुई हैं, लेकिन इनको मिलने वाली सुविधाओं की ओर किसी का ध्यान नहीं है. शायद यही वजह है आए दिन इनको धरना प्रदर्शन करना पड़ता है.

Last Updated : Aug 26, 2020, 12:25 PM IST
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