झज्जरः बहादुरगढ़ के साथ सटे सांखौल गांव के किसान अपनी 44.79 एकड़ जमीन को लेकर आंदोलन पर उतर गए हैं. किसानों का कहना है कि जमीन उनकी है, जिसका उन्होंने मुआवजा तक नहीं लिया और सरकार जबरदस्ती उस पर प्लॉट काटकर मुनाफा कमाना चाहती है.
इसको लेकर पहले ग्राम सभा भी हुई और उसके बाद किसानों ने एचएसआईआईडीसी के दफ्तर पर जाकर प्रदर्शन कर अपनी जमीन वापस लेने के लिए ज्ञापन भी दिया है. किसानों ने चेतावनी दी है कि सरकार ने अगर जमीन वापस नहीं की तो मजबूरी में उन्हें धरना प्रदर्शन भी करना पड़ सकता है.
किसानों ने वापस मांगी जमीन
नार्दन ग्लास के लिए 47 साल पहले 44 एकड़ जमीन में से 28 एकड़ जमीन को किसानों ने वापस लेने के लिए सांखौल गांव में पंचायत की. इस दौरान फैसला लिया गया कि सरकार को एक इंच की जमीन भी नहीं देंगे, क्योंकि किसी ने भी सरकार से एक रुपया भी मुआवजा नहीं लिया है.
इस कारण किसान ही जमीन के मालिक हैं. पंचायत में कहा गया कि सरकार को भी किसानों और गांव की हालत को लेकर दया का भाव रखना चाहिए. अपनी इन्हीं मांगों के साथ सोमवार को किसान एचएसआआईडीसी कार्यालय पहुंचे और ज्ञापन सौंपा.
विधायक से मिले ग्रामीण
सांखोल गांव की पंचायत ने समस्या को लेकर विधायक राजेंद्र जून से भी मुलाकात की थी. ग्रामीणों ने बताया कि सांखौल ग्राम पंचायत की 28 एकड़ और गांववासियों की 16 एकड़ जमीन नार्दन ग्लास कंपनी के नाम से अधिग्रहित की गई थी.
उस दौरान ग्रामीणों को झूठा आश्वासन दिया था कि कंपनी स्थापित होने के बाद ग्रामीणों को रोजगार दिया जाएगा. ग्राम पंचायत ने विधायक को बताया कि नार्दन ग्लास कंपनी के नाम अधिग्रहित की गई इस जमीन पर आज तक ये कंपनी शुरू नहीं हो पाई है.
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प्लॉट धारकों को मिली राहत
नार्दन ग्लास फैक्ट्रियों की जमीन पर व्यापार कर रहे करीब 110 प्लाट धारकों और उनके परिजनों को हाईकोर्ट की तरफ से फिलहाल कुछ राहत मिली है. फिलहाल यहां खाली पड़े प्लाटों की नीलामी के लिए 15 दिसंबर से आवेदन का सिलसिला जारी है और आज 24 दिसंबर को आवेदन की अंतिम तारिख है. नार्दन ग्लास वाली जमीन पर बसी फैक्ट्रियों को रेगुलराइज करने के लिए कलेक्टर रेट और मार्केट रेट की बजाय नीलामी से निर्धारित रेट पर जमीन दी जानी है.
HC के आदेशानुसार होगा फैसला- एजीएम
एचएसआईआईडीसी के एजीएम विजय गोदारा का कहना है कि जिस जमीन पर कोई स्टे नहीं है उस पर ही औद्योगिक प्लाट के लिए आवेदन मांगे गए हैं. हाईकोर्ट में भी लोगों ने याचिका डाली थी लेकिन हाईकोर्ट ने ऑक्शन प्रोसेस को इस शर्त पर जारी रखने को कहा है कि विभाग अलॉटमेंट का आखिरी फैसला हाईकोर्ट के आदेशानुसार ही किया लेगा.
क्या है पूरा मामला
तत्कालीन बंसीलाल सरकार ने साल 1971-72 में दिल्ली-रोहतक रोड पर सांखौल की पंचायती जमीन में करीब 44 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था. ये जमीन नार्दर्न ग्लास फैक्टरी को इस शर्त पर दी गई थी कि वो यहां पर फैक्ट्री की स्थापना करे और रोजगार प्रदान करे.
सरकार के उद्योग विभाग व फैक्ट्री प्रबंधन के बीच हुए करार में ये शर्त रखी थी कि अगर इस जमीन का प्रयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए किया या फिर बेचा तो सरकार इस जमीन को रिज्यूम कर लेगी.
बता दें कि कई सालों तक ये जमीन ऐसे ही पड़ी रही और यहां पर कोई फैक्ट्री नहीं लगाई गई. कुछ साल बाद इस जमीन को बेच दिया गया. जब इस बात का पता गांव की पंचायत व सरकार को लगा तो सरकार ने इस जमीन को रिज्यूम कर लिया और अब किसान अपनी जमीन वापसी की मांग कर रहे हैं.