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किसान ने टिकरी बॉर्डर पर मनाया बेटी का पहला जन्मदिन

पंजाब के एक आंदोलनकारी किसान ने अपनी बेटी का पहला जन्मदिन टिकरी बॉर्डर पर किसानों के साथ मनाया. उन्होंने यहां किसानों के साथ मिलकर केक काटा और अपनी खुशी दूसरे किसानों के साथ बांटी.

Farmer celebrated daughter's first birthday
Farmer celebrated daughter's first birthday
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Published : Dec 13, 2020, 6:59 PM IST

झज्जर: पंजाब के रहने वाले जगजीत सिंह तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन में शामिल होने के लिए आए हैं. लेकिन वो इस दौरान अपनी 1 साल की बेटी के पहले जन्मदिन को भूल नहीं पाए और आंदोलनकारी किसानों के साथ मिलकर धरना स्थल पर ही अपनी 1 साल की बेटी सिदक का पहला जन्मदिन केक काटकर मनाया.

पिता का कहना है कि शादी के 8 साल बाद उनकी बेटी का जन्म हुआ है और आज वो आंदोलनकारी किसानों के साथ मिलकर उसका पहला जन्मदिन मना रहे हैं. उन्होंने पहले ही ये कह दिया था चाहे कोई खुशी हो या फिर कोई गम वो इन 3 कृषि कानूनों को रद्द करवाने के बाद ही घर वापस जाएंगे.

ये भी पढे़ं- हरियाणा-राजस्थान सीमा: जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर किसानों ने शुरू किया धरना

पिता जगजीत सिंह बोले कि वो अपने बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए ही इस आंदोलन में कानूनों को रद्द करवाने के लिए जी जान से लड़ाई लड़ रहे हैं. वो किसी भी कीमत पर अपनी जमीनों को कॉरपोरेट के हाथ में नहीं जाने देंगे. जब वो आंदोलन के लिए निकले थे तो घर ये कहकर निकले थे कि जब तक कानून वापस नहीं होंगे वो वापस नहीं आएंगे.

झज्जर: पंजाब के रहने वाले जगजीत सिंह तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन में शामिल होने के लिए आए हैं. लेकिन वो इस दौरान अपनी 1 साल की बेटी के पहले जन्मदिन को भूल नहीं पाए और आंदोलनकारी किसानों के साथ मिलकर धरना स्थल पर ही अपनी 1 साल की बेटी सिदक का पहला जन्मदिन केक काटकर मनाया.

पिता का कहना है कि शादी के 8 साल बाद उनकी बेटी का जन्म हुआ है और आज वो आंदोलनकारी किसानों के साथ मिलकर उसका पहला जन्मदिन मना रहे हैं. उन्होंने पहले ही ये कह दिया था चाहे कोई खुशी हो या फिर कोई गम वो इन 3 कृषि कानूनों को रद्द करवाने के बाद ही घर वापस जाएंगे.

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पिता जगजीत सिंह बोले कि वो अपने बच्चों के भविष्य को बचाने के लिए ही इस आंदोलन में कानूनों को रद्द करवाने के लिए जी जान से लड़ाई लड़ रहे हैं. वो किसी भी कीमत पर अपनी जमीनों को कॉरपोरेट के हाथ में नहीं जाने देंगे. जब वो आंदोलन के लिए निकले थे तो घर ये कहकर निकले थे कि जब तक कानून वापस नहीं होंगे वो वापस नहीं आएंगे.

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