हिसार: शहरों के बाद अब कोरोना का कहर गांव-गांव बढ़ रहा है. यहां कोरोना लक्षण जैसे जुकाम और बुखार से इंफेक्शन की शुरुआत होती है. फिर सांस लेने में तकलीफ के बाद मौत हो जाती है. ऐसा हम इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि किसी भी मरीज का कोरोना टेस्ट नहीं हुआ है. ईटीवी भारत हरियाणा की टीम ने जब गांवों में बढ़ती मौतों की जमीनी हकीकत जानना चाही तो तस्वीरें चौंकाने वाले मिली. ज्यादातर ग्रामीण मास्क का इस्तेमाल तक नहीं कर रहे थे. दो गज दी दूरी तो आप भूल ही जाए.
गांवों से आ रहे मौत के आंकड़े डराने वाले हैं. जिले में औसतन हर रोज 10 से 20 संदिग्ध मौत हो रही हैं. ग्रामीण एरिया में मौत के बाद सैंपल भी नहीं लिए जा रहे. ऐसे में महामारी के और फैलने का खतरा बना है. मरने वालों में बुजुर्ग, अधेड़, महिलाएं और युवा शामिल हैं. 6 से 7 मौत 40 वर्ष से कम उम्र के युवाओं की हो रही हैं.
ना टेस्टिंग की व्यवस्था, ना वैक्सीनेशन की
हैरानी की बात ये है कि गांव में लोग कोरोना को मानने को तैयार ही नहीं है. एक तो ग्रामीणों को लापरवाही दूसरा प्रशासन की. ना तो गांव में टेस्टिंग की कोई व्यवस्था है और ना ही वैक्सीनेशन की. यहां तक की गांवों को सैनिटाइज तक नहीं किया गया है. लॉकडाउन की बात तो आप छोड़ ही दीजिए. अब जब मौतों की संख्या बढ़ने लगी तो ग्रामीण प्रशासन से मदद की गुहार लगाने लगे.
झोलाछाप डॉक्टर्स के भरोसे हो रहा इलाज
आलम ये है कि मौत के बाद भी सैंपल नहीं लिए जा रहे हैं. जिससे की इस महामारी के फैलने का खतरा ज्यादा बढ़ गया है. हिसार जिले में कुल गांव 303 गांव हैं. करीब 70 प्रतिशत आबादी यहां गांवों में रह रही है. इस समय कोरोना के सैंपल केवल शहरों या उपमंडल स्तर के अस्पतालों में चुनिंदा स्थानों पर ही लेने की सुविधा है. गांव में किसी को बुखार, खांसी, जुकाम सहित अन्य लक्षण होने पर लोग बड़े अस्पताल नहीं पहुंचते. ऐसे लोग गांव के ही किसी चिकित्सक या केमिस्ट से दवा लेते हैं. मरीज की हालत बिगड़ने पर गांव के लोग बड़े अस्पताल जाने की बजाए अपने स्तर पर ही सिलेंडर की व्यवस्था करने में जुट जाते हैं.
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जिस तरह से पिछले साल कोरोना काल में पंचायतें और गांव के युवा जागरूक दिख रहे थे, इस बार वो कोरोना को लेकर लापरवाह दिख रहे हैं. जिले में एक या दो ही गांव हैं जो अपने स्तर पर लॉकडाउन या सैनिजाइजेशन का काम कर रहे हैं. ना तो यहां दुकानों को लेकर कोई भी बंदिशें हैं, ना ही मास्क को लेकर. अगर यही हाल रहा तो गांव में भी लाश जलाने के लिए जगह कम पड़ने लगेगी.
कहा कहा उपायुक्त डॉक्टर प्रियंका सोनी ने?
इस मामले में उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने कहा कि उपमंडलाधीश को निर्देश दिए कि वो ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए ठोस रणनीति तैयार करें. इस कार्य में पंचायत एवं विकास तथा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारी टेस्टिंग, समय पर उपचार और वेक्सिनेशन जैसे कार्य मे तेजी लाएं. उन्होंने कहा कि कोविड-19 जांच के लिए डोर-टू-डोर स्क्रीनिंग किए जाने की दिशा में जरूरी कदम उठाए जाएं. गांवों में सार्वजनिक स्थानों, धर्मशालाओं, सरकारी स्कूलों और आयुष केंद्रों को आइसोलेशन केंद्रों के रूप में स्थापित कर हल्के लक्षण वाले संक्रमितों का उपचार करने की व्यवस्था की जाए. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, आशा वर्कर्स, गांव के जनप्रतिनिधियों और मौजिज लोगों के साथ मिलकर विशेष कैंप लगाया जाए, जहां पर ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों की जांच की जाए.