हिसार: गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी में सोमवार दोपहर बायो नैनोटेक विभाग की रिसर्च स्कॉलर सोनिया डबास ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली. 27 वर्षीय सोनिया डबास और जीजेयू में नैनोटेक की स्टूडेंट और स्कॉलर थी. बताया जा रहा है कि छात्रा द्वारा दोपहर करीब 1 बजे जहरीला पदार्थ खाया गया था जिसके बाद उसे गंभीर हालत में अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया.
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परिजनों द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि विवि प्रशासन द्वारा लगातार उस पर शोधकार्य को लेकर दबाव बनाया जा रहा था और इससे परेशान होकर उसने ये कदम उठाया है. वहीं विवि प्रशासन का कहना है कि किसी भी प्रोफेसर या अन्य अधिकारी द्वारा ऐसा कोई काम नहीं किया गया है और छात्रा ने परिवार में चल रही परेशानियों के चलते ऐसा कदम उठाया है.
छात्रा के परिजनों ने विवि प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप
छात्रा के पिता राजेश ने बताया कि सोनिया सुबह 10 बजे घर से विवि के लिए निकली थी. वो पिछले कुछ दिनों से ही अपने शोधकार्य को लेकर विवि प्रशासन द्वारा प्रताड़ित करने की बात कह रही थी जिसके चलते वो स्ट्रेस में थी. वहीं उसके पिता ने गाइड डॉ. नमीता पर भी कुछ गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने बताया कि छात्रा द्वारा जहरीला पदार्थ विवि परिसर में खाने के बाद भी उसकी गाइड ने काफी समय तक नही संभाला.
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अगर वो उसे समय पर अस्पताल ले आती तो उसकी जान बच सकती थी. छात्रा के पिता ने बताया कि सोनिया ने एफसी कॉलेज से ग्रेजुएशन की है, वहीं जीजेयू से ही एमएससी भी की है और वो हमेशा से ही होनहार छात्रा रही है. उन्होंने बताया कि ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन दोनो में ही गोल्ड मेडलिस्ट रही है. फिलहाल परिजनों ने वीसी, गाइड नमिता और डायरेक्टर पर आरोप लगाया है.
जीजेयू के वीसी ने आरोपों को नकारा
वहीं जीजेयू के वीसी टंकेश्वर कुमार का कहना है कि छात्रा द्वारा परिवार के आपसी मामले को लेकर ये कदम उठाया गया है. विवि द्वारा दबाव बनाने की कोई बात सामने नहीं आई है, हालांकि छात्रा को लैब में आने की इजाजत किसने दी ये जांच की जा रही है.
आपको बता दें कि विवि में इसी विभाग के पहले भी तीन स्कॉलर्स आत्महत्या कर चुकें हैं. सोनिया से पहले प्रशांत नाम के रिसर्च स्कॉलर ने उसकी शोध गाइड द्वारा किसी और को देने की बात कह कर आत्महत्या कर ली थी, वहीं दो अन्य शोधार्थियों ने भी हैरासमेंट के कारण ये कदम उठाया था.
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अब बड़ा सवाल ये भी है कि लॉकडाउन में जहां एक तरफ विवि प्रशासन द्वारा किसी को भी विवि परिसर में आने की अनुमति नहीं दी गई है तो ऐसी स्थिति में छात्रा को लैब में काम करने के लिए किसने इजाजत दी.