हिसार : हरियाणा के हिसार में साल 2014 के दौरान सतलोक आश्रम (Violence in Satlok Ashram) में हुए उपद्रव मामले से जुड़े एक और मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट का यह फैसला सात साल बाद आया है. कोर्ट ने आश्रम प्रमुख रामपाल को तीन साल की सजा और 5 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. बता दें कि सतलोक आश्रम मामले के दौरान आश्रम से साल 2014 में 408 रसोई गैस सिलेंडर मिले थे. इनमें से 138 सिलेंडर भरे और बाकी खाली थे. इन सिलेंडर से संबंधित किसी प्रकार के दस्तावेज नहीं मिले.
डीएफएससी की शिकायत पर 28 नवंबर 2014 को आश्रम संचालक रामपाल के खिलाफ वस्तु अधिनियम की धारा के तहत और धोखाधड़ी की धारा के तहत बरवाला थाने में केस दर्ज किया गया था. 28 नवम्बर 2014 में दर्ज हुए इस केस में लगभग 7 साल तक चली सुनवाई में 13 लोगों ने गवाही दी , जिसके के बाद धोखाधड़ी की धारा में आश्रम संचालक रामपाल को बरी कर दिया. वहीं आवश्यक वस्तु अधिनियम एक्ट के तहत दोषी करार देकर सजा सुनाई है. गौरतलब है कि इससे पहले ड्रग्स केस और सरकारी ड्यूटी में बाधा पहुंचाने के केस में सबूतों के अभाव में बाबा रामपाल को बरी किया जा चुका है.
क्या था मामला: दरअसल साल 2006 में करोंथा में जमीन विवाद को लेकर एक हिंसक घटना हुई थी जिसमें एक युवक की मौत हो गई थी उसके बाद उसी मामले में संत रामपाल को गिरफ्तार किया जाना था, लेकिन बाबा ने अपने साम्राज्य के दम पर कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की. इसके बाद 18 नवंबर, 2014 को पुलिस ने रामपाल की गिरफ्तारी के लिए आश्रम में प्रवेश करना चाहा तो वहां मामला बिगड़ गया और दो दिनों तक आश्रम में हिंसक घटनाएं चलती रही. इस दौरान समर्थकों समेत छह लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा कई पुलिसवाले भी घायल हुए थे. 20 नवंबर, 2014 को हत्यारे संत रामपाल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. रामपाल के अलावा पुलिस ने उसके समर्थकों को भी हिरासत में लिया था. उस दौरान पुलिस ने संत रामपाल पर हत्या अवैध स्टोरेज जैसे कई मुकदमे दर्ज किए थे. इनमें से अक्टूबर, 2018 मे हत्या के दो मामलों में संत रामपाल समेत 22 को दोषी करार दिया गया था , इन्हीं मामले की सजा में फिलहाल रामपाल हिसार जेल में बंद है.
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