हिसार: 2 अक्टूबर, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महात्मा गांधी के जन्मदिवस पर स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत की थी. जिसके बाद इसे व्यापक तौर पर राष्ट्रीय आंदोलन का रूप दिया गया, लेकिन छह सालों बाद भी हिसार शहर मे आबादी के हिसाब से सुलभ शौचालयों की संख्या काफी कम है. जिसके चलते लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता रहा है. खासकर भीड़-भाड़ वाले इलाकों में अभी शौचालयों की भारी कमी है.
गौरतलब है कि हिसार शहर की आबादी लगभग 3.50 लाख है, लेकिन अभी नगर निगम द्वारा मात्र 300 शौचालय बनाए गए है. वहीं बाजारों और अन्य भीड़-भाड़ वाले इलाकों में शौचालयों की संख्या जरूरत के मुकाबले काफी कम हैं.
आबादी के हिसाब से कम है शौचालयों की संख्या
इस संबंध में हिसार नगर निगम के ईओ अमन ढांडा ने बताया कि शहर की आबादी के हिसाब से शौलाचलयों की व्यवस्था की गई है. बाजरों में पब्लिक शौचालयों की व्यवस्था है. हिसार में तीन सौ शौचालय है जिसमें कुछ शुलभ शौचालय है. जो ठेके पर दिए हुए है. जिसकी समय-समय पर मॉनिटरिंग की जाती है. उन्होंने कहा कि हिसार में आबादी के हिसाब से शौचालय कम है. उन्होंने बताया कि अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि जिस ऐरिया में शौचालाय नहीं है. वहां पर शौचालयों का निर्माण किया जाए.
शौचालयों में नहीं है साफ सफाई
दुकानदार दीपक सिंघल ने बताया कि हिसार शहर में शौचालयों की काफी कमी है. कुछ शौचालयों में साफ-सफाई नहीं होती है. उनको भी साफ-सुथरा रखना नगर निगम की जिम्मेदारी है. वहीं इस कोरोना महामारी को लेकर शौचालयों में कोई व्यवस्था नहीं की गई है. उन्होंने प्रशासन से मांग की कि सभी शौचालयों को लगातार सैनिटाइज किया जाना चाहिए. जिससे जनता कोरोना से बचाया जा सके.
केंद्र व राज्य सरकार द्वारा भारत को खुले में शौच मुक्त बनाने के लिए स्वच्छ भारत अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन अभियान को लेकर अधिकारी गंभीर नहीं हैं. जिसके चलते हिसार में लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अब देखने वाली बात होगी कि नगर निगम कब तक इन शौचालयों का निर्माण कराता है.
ये भी पढ़ें: लॉकडाउन में बढ़ी अफीम-गांजे की तस्करी, झारखंड-ओडिशा बने डिलीवरी हब