हिसार: लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की पहल कारगर साबित हो रही है. यहां साइना नेहवाल ट्रेनिंग सेंटर में मशरूम उत्पादन को लेकर बेरोजगार युवाओं और किसानों को फ्री में ट्रेनिंग दी जा रही है. ये ट्रेनिंग ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से निशुल्क दी जाती है. दूसरे जिले या राज्यों से ट्रेनिंग लेने वाले युवाओं के लिए यहां मामूली चार्ज में होस्टल में ठहरने की सुविधा भी उपलब्ध है. ट्रेनिंग के बाद किसान अलग-अलग राज्यों में मशरूम की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
संस्थान की तरफ से महीने में दो बार मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग आयोजित की जाती है. जिसमें से एक ट्रेनिंग ऑफलाइन और एक ऑनलाइन होती है. ऑनलाइन ट्रेनिंग के दौरान करीब 10 राज्यों से 100 से ज्यादा लोग हिस्सा लेते हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के लोग ऑनलाइ ट्रैनिंग में शामिल होते हैं. बाहर से आने वालों के लिए होस्टल में ठहरने की भी सुविधा है. साइना नेहवाल ट्रेनिंग सेंटर के मुख्य अधिकारी डॉक्टर एके गोदारा ने बताया कि पूरे देश से कोई भी किसान हमारे संस्थान में ट्रेनिंग ले सकता है.
अगर ऑनलाइन ट्रेनिंग लेना चाहते हैं तो विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं और अगर कोई किसान ऑफलाइन ट्रेनिंग करना चाहता है तो यूनिवर्सिटी में समय-समय पर ट्रेनिंग दी जाती है. रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद आवेदक को तय समय पर बुलाया जाता है. दूसरे राज्यों से आने वाले किसानों के लिए कैंपस में किसान हॉस्टल और किसान आश्रम भी बना हुआ है.
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हॉस्टल में किसान या किसी भी ट्रेनिंग लेने वाले व्यक्ति को ठहरने के लिए ₹60 प्रति व्यक्ति चार्ज देना पड़ता है. इसके अलावा बिजली के लिए 7 रुपये अलग से चार्ज करना पड़ता है. हरियाणा में बटन मशरूम की खपत बेहद ज्यादा है. सोनीपत और पानीपत इन 2 जिलों में पूरे हरियाणा का 50% से भी ज्यादा बटन मशरूम का उत्पादन होता है. क्योंकि दिल्ली में इसकी खबर बहुत ज्यादा है और दिल्ली से सटे होने के कारण इन जिलों में आसानी से मशरूम बिक जाता है.
बटन मशरूम का उत्पादन सर्दियों में अक्टूबर महीने से शुरू होकर मार्च की शुरुआत तक होता है और इस सीजन में किसान दो फसल ले सकते हैं. अगर ऐसा प्लांट लगाकर किसान मशरूम की खेती करना चाहते हैं तो वो साल में छह फसल आसानी से ले सकते हैं. विश्विद्यालय के वैज्ञानिक डॉक्टर सतीश मेहता ने कहा कि मशरूम की खेती के लिए एक किसान 30×60 फुट के शेड में करीब 55 हजार रुपये के खर्चे से छोटी यूनिट शुरू कर सकता है. इस खर्च में वो बांस और पॉलीथिन से शैड बना सकता है.
इस साइड में 20 टन खाद आ जाती है, इतनी खाद से करीब 35 से 40 क्विंटल मशरूम का उत्पादन किया जा सकता है. जो औसत 80 रुपये किलो मार्केट में बिकती है. इस हिसाब से किसान को एक फसल से करीब 3.20 लाख रुपये की आमदनी होती है. शेड लगाने का खर्चा सिर्फ पहली साल ही 55000 होता है. उसके बाद अगले साल से सालाना 12 हजार रुपये का खर्च बचता है.
सीजनल मशरूम उत्पादन के लिए अगर कोई छोटी यूनिट शुरू करना चाहता है तो उसे शैड की जरूरत नहीं है. वो अपने पुराने घर या किसी खाली पड़े कमरे में भी मशरूम का काम शुरू कर सकता है. उसके लिए कमरे के अंदर सही तरीके से हवा पास होने जरूरी है. कमरे का टेंपरेचर मेंटेन करने के लिए पॉलीथिन को भी ढका जा सकता है. 3 क्विंटल तूड़ी से 6 किवंटल खाद बनाई जा सकती है. 1 क्विंटल खाद में 700 ग्राम बीज डाला जाता है. घर में उत्पादन के लिए 6 किवंटल खाद से 60 पॉलीथिन बैग भरे जा सकते हैं. एक बैग से 2 से 2.5 किलो मशरूम उत्पादन होता है. इस छोटी यूनिट से एक बार में 120 से 140 किलो तक मशरूम उत्पादन होता है.
भारतीय वातावरण में मुख्य रूप से पांच प्रकार की मशरूम उगाई जाती हैं. इसमें सफेद बटन मशरूम, ढिंगरी या ओयस्टर मशरूम, मिल्की मशरूम, पैड़ी स्ट्रॉ मशरूम, सीटाके मशरूम शामिल हैं. हरियाणा और आसपास के राज्यों में खासतौर पर सफेद बटन मशरूम की खेती की जाती है. इसकी किसमें s11, tm-79 है. सफेद बटन मशरूम की खेती 22 से 26 डिग्री सेल्सियस तापमान में आसानी से की जा सकती है.
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मशरूम की खेती में प्रयोग होने वाले बीज को स्पॉन कहते हैं. हरियाणा में मशरूम का बीज एचएयू हिसार, मुरथल यूनिवर्सिटी से लिया जा सकता है. वहीं नेशनल मशरूम रिसर्च सेंटर सोलन से भी हर किस्म का बीज आसानी से मिल जाता है. इसके अलावा देश के कई राज्यों में बहुत से ऐसे संस्थान हैं, जहां मशरूम का बीज आसानी से मिल जाता है. नेशनल मशरूम रिसर्च सेंटर की साइट पर इन संस्थानों की जानकारी उपलब्ध है. सुविधा के लिए किसान अपने बीच की बुकिंग पहले से एडवांस भी करवा सकते हैं.