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फलदार पेड़ों की कमी से विलुप्त हो रही पक्षियों की प्रजाति, वन विभाग बना रहा आशियाना

आबादी और शहरीकरण के विस्तार से पेड़ों की संख्या लगातार कम (Decreasing Number Of Trees) हो रही है. इससे पक्षियों के जीवन पर संकट मंडराने लगा है. कई पक्षी तो विलुप्त होने की कगार पर है. ऐसे में हांसी वन विभाग (Hansi Forest Department) ने एतिहासिक कदम उठाया है.

Number Of Fruit Trees
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Published : Aug 5, 2021, 7:20 PM IST

हिसार: पर्यावरण को संतुलित रखने में पेड़-पौधों के साथ पशु-पक्षियों की भूमिका भी अहम है, लेकिन बढ़ती आबादी और शहरीकरण के विस्तार से पेड़ों की संख्या लगातार कम (Decreasing Number Of Trees) हो रही है. इससे पक्षियों के जीवन पर संकट मंडराने लगा है. हालात ये है कि पक्षियों की अनेकों प्रजातियां जैसे गौरैया, तोता, गोल्डन चिड़िया, गुरशल, चील, बाज, नीलकंठ जैसे सैंकड़ों पक्षियों पर विलुप्त (birds going extinct) होने का खतरा मंडरा रहा है. इनको बचाने के लिए अब हांसी वन विभाग (Hansi Forest Department) सामने आया है.

पक्षियों के लिए जीवन यापन के लिए सबसे जरूरी है भोजन, पानी और रहने की जगह, अब पेड़ों की संख्या जैसे-जैसे कम हो रही है, तो उनके लिए भोजन और रहने का संकट गहरा गया है. पुराने समय में बरगद, पीपल, गुल्लर, सिरस आदि के पेड़ होते थे, जिन पर पक्षी अपने रहने के लिए आशियाना बनाते थे. अब पेड़ों को उनकी गुणवत्ता और लकड़ी लेने के आधार पर लगाया जाता है. इसी के चलते बरगद और पीपल जैसे पेड़ों की संख्या कम हो रही है. जिससे पक्षियों का आशियाना उजड़ गया है.

फलदार पेड़ों की कमी से विलुप्त हो रही पक्षियों का संख्या, वन विभाग बना रहा आशियाना

गौरया नाम की चिड़िया आज लगभग विलुप्त हो चुकी है. पक्षी प्रेमी और वरिष्ठ अधिवक्ता लाल बहादुर खोवाल का कहना है कि पहले सुबह उठते ही गोल्डन चिड़िया और हरी चिड़िया की चहचहाहट सुनने को मिलती थी, लेकिन अब वो उनकी फोटो ही बची हैं. इसके पीछे एक कारण है कि लोग अब सेवा भाव से ध्यान नहीं देते, पहले के टाइम में बुजुर्ग घर की छत पर मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर रखते थे. पक्षियों के लिए दाना डालते थे, अब ऐसा कोई नहीं करता.

जिसकी वजह से हमारे क्षेत्र में आने वाले विदेशी पक्षी भी आने बंद हो गए हैं. भोजन ना मिलने और शहरों में प्रदूषण के बेहद ज्यादा बढ़ने के कारण पक्षियों ने शहरी क्षेत्र से तो रुख मोड़ लिया है. ऐसे में कुछ ऐसी संस्थाएं हैं जो इन पक्षियों के लिए पेड़ों पर कृत्रिम आशियाने लगाती है. दाना पानी रखती है. सरकार को उन संस्थाओं को प्रोत्साहन देना चाहिए, ताकि पक्षियों को बचाया जा सके. वन विभाग को पक्षियों को भोजन देने वाले पेड़ों को अधिक से अधिक लगाना चाहिए.

Number Of Fruit Trees
पक्षियों के लिए आशियाने की तैयारी

ये भी पढ़ें- चंडीगढ़ में तेजी से खत्म हो रही इन ऐतिहासिक पेड़ों की विरासत

ऐसे में वन विभाग ने नायाब पहल की है, हांसी वन विभाग विशेष तौर पर 17 हजार ऐसे पेड़ों को लगाएगा. जिनसे पक्षियों को खाना मिले, बहुत से ऐसे पक्षी हैं जो भोजन के लिए पूरी तरह से पेड़ पौधों पर निर्भर हैं. इन पक्षियों को खाना देने वाले पेड़ मुख्य तौर पर गुल्लर, पीपल, बरगद, सिरसा, लेसवा, मोरिगा और नीम हैं. इन पेड़ों की पत्तियां, फलियां और बीज आदि पक्षियों के लिए बेहद अच्छे भोजन हैं. अगर आंकड़ों की बात की जाए तो हरियाणा में करीब 600 पक्षियों की प्रजाति पाई जाती हैं. जिनमें से अब देखने को बहुत ही कम मिलती है.

हिसार: पर्यावरण को संतुलित रखने में पेड़-पौधों के साथ पशु-पक्षियों की भूमिका भी अहम है, लेकिन बढ़ती आबादी और शहरीकरण के विस्तार से पेड़ों की संख्या लगातार कम (Decreasing Number Of Trees) हो रही है. इससे पक्षियों के जीवन पर संकट मंडराने लगा है. हालात ये है कि पक्षियों की अनेकों प्रजातियां जैसे गौरैया, तोता, गोल्डन चिड़िया, गुरशल, चील, बाज, नीलकंठ जैसे सैंकड़ों पक्षियों पर विलुप्त (birds going extinct) होने का खतरा मंडरा रहा है. इनको बचाने के लिए अब हांसी वन विभाग (Hansi Forest Department) सामने आया है.

पक्षियों के लिए जीवन यापन के लिए सबसे जरूरी है भोजन, पानी और रहने की जगह, अब पेड़ों की संख्या जैसे-जैसे कम हो रही है, तो उनके लिए भोजन और रहने का संकट गहरा गया है. पुराने समय में बरगद, पीपल, गुल्लर, सिरस आदि के पेड़ होते थे, जिन पर पक्षी अपने रहने के लिए आशियाना बनाते थे. अब पेड़ों को उनकी गुणवत्ता और लकड़ी लेने के आधार पर लगाया जाता है. इसी के चलते बरगद और पीपल जैसे पेड़ों की संख्या कम हो रही है. जिससे पक्षियों का आशियाना उजड़ गया है.

फलदार पेड़ों की कमी से विलुप्त हो रही पक्षियों का संख्या, वन विभाग बना रहा आशियाना

गौरया नाम की चिड़िया आज लगभग विलुप्त हो चुकी है. पक्षी प्रेमी और वरिष्ठ अधिवक्ता लाल बहादुर खोवाल का कहना है कि पहले सुबह उठते ही गोल्डन चिड़िया और हरी चिड़िया की चहचहाहट सुनने को मिलती थी, लेकिन अब वो उनकी फोटो ही बची हैं. इसके पीछे एक कारण है कि लोग अब सेवा भाव से ध्यान नहीं देते, पहले के टाइम में बुजुर्ग घर की छत पर मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर रखते थे. पक्षियों के लिए दाना डालते थे, अब ऐसा कोई नहीं करता.

जिसकी वजह से हमारे क्षेत्र में आने वाले विदेशी पक्षी भी आने बंद हो गए हैं. भोजन ना मिलने और शहरों में प्रदूषण के बेहद ज्यादा बढ़ने के कारण पक्षियों ने शहरी क्षेत्र से तो रुख मोड़ लिया है. ऐसे में कुछ ऐसी संस्थाएं हैं जो इन पक्षियों के लिए पेड़ों पर कृत्रिम आशियाने लगाती है. दाना पानी रखती है. सरकार को उन संस्थाओं को प्रोत्साहन देना चाहिए, ताकि पक्षियों को बचाया जा सके. वन विभाग को पक्षियों को भोजन देने वाले पेड़ों को अधिक से अधिक लगाना चाहिए.

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पक्षियों के लिए आशियाने की तैयारी

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ऐसे में वन विभाग ने नायाब पहल की है, हांसी वन विभाग विशेष तौर पर 17 हजार ऐसे पेड़ों को लगाएगा. जिनसे पक्षियों को खाना मिले, बहुत से ऐसे पक्षी हैं जो भोजन के लिए पूरी तरह से पेड़ पौधों पर निर्भर हैं. इन पक्षियों को खाना देने वाले पेड़ मुख्य तौर पर गुल्लर, पीपल, बरगद, सिरसा, लेसवा, मोरिगा और नीम हैं. इन पेड़ों की पत्तियां, फलियां और बीज आदि पक्षियों के लिए बेहद अच्छे भोजन हैं. अगर आंकड़ों की बात की जाए तो हरियाणा में करीब 600 पक्षियों की प्रजाति पाई जाती हैं. जिनमें से अब देखने को बहुत ही कम मिलती है.

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