हिसार: हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि स्कूलों के शिक्षकों और स्टाफ के कोविड टेस्ट कराने के निर्देशों पर पुनर्विचार किया जाए. हसला का मानना है कि सिर्फ शिक्षकों और स्टाफ के टेस्ट से कोरोना संक्रमण रोकना संभव नहीं है.
हसला के जिला प्रधान दलबीर पंघाल ने कहा कि प्रदेशभर के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को आंशिक तौर पर खोला गया है. इसके लिए शिक्षकों और स्टाफ के कोरोना टेस्ट कराए गए, लेकिन सिर्फ शिक्षकों और स्टाफ का टेस्ट कराने भर से कोरोना को रोकना असंभव है. इसके लिए जरूरी है कि स्कूल आने वाले छात्र और उनके अभिभावकों के भी कोरोना टेस्ट कराए जाएं.
उन्होंने कहा कि अगर स्कूल आने वाले छात्रों, स्कूल प्रबंधन समिति और अभिभावकों के संबंधी टेस्ट नहीं होंगे तो सिर्फ शिक्षकों के कोविड टेस्ट कराने का औचित्य नहीं रह जाएगा. जिला प्रधान ने आगे कहा कि पिछले दिनों विभागीय निर्देशों के अनुसार परिवार पहचान पत्र बनाते वक्त राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गांधरा (रोहतक) में सावधानी बरतने के बावजूद संक्रमित ग्रामीणों से विद्यालय के 6 सदस्य संक्रमित हो गए थे. अब सभी के टेस्ट करवाने की इस प्रक्रिया में तो हजारों शिक्षकों के संक्रमित होने की आशंका है.
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पंघाल ने कहा कि विभाग द्वारा दिए गए निर्देशों को लागू करने के लिए विभिन्न जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों ने आनन-फानन में तरह-तरह के निर्देश जारी कर दिए हैं, जिनमें एकरूपता भी नहीं है. कुछ जिला शिक्षा अधिकारियों ने स्कूल के आसपास के स्वास्थ्य केंद्रों से टेस्ट कराने के निर्देश दिए हैं तो कुछ ने जिला मुख्यालय स्थित सिविल अस्पताल से संबंधित टेस्ट कराने की बात कही है.
इतना ही नहीं कुछ जिला शिक्षा अधिकारियों ने ये बताया ही नहीं कि टेस्ट कहां से कराना है, सिर्फ ये निर्देश दिए हैं कि टेस्ट कराकर उसकी रिपोर्ट जमा करानी है. इस प्रक्रिया से शिक्षकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.