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'किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस हों और उन्हें एमएसपी का गारंटी मिले'

हरपाल बूरा ने कहा कि 20 हजार किसानों पर मुकदमा दर्ज किया गया है. उनके मुकदमे वापस लिए जाने चाहिए और किसानों को एमएसपी की गांरटी दी जानी चाहिए.

harpal boora congress leader hisar
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Published : Nov 30, 2020, 10:11 PM IST

हिसार: कांग्रेस नेता हरपाल बूरा ने कृषि कानून को लेकर बीजेपी सरकार को जमकर घेरा. उन्होंने कहा कि इतिहास में जब-जब किसानों ने आंदोलन किया. तब-तब सरकार गई है. उन्होंने कहा कि 1970 में चौधरी देवीलाल हरियाणा के सीएम बने थे. तब उन्होंने फ्लैट रेट निधारित किया. उस दौरान आंदोलन हुआ तो सरकार चली गई.

उन्होंने कहा कि 1986 में बिजली के रेट बढ़ दिए गए. किसानों को बिजली के रेट भरने पर मजबूर किया गया. तब किसानों ने विरोध किया. उस समय सरकार चली गई. उस आंदोलन में किसान भी शहीद हुए थे.

हरपाल ने किया कृषि कानून का विरोध

हरपाल बूरा ने कहा कि जब जब किसानों का सरकार से टकराव हुआ है. तब-तब सरकारों को सत्ता से हाथ धोना पड़ा. उन्होंने कहा कि इस बार भी किसानों पर संगीन आपराधिक मुकदमें दर्ज किए गए है. कांग्रेस पार्टी मजदूर दलित और किसानों के हित के लिए काम रही हैं. सभी कांग्रेसी नेता किसानों के साथ खडे हैं.

हरपाल बूरा ने कहा कि कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने पानीपत में आकर किसानों का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि 20 हजार किसानों पर मुकदमा दर्ज किया गया है. उनके मुकदमे वापस लिए जाने चाहिए और किसानों को एमएसपी की गांरटी दी जानी चाहिए. एमसएसपी से कम रेट दिया जाता है उसे दडनीय अपराध घोषित किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़ें- पांचवें दिन भी सिंघु बॉर्डर पर डटे रहे किसान, अब दिल्ली घेराव की तैयारी

उन्होंने कहा कि किसानों को बातचीत के लिए लंबा समय दिया गया है. जब आंदोलन शुरु हुआ था तब ही किसानों को बातचीत के लिए समय दे देना चाहिए था. बूरा ने कहा कि सरकार खाईयां खोद रही है. किसानों पर पानी की बौछार कर रही है और उन पर लाठी चार्ज कर किसानों पर अत्याचार कर रही है.

हिसार: कांग्रेस नेता हरपाल बूरा ने कृषि कानून को लेकर बीजेपी सरकार को जमकर घेरा. उन्होंने कहा कि इतिहास में जब-जब किसानों ने आंदोलन किया. तब-तब सरकार गई है. उन्होंने कहा कि 1970 में चौधरी देवीलाल हरियाणा के सीएम बने थे. तब उन्होंने फ्लैट रेट निधारित किया. उस दौरान आंदोलन हुआ तो सरकार चली गई.

उन्होंने कहा कि 1986 में बिजली के रेट बढ़ दिए गए. किसानों को बिजली के रेट भरने पर मजबूर किया गया. तब किसानों ने विरोध किया. उस समय सरकार चली गई. उस आंदोलन में किसान भी शहीद हुए थे.

हरपाल ने किया कृषि कानून का विरोध

हरपाल बूरा ने कहा कि जब जब किसानों का सरकार से टकराव हुआ है. तब-तब सरकारों को सत्ता से हाथ धोना पड़ा. उन्होंने कहा कि इस बार भी किसानों पर संगीन आपराधिक मुकदमें दर्ज किए गए है. कांग्रेस पार्टी मजदूर दलित और किसानों के हित के लिए काम रही हैं. सभी कांग्रेसी नेता किसानों के साथ खडे हैं.

हरपाल बूरा ने कहा कि कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने पानीपत में आकर किसानों का समर्थन किया. उन्होंने कहा कि 20 हजार किसानों पर मुकदमा दर्ज किया गया है. उनके मुकदमे वापस लिए जाने चाहिए और किसानों को एमएसपी की गांरटी दी जानी चाहिए. एमसएसपी से कम रेट दिया जाता है उसे दडनीय अपराध घोषित किया जाना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि किसानों को बातचीत के लिए लंबा समय दिया गया है. जब आंदोलन शुरु हुआ था तब ही किसानों को बातचीत के लिए समय दे देना चाहिए था. बूरा ने कहा कि सरकार खाईयां खोद रही है. किसानों पर पानी की बौछार कर रही है और उन पर लाठी चार्ज कर किसानों पर अत्याचार कर रही है.

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