हिसार: दुधारू पशुओं पर अपने रिसर्च के लिए विख्यात केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान यानी सीआरआईबी ने पशुपालकों को एक नहीं बल्कि तीन-तीन खुशखबरी दी है. अपनी गाय या भैंसों के गर्भधारण को लेकर संशय में रहने वाले पशुपालक अब अपने पशुओं के गर्भधारण की सटीक जांच कर सकेंगे. कई महीनों के इंतजार के बाद पशुओं का गर्भ खाली रहने की समस्या से पशुपालकों को अब छुटकारा मिल जायेगा.
पहले पशुओं के गर्भ का पता अल्ट्रासाउंड या पारंपरिक तकनीक से ही लगता था, लेकिन अब ये परेशानी नहीं होगी. इसके लिए हिसार में सिरसा रोड स्थित केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने देश की प्रथम गाय भैंस गर्भ जांच किट तैयार कर ली है. जो पशुओं के मूत्र से गर्भ की जांच करेगी.
सीआईआरबी के निदेशक डॉ. एसएस दहिया ने बताया कि इस किट को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों में एनडीआरआई करनाल व आईवीआरआई के वैज्ञानिक भी शामिल हैं. किट को तैयार करने में आठ साल का वक्त लगा है और इसे पेटेंट के लिए भेज दिया गया है. पेटेंट मिलते ही किट का व्यवसायिक उत्पादन शुरू कर दिया जायेगा. फिलहाल इसका प्रोटोटाइप तैयार किया गया है. उन्होंने बताया कि अब तक जांच में इस किट के परिणाम 93 फीसदी तक सही मिले हैं. उन्होंने कहा कि इसकी कीमत लगभग 300 रुपये आएगी.
जांच किट की खासियत क्या है ?
ये किट भैंस या गाय के मद चक्र पूरा होने पर प्रारंभिक गर्भ जांच के लिए बनाई गई है. इसमें पशु के मूत्र के माध्यम से जांच की जाती है. ये किट अधिकांश पशुओं में कम दिनों में गर्भावस्था की जांच कर सकती है. परिणामों की ज्यादा सटीकता के लिए परीक्षण को 12 से 15 दिनों बाद दोबारा भी किया जा सकता है. यह किट स्वस्थय पशुओ की गर्भ जांच के लिए है. इस किट से 18 दिन के अंदर ही गर्भधारण का पता लग सकेगा.
दूसरी उपलब्धि
सीआईआरबी के निदेशक डॉ. एसएस दहिया ने बताया कि केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों की टीम ने लंबी रिसर्च के बाद तेल, कैमिकल, प्लांट के पत्ते से विशेष प्रकार का मिश्रण तैयार किया है. जिसके सेवन से जहां पशु हष्ट पुष्ट होंगे. वहीं गाय और भैंस के दूध में भी बढ़ोतरी होगी. यहीं नहीं सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि मिश्रण के सेवन से पशुओं से निकलने वाली मीथेन गैस 20 से लेकर 25 प्रतिशत तक कम निकलेगी. उन्होंने बताया कि इस मिश्रण का 60 पशुओं पर परीक्षण किया गया और नतीजे सकारात्मक मिले. सीआईआरबी के निदेशक डॉ. एसएस दहिया ने बताया कि इस मिश्रण के पेंटेंट के लिए इंडिया पेंटेट आफिस फाइल भेज दी गई है.
तीसरी उपलब्धि
डॉ. दहिया ने संस्थान की एक और सफल रिसर्च के बारे में बताया कि क्लोन तकनीक से तैयार झोटों का वीर्य भी सामान्य झोटों की तरह काम करता है. कई साल की रिसर्च के बाद ये बात निकलकर सामने आयी है. उन्होंने कहा कि इससे अब बढ़िया नस्ल के झोटों की क्लोनिंग में आसानी होगी. ये रिसर्च क्लोन तकनीक से तैयार 'हरियाणा गौरव' नामक झोटे पर की गयी है.
वाकई केन्द्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान की ये रिसर्च पशुपालकों के लिए बहुत ही लाभकारी सिद्ध होगी, क्योंकि पशुओं की गर्भ जांच अल्ट्रासाउंड या पारंपरिक तरीकों से होता है. जिससे समय और पैसा दोनों की हानि होती है.
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