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38 गांव के ग्रामीणों ने गुरुग्राम नगर निगम में शामिल होने का किया विरोध - 38 गांव ग्रामीण विरोध गुरुग्राम नगर निगम

गुरुग्राम नगर निगम द्वारा 38 गांवों को नगर निगम में शामिल करने के ऐलान के बाद इन गांवों के निवासियों ने इस ऐलान का विरोध करना शुरू कर दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि पहले जिन गांवों को नगर निगम में शामिल किया गया था. उनकी स्थिति किसी कबाड़ से कम नहीं है. इसलिए उनको नगर निगम का ये ऐलान मंजूर नहीं है.

villagers protest against inclusion of villages in gurugram municipal corporation
38 गांवों के ग्रामीणों ने गुरुग्राम नगर निगम में शामिल होने का किया विरोध
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Published : Sep 23, 2020, 9:36 PM IST

गुरुग्राम: 'पहले 35 वार्डों की बदसूरती संभालो, फिर करना गावों को नगर निगम में शामिल' ये कहना है 38 गांवों के प्रतिनिधियों का. दरअसल नगर निगम गुरुग्राम जिले की 38 ग्राम पंचायतों को खत्म कर नगर निगम में शामिल करने जा रहा है. इसी को लेकर ग्राम पंचायतें विरोध कर रही हैं.

गुरुग्राम जिला सरपंच एसोसिएशन के प्रधान सुंदर लाल ने कहा कि नगर निगम का ध्यान गांवों का विकास करने से ज्यादा 38 गांवों की जमीन और पंचायतों की करोड़ों की एफडी पर है. उन्होंने कहा कि जो गांव पहले नगर निगम में शामिल हो चुके हैं. वो किसी कबाड़ घर से कम नहीं दिखते. इसलिए नगर निगम को चाहिए कि जिन गांवों में पीने का साफ पानी तक सप्लाई नहीं हो रही है. उनकी पहले सूरत बदले.

38 गांवों के ग्रामीणों ने गुरुग्राम नगर निगम में शामिल होने का किया विरोध

वहीं 38 गांवों की संघर्ष समिति के प्रधान बीरू सरपंच ने कहा कि नगर निगम पहले उन गांवों की बदहाली का जवाब दे. जिनकी करोड़ों की जमीन और करोड़ों रुपयों को नगर निगम डकार तो गया, लेकिन विकास के नाम पर उन गांवों को कुछ नहीं दिया गया. उन्होंने बताया कि इन गांवों को बीते सालों में नगर निगम में शामिल किया गया था.

बीरू सरपंच ने कहा कि नगर निगम गुरुग्राम की नजर इन 38 गांवों की 7 हजार 21 एकड़ जमीन पर गड़ी है. जिसकी कीमत अरबों में रुपये है. वहीं सोहना खंड के भौंडसी गांव के सरपंच संजय राघव ने कहा कि नगर निगम की गिद्ध नजर ना सिर्फ खेतों पर है. बल्कि इन 38 गांवों में 900 करोड़ रुपये से ज्यादा की जमा एफडी पर भी है. जिसे नगर निगम और सरकार डकारना चाहती है.

ये भी पढ़ें: कोरोना महामारी पर खर्च 345 करोड़ रु को लेकर किरण चौधरी ने सरकार पर बोला हमला

गुरुग्राम: 'पहले 35 वार्डों की बदसूरती संभालो, फिर करना गावों को नगर निगम में शामिल' ये कहना है 38 गांवों के प्रतिनिधियों का. दरअसल नगर निगम गुरुग्राम जिले की 38 ग्राम पंचायतों को खत्म कर नगर निगम में शामिल करने जा रहा है. इसी को लेकर ग्राम पंचायतें विरोध कर रही हैं.

गुरुग्राम जिला सरपंच एसोसिएशन के प्रधान सुंदर लाल ने कहा कि नगर निगम का ध्यान गांवों का विकास करने से ज्यादा 38 गांवों की जमीन और पंचायतों की करोड़ों की एफडी पर है. उन्होंने कहा कि जो गांव पहले नगर निगम में शामिल हो चुके हैं. वो किसी कबाड़ घर से कम नहीं दिखते. इसलिए नगर निगम को चाहिए कि जिन गांवों में पीने का साफ पानी तक सप्लाई नहीं हो रही है. उनकी पहले सूरत बदले.

38 गांवों के ग्रामीणों ने गुरुग्राम नगर निगम में शामिल होने का किया विरोध

वहीं 38 गांवों की संघर्ष समिति के प्रधान बीरू सरपंच ने कहा कि नगर निगम पहले उन गांवों की बदहाली का जवाब दे. जिनकी करोड़ों की जमीन और करोड़ों रुपयों को नगर निगम डकार तो गया, लेकिन विकास के नाम पर उन गांवों को कुछ नहीं दिया गया. उन्होंने बताया कि इन गांवों को बीते सालों में नगर निगम में शामिल किया गया था.

बीरू सरपंच ने कहा कि नगर निगम गुरुग्राम की नजर इन 38 गांवों की 7 हजार 21 एकड़ जमीन पर गड़ी है. जिसकी कीमत अरबों में रुपये है. वहीं सोहना खंड के भौंडसी गांव के सरपंच संजय राघव ने कहा कि नगर निगम की गिद्ध नजर ना सिर्फ खेतों पर है. बल्कि इन 38 गांवों में 900 करोड़ रुपये से ज्यादा की जमा एफडी पर भी है. जिसे नगर निगम और सरकार डकारना चाहती है.

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