सोहना/गुरुग्रामः लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. काम धंधा बंद होने की वजह से दिहाड़ी मजदूरी कर पेट भरने वाले मजदूरों के सामने आर्थिक संकट आन खड़ा है. जिसके चलते ये मजदूर अपने गृह राज्य के लिए पलायन करने को मजबूर हो गए हैं. लेकिन इस दौरान सोहना में कुछ ऐसे मजदूर भी फंसे हैं जो ना तो पैदल जा पा रहे हैं और ना ही प्रशासन द्वारा उन्हें उनके घर पहुंचाया जा रहा है.
'नहीं मिली प्रशासनिक मदद'
सोहना में भूख प्यास से ग्रस्त मजदुरों का जब सब्र का बांध टूट गया तो ये सारे मजदूर सोहना एसडीएम कार्यालय पहुंच गए. इस दौरान इन लोगों ने एसडीएम से मदद की गुहार लगाई. प्रवासी मजदूरों का आरोप है कि वो लगातार पांच दिनों से कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं लेकिन इनकी कोई सुनवाई नहीं करता. हर बार अधिकारियों द्वारा बस आश्वासन देकर घर भेज दिया जाता है.
'बच्चों के दूध के भी पैसे नहीं'
मजदूरों का कहना है कि लॉकडाउन के शुरूआत में उन्हें राशन पानी दिया गया लेकिन पिछले 15 दिनों से प्रशासन द्वारा कोई मदद उन्हें नहीं मिली है. ना तो राशन दिया जा रहा है और ना ही कोई आर्थिक मदद. इन प्रवासी मजदूरों का कहना है कि उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं जो दिनभर भूखे प्यासे इधर-उधर घूम रहे हैं. वहीं पैसे ना होने के कारण बच्चों के लिए दूध का भी जुगाड़ नहीं हो पा रहा है.
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SDM ने फिर दिया आश्वासन
वहीं सोहना की एसडीएम चिनार चहल ने कहा है कि सभी की मदद की जाएगी. फिलहाल उन्होंने सभी प्रवासी मजदूरों को शेल्टर होम में रखवाने की बात कही है. एसडीएम ने आश्वासन दिया है जल्द ही उन लोगों को उनके गृह राज्य भेजा जाएगा. इसके लिए पहले इन सबकी जानकारी ली जाएगी.