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42 साल बाद घामडौज गांव के साथ इंसाफ, लंबी लड़ाई के बाद वापस मिली 26 एकड़ जमीन

सोहना के घामडौज गांव को 42 साल तक अदालती लड़ाई के बाद आखिरकार गांव की जमीन वापस मिल ही गई. घामडौज गांव की 26 एकड़ जमीन साल 1976 में एक ट्रस्ट को आंखो का अस्पताल चलाने के लिए दी गई थी. लेकिन ट्रस्ट संचालक ने इस जमीन कब्जा कर लिया था. जिसके बाद नाराज ग्रामीणों ने इंसाफ के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अपनी जमीन वापस ले ली.

26 acre land dispute ghamroj village
42 साल बाद घामडौज गांव के साथ इंसाफ
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Published : Jan 4, 2020, 10:15 PM IST

गुरुग्रामः सोहना के घामडौज गांव को 42 साल तक अदालती लड़ाई लड़ने के बाद आखिरकार गांव की जमीन वापस मिल गई है. गांव ने ट्रस्ट के खिलाफ कोर्ट में केस किया हुआ था जिसपर पिछले 42 साल से सुनवाई हो रही थी. आज शनिवार को कोर्ट ने तमाम दलील सुनने के बाद गांव के पक्ष में ये फैसला सुनाया और गांव को साढ़े 26 एकड़ जमीन वापस मिल गई है. वहीं अपनी जमीन वापस पाकर ग्रामीणों में खुशी का माहौल है.

जिस मकसद से जमीन दी थी वो ही पूरा नहीं हुआ- सरपंच
ग्रामीणों के मुताबिक घामडौज की ये जमीन सन् 1976 में गांव की पूर्व पंचायत ने एक ट्रस्ट को आंखो का अस्पताल चलाने के लिए दी थी. लेकिन ट्रस्ट के संचालक ने इस जमीन को कुछ सालों पहले ही अपने नाम करा लिया था. जिसके बाद से पूरा गांव इस बात से रोष में था और इसी को लेकर गांव के मौजिज लोगों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. जिसके बाद कोर्ट में लंबे समय से ये केस चल रहा था

42 साल बाद घामडौज गांव के साथ इंसाफ, लंबी लड़ाई के बाद वापस मिली 26 एकड़ जमीन

42 साल की लड़ाई के बाद मिली जीत
घामडौज सरपंत निर्मला देवी का कहना है कि पंचायत की तरफ से भी लगातार ये कोशिश थी कि ये जमीन गांव को मिले. वहीं आखिर कार 42 साल की लड़ाई के बाद ये बेशकिमती जमीन गांव को मिल गई. इस जमीन पर पूरे प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पैमाईश कराके इस जमीन को गांव को सौंपा है. ग्रामीणों की मानें तो इस जमीन के आने से अब गांव में खुशी का महौल है. वही सरपंच निर्मला देवी ने भी इस जमीन के वापस आने से कोर्ट और सरकार का धन्यवाद किया है.

ये भी पढ़ेंः राम रहीम को सुनारिया जेल में भी मिल रहा VIP ट्रीटमेंट! जेल मंत्री बोले 'कुछ लोगों की जिंदगी खास'

सामाजिक प्रयोग में लाई जाएगी जमीन- सरपंच
सरपंच निर्मला देवी ने कहा कि जिस वादे के तहत ट्रस्ट को ये जमीन दी थी. उसके अनुरूप ग्रामीणों को इस ट्रस्ट और अस्पताल से कुछ फायदा नहीं मिल रहा था. जिसके चलते अब इसमें पंचायत कुछ अच्छा करेगी. उन्होंने बताया कि इससे ग्रामीण ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों को भी फायदा होगा. फिलहाल ग्रामीणों को ये उम्मीद है कि अब कुछ अच्छा होगा. उनका कहना है कि इस जमीन को अब समाजिक प्रयोग के लिए काम में लाना चाहिए जिससे ग्रामीणों को फायदा मिल सके.

गुरुग्रामः सोहना के घामडौज गांव को 42 साल तक अदालती लड़ाई लड़ने के बाद आखिरकार गांव की जमीन वापस मिल गई है. गांव ने ट्रस्ट के खिलाफ कोर्ट में केस किया हुआ था जिसपर पिछले 42 साल से सुनवाई हो रही थी. आज शनिवार को कोर्ट ने तमाम दलील सुनने के बाद गांव के पक्ष में ये फैसला सुनाया और गांव को साढ़े 26 एकड़ जमीन वापस मिल गई है. वहीं अपनी जमीन वापस पाकर ग्रामीणों में खुशी का माहौल है.

जिस मकसद से जमीन दी थी वो ही पूरा नहीं हुआ- सरपंच
ग्रामीणों के मुताबिक घामडौज की ये जमीन सन् 1976 में गांव की पूर्व पंचायत ने एक ट्रस्ट को आंखो का अस्पताल चलाने के लिए दी थी. लेकिन ट्रस्ट के संचालक ने इस जमीन को कुछ सालों पहले ही अपने नाम करा लिया था. जिसके बाद से पूरा गांव इस बात से रोष में था और इसी को लेकर गांव के मौजिज लोगों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. जिसके बाद कोर्ट में लंबे समय से ये केस चल रहा था

42 साल बाद घामडौज गांव के साथ इंसाफ, लंबी लड़ाई के बाद वापस मिली 26 एकड़ जमीन

42 साल की लड़ाई के बाद मिली जीत
घामडौज सरपंत निर्मला देवी का कहना है कि पंचायत की तरफ से भी लगातार ये कोशिश थी कि ये जमीन गांव को मिले. वहीं आखिर कार 42 साल की लड़ाई के बाद ये बेशकिमती जमीन गांव को मिल गई. इस जमीन पर पूरे प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पैमाईश कराके इस जमीन को गांव को सौंपा है. ग्रामीणों की मानें तो इस जमीन के आने से अब गांव में खुशी का महौल है. वही सरपंच निर्मला देवी ने भी इस जमीन के वापस आने से कोर्ट और सरकार का धन्यवाद किया है.

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सामाजिक प्रयोग में लाई जाएगी जमीन- सरपंच
सरपंच निर्मला देवी ने कहा कि जिस वादे के तहत ट्रस्ट को ये जमीन दी थी. उसके अनुरूप ग्रामीणों को इस ट्रस्ट और अस्पताल से कुछ फायदा नहीं मिल रहा था. जिसके चलते अब इसमें पंचायत कुछ अच्छा करेगी. उन्होंने बताया कि इससे ग्रामीण ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों को भी फायदा होगा. फिलहाल ग्रामीणों को ये उम्मीद है कि अब कुछ अच्छा होगा. उनका कहना है कि इस जमीन को अब समाजिक प्रयोग के लिए काम में लाना चाहिए जिससे ग्रामीणों को फायदा मिल सके.

Intro:एंकर 

सोहना के गांव घामडौज को 42 साल तक अदालती लड़ाई लड़ने  के बाद आखिर गांव की जमीन वापस मिल ही गई....गांव ने ट्रस्ट के खिलाफ कोर्ट में केस किया हुआ था...कोर्ट ने तमाम दलील सुनने के बाद गांव के पक्ष में ये फैसला सुनाया और गांव को साढ़े 26 एकड़ जमीन वापस मिल गई है..


Body:

वीओ-1

गांव घामडौज की ये  जमीन सन 1976 में गांव की पूर्व पंचायत ने एक ट्रस्ट  को आंखो का अस्पताल चलाने के लिए दी थी..... लेकिन ट्रस्ट के संचालक ने इस जमीन को कुछ सालों पहले ही अपने नाम करा लिया था...जिसके बाद से पूरा गांव इस बात से रोष में था...और इसी को लेकर गांव के मौजिज लोगो ने अदालत का दरवाजा खटखटाया जिसके बाद कोर्ट में लंबे समय से ये केस चल रहा था....पंचायत की तरफ से भी लगातार ये कोशिस थी कि  ये जमीन गांव को मिले...वही आखिर कार 42 साल बाद ये बेशकिमती जमीन गांव को मिल गई... 


बाइट, निर्मला देवी, सरपंच घामडौज गांव 


वीओ-2

ग्रामीणों की माने तो इस जमीन के आने से अब गांव में खुशी का महौल है....वही सरपंच निर्मला देवी ने भी इस जमीन के वापस आने से कोर्ट और सरकार का भी धन्यवाद किया है....उनका कहना है कि जिस वादे के तहत ट्रस्ट को ये जमीन दी थी....उसके अनुरूप ग्रामीणों को इस ट्रस्ट और अस्पताल से कुछ फायदा नहीं मिल रहा था...जिसके चलते अब इसमें पंचायत कुछ अच्छा करेगी...जिससे ग्रामीण ही नहीं बल्कि आसपास के गांवों को भी फायदा होगा.....फिलहाल ग्रामीणों की ये उम्मीद है कि अब कुछ अच्छा होगा..इस जमीन पर पूरे प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पैमाईश कराके इस जमीन को गांव को सौंपा है....


बाइट, स्थानीय निवासी 

बाइट, स्थानीय निवासी 

बाइट, स्थानीय निवासी 

बाइट, स्थानीय निवासी 

Conclusion:वीओ-3

इस जमीन के वापस आने से ग्रामीणों में काफी उत्साह है...ग्रामीणों का कहना है कि  इस जमीन को अब समाजिक प्रयोग के लिए काम में लाना चाहिए जिससे ग्रामीणों को फायदा मिल सके....क्यूकि जिस विश्वास और उम्मीद के साथ ये ट्रस्ट को दी थी वो इस बात पर खरा नहीं उतरे....जिसके चलते गांव को ये जमीन वापस मिली है....

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