गुरुग्राम: जिले के प्रसिद्ध शीतला माता मंदिर में हर साल की तरह पवित्र और प्राचीन चैत्र मेले की शुरुआत हुई. इसके साथ ही देश के कोने-कोने से माता शीतला के भक्तों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है. करीब तीन महीने तक चलने वाले इस वाले मेले में दूर-दराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं.
मान्यता है कि जो भी मंदिर में सच्ची श्रद्धा से आता है, माता शीतला उन्हें कभी निराश नहीं करती और उनकी मानी हुई हर मन्नत पूरी होती है. मंदिर प्रशासन की माने तो करीब सवा लाख श्रद्धालु यहां रोजाना मां के दर्शनों के लिए आते हैं. नवरात्रों के नौ दिन तक शीतला माता के दरबार में लोगों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है.
शीतला माता को नौ दुर्गों में सप्तकाल रात्रि माता के रूप में माना गया है. बताया जाता है कि शीतला माता गुरु द्रोण की पत्नी और पांडव काल के कृपाचार्य की बहन कृपी है. माता कृपी ने पांडव काल में इसी स्थान पर भगवान शंकर की तपस्या की थी जिस फल स्वरूप भगवान शंकर ने वरदान दिया था कि हर युग में मां आरोग्य और शीतला माता के रूप में पूजी जाएंगी.
वहीं सैकड़ों साल पहले गुरुग्राम में गुड़गांव गांव के दादा सिंघा को सपने में मां ने दर्शन दिए और तालाब में अपनी मूर्ति के होने का संकेत दिया था, जिसके बाद तालाब में खुदाई के दौरान माता शीतला की मूर्ति प्रकट हुई.
नवरात्रों की शुरुआत के साथ इस चैत्र मेले में आए श्रद्धालुओं ने काफी संख्या में पहुंचकर दर्शन किए गए. उनका कहना है कि कि माता शीतला कुल देवी है, जिसके दर्शनों से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. इसीलिए लोग यहां दूर-दूर से मां के दर्शनों के लिए आते है. ऐसी भी मान्यता है कि प्राचीन काल से ही लोग यहां अपनी मन्नतें मांगने और महामारीओं से बचने आते रहे हैं.