ETV Bharat / state

कलयुग के 'श्रवण कुमार', पिता के लिए नौकरी छोड़ बना रहे हैं मिट्टी के बर्तन

आज के दौर में युवा इंजीनियरिंग करके किसी कंपनी में नौकरी करना पसंद करते हैं, लेकिन गुरुग्राम के सोहना में 2 भाई ऐसे भी हैं जिन्होंने इंजीनियरिंग तो जरूर की है लेकिन नौकरी के लिए नहीं बल्कि अपने पिता के लिए.

author img

By

Published : Jun 20, 2019, 10:07 PM IST

डिजाइन फोटो

गुरुग्रामः सोहना के भोंडसी में राजेन्द्र नाम के एक शख्स का मिट्टी के बर्तन बनाने का कारोबार है. राजेन्द्र अपने परिवार से साथ अरावली की तलहटी में रहते हैं. राजेंद्र के एक बेटे ने कंप्यूटर साइंस से बीटेक किया है तो वहीं दूसरे बेटे ने मैकेनिकल से पॉलिटेक्निक डिप्लोमा किया है.

गुरुग्राम में कलयुग के 'श्रवण कुमार', देखें वीडियो

राजेंद्र के दोनों बेटे अपने पिता के साथ मिलकर मिट्टी के बर्तनों के कारोबार को बढ़ाने और अपनी पुश्तैनी यादों को जीवित रखने के लिए काम कर रहे हैं. राजेन्द्र की बूढ़ी मां भी बर्तनों की पैकिंग कर अपने बेटे का हौसला अफजाई करती रहती हैं.

गुरुग्रामः सोहना के भोंडसी में राजेन्द्र नाम के एक शख्स का मिट्टी के बर्तन बनाने का कारोबार है. राजेन्द्र अपने परिवार से साथ अरावली की तलहटी में रहते हैं. राजेंद्र के एक बेटे ने कंप्यूटर साइंस से बीटेक किया है तो वहीं दूसरे बेटे ने मैकेनिकल से पॉलिटेक्निक डिप्लोमा किया है.

गुरुग्राम में कलयुग के 'श्रवण कुमार', देखें वीडियो

राजेंद्र के दोनों बेटे अपने पिता के साथ मिलकर मिट्टी के बर्तनों के कारोबार को बढ़ाने और अपनी पुश्तैनी यादों को जीवित रखने के लिए काम कर रहे हैं. राजेन्द्र की बूढ़ी मां भी बर्तनों की पैकिंग कर अपने बेटे का हौसला अफजाई करती रहती हैं.

Intro:कंप्यूटर साइंस के बीटेक व मैकेनिकल से पोलटेनिकल करने के बाद दोनो भाइयों का मिट्टी के बर्तन बनाने का कारोबार
दोनो भाई पढ़ाई करने के बाद बना रहे खास बर्तन
नही करेगे नोकरी
पुस्तैनी परंपरा को जिंदा रखने के लिए लिया अहम फैसला
पिता ने ने साल 1982 में ली थी आर्ट की डिग्री
अरावली तलहटी की जड़ में बसा है परिवार
स्व.पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर का खास कुम्हार
1990 से लगातार जुटे है..मिट्टी के बर्तन बनाने में
चम्मच से लेकर बना रहे प्रेसर कुक्कर तक Body:वीओ... सोहना के भौंडसी के पास स्व:पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर द्वारा बनाये गए पर्यटक स्थल भारत यात्रा केंद्र की बाकी यादे तो धीरे धीरे लुप्त होती चली गई .लेकिन आज भी उनके टाइम की एक याद भारत यात्रा केंद्र मे मौजूद है..नाम है राजेन्द्र कारोबार मिट्टी के बर्तन बनाना..शिक्षा आर्ट में डिग्री अब जरा आप ही सोचिए कि जब स्वर्गीय चंद्रशेखर से समय की वो इमारत भी खडित हो गई..जिस समय चंद्रशेखर आराम फरमाने के लिए दिल्ली से भोंडसी जाया करते थे ..तो फिर राजेन्द्र ही क्यो अभी भी उस स्थान उस घर मे रह रहा है..जिसे चंद्रशेखर ने बलिया से लाकर यहाँ बसाया था..उसके पीछे का राज भी हम आपको जरूर बतायगे....
बाइट:-राजेन्द्र कुम्हार ।Conclusion:वीओ..अब जरा गौर से देखिए मिट्टी के बर्तन बनाने वाला ये सक्ष कोई और नही बल्कि वही राजेन्द्र है..जिसे साल 1988-89 में स्वयं पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर भारत यात्रा केंद्र का सौन्दर्यकर्ण कराने के लिए भोंडसी लेकर आये थे ..वही इस समय भारत यात्रा केंद्र में विभिन प्रकार की पाँच तरह की खड्डडिया लगाई गई थी..लेकिन जब तक बाकी खड्डीयो को सरकारी अनुदान मिलता रहा तब तक तो वो चलती रही..लेकिन जैसे ही सरकार बदली हुई वसे ही सरकारी अनुदान मिलना बंद हो गया..ओर धिरे धिरे खड्डडिया भी बंद हो गई..लेकिन राजेन्द्र ने हार नही मानी और वो आज भी बर्तन बनाने के कारोबार को कर रहा है....
बाइट:-राजेन्द्र कुम्हार ।
वीओ...राजेन्द्र अपने परिवार से साथ अरावली की तलहटी में रहता है..जिसके दो बेटे भी है..राजेन्द्र के एक बेटे ने केआईआईटी कॉलेज से कंप्यूटर साइंस से बीटेक किया वही दूसरे ने मैकेनिकल से पोलटेनिक किया है..लेकिन नोकरी करने के लिए नही बल्कि अपने मिट्टी के बर्तनों के कारोबार को बढ़ाने व अपनी पुस्तैनी यादों को जीवित रखने के लिए पढ़ाई की है..ओर आज अपने पिता के साथ मिट्टी के बर्तन बनाकर काफी खुश है..वही राजेन्द्र की बूढ़ी मा बर्तन तो नही बना सकती लेकिन वो भी बर्तनों की पैकिंग कर अपने बेटे का हौसला अफजाई करती रहती है...
बाइट:-राजेन्द्र कुम्हार।
वीओ..अगर बात करे राजेन्द्र के पढ़े लिखे बेटों की तो उनका इस विषय मे यही कहना है..की हम अपने पिता के नकश्चतरो पर चलेंगे ओर अपने पुस्तैनी काम को जिंदा रखेगे....
बाइट:-अजय राजेन्द्र का बेटा।
वीओ:-राजेन्द्र का कहना है..कि हमे अपने काम के साथ साथ लोगो के स्वास्थ का भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि जिस समय राजेन्द्र भौंडसी आया था उस समय होटलों व बड़ी इमारतों में सौंदर्य के लिए लगाए जाने वाले हाथी घोड़े बनाता था..लेकिन यहां उसका काम नही है..तो मिट्टी के सभी बर्तन राजेन्द्र बना रहा है..इसी बीच राजेन्द्र को भारी परेशानियों का सामना भी करना पड़ा लेकिन राजेन्द्र ने हार नही मानी और लगातार मेहनत करता रहा जिसका नतीजा यह रहा कि आज राजेन्द्र को प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक जानते है..वही राजेन्द्र ने सरकार से माग की है..कि इस कारोबार को बढ़ाने के लिए सरकार अनुदान मिल जाए तो ओर भी अच्छा किया जा सकता है...
बाइट:-राजेन्द्र कुम्हार।
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.