फतेहाबाद: खेल स्टेडियम का निर्माण गांव या शहर में इसलिए किया जाता है कि ताकि खिलाड़ियों की योग्यता को तराशने के लिए सुयोग्य अवसर मिले. लेकिन उस वक्त आप क्या कहेंगे जब यही उपयोगी खेल स्टेडियम अपनी बदहाली पर आंसू बहाने लगे.
खिलाड़ी पैदा करने वाली भूमि बंजर होने लगे. कंटीली झाड़ियां खिलाड़ियों की राह रोकने लगे. ऐसा ही कुछ नजारा टोहाना उपमण्डल के गांव पिरथला के खेल स्टेडियम का है, जिसका निर्माण साल 2013 में किया गया था. मकसद था गांव से खिलाड़ियों का तराशना. लेकिन आज ये सपना धूल फांक रहा है.
सरकारी दावे फतेहाबाद जिला के उपमंडल टोहाना से करीब 15 किमी दूर स्थित गांव पिरथला में इस खेल स्टेडियम में धुल चाटते नजर आते हैं. खिलाड़ियों की सुविधाओं के लिए गांव में लाखों रुपये की लागत बना इकलौता बेशकीमती खेल स्टेडियम व व्ययामशाला बदहाली का शिकार होता नजर आ रहा है. यहां खिलाड़ी जमीनी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. वहीं ये खेल स्टेडियम पशुओं के लिए चारागाह बन गया है.
स्टेडियम के हालात खस्ता
आपको बता दें कि एक तरफ स्टेडियम के हालात खस्ता हैं तो दूसरी तरफ खिलाड़ियों को खेल का पूरा सामान और सुविधाएं नहीं मिलने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालत ये है कि स्टेडियम में उगी झाड़ियों की वजह से यहां आने वाले खिलाड़ियों को प्रशिक्षण प्राप्त करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, बावजूद इसके खस्ताहाल पड़े खेल स्टेडियम के सुधार की ओर प्रशासन एवं जिम्मेदारों ने सुध नहीं ली.
खिलाड़ियों की सुविधाओं के लिए ग्रामीण क्षेत्र में खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने लाखों रुपये की लागत से स्टेडियम का निर्माण करवाया लेकिन देख रेख के अभाव में इसकी हालत दयनीय होती जा रही है.
कोई सुविधा नहीं
गांव का खेल स्टेडियम पूरी तरह से जर्जर और उजाड़ हो चुका है. हाल ही में स्टेडियम में खिलाड़ियों और नागरिकों की सुविधा के लिए हज़ारों रुपए खर्च कर बनाए गए शौचालय भी मानों उजड़ से गए हैं ना यहां पानी की पर्याप्त आपूर्ति की सुविधा है और इस्तेमाल होने से पहले ही फ्लश और टॉयलेट सीट टूट चुकी हैं. पिछले दिनों लाखों रुपए खर्च कर खिलाड़ियों की सुविधाओं के लिए बनाए नए शौचालय उपयोग करने से पहले ही उपयोग करने लायक नहीं रह गए हैं और शौचालय की हालत बिल्कुल ही खराब हो चुकी है.
पीने के पानी की सुविधा नहीं
जमीन पर पीने के पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी है. गांव पिरथला के युवाओं को नशे और अन्य तरह की बुरी आदतों से बचाने के लिए और खेल के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए बनाया गया स्टेडियम आज देख-रेख के अभाव में खंडहर में तब्दील हो चुका है. सही मायने में गांव की ये अचल संपत्ति करोड़ों की है, लेकिन देखरेख न होने से धीरे-धीरे जमींदोज होती जा रही है.
क्या बोले ग्रामीण?
गांव के लोगों और युवा खिलाड़ियों का कहना है कि खेल सुविधा के नाम पर गांव में स्टेडियम तो है, लेकिन इसमें पर्याप्त संसाधन व सुविधाएं नहीं होने के कारण इसका कोई उपयोग नहीं हो रहा है. ग्रामीणों ने सरकार, प्रशासन व खेल विभाग से मांग की है कि स्टेडियम में पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराई जाएं तथा खेल मैदान की नियमित साफ सफाई कराई जाए.