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फतेहाबाद: अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा खेल स्टेडियम, सुविधाओं के नाम पर यहां कुछ भी नहीं - pirthala studium

खेल स्टेडियम अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. खेल स्टेडियम में कंटीले झांड खिलाड़ियों की राह रोक रहे हैं.

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Published : Jul 27, 2019, 12:25 PM IST

फतेहाबाद: खेल स्टेडियम का निर्माण गांव या शहर में इसलिए किया जाता है कि ताकि खिलाड़ियों की योग्यता को तराशने के लिए सुयोग्य अवसर मिले. लेकिन उस वक्त आप क्या कहेंगे जब यही उपयोगी खेल स्टेडियम अपनी बदहाली पर आंसू बहाने लगे.

बदहाल हुआ ये खेल स्टेडियम

खिलाड़ी पैदा करने वाली भूमि बंजर होने लगे. कंटीली झाड़ियां खिलाड़ियों की राह रोकने लगे. ऐसा ही कुछ नजारा टोहाना उपमण्डल के गांव पिरथला के खेल स्टेडियम का है, जिसका निर्माण साल 2013 में किया गया था. मकसद था गांव से खिलाड़ियों का तराशना. लेकिन आज ये सपना धूल फांक रहा है.

सरकारी दावे फतेहाबाद जिला के उपमंडल टोहाना से करीब 15 किमी दूर स्थित गांव पिरथला में इस खेल स्टेडियम में धुल चाटते नजर आते हैं. खिलाड़ियों की सुविधाओं के लिए गांव में लाखों रुपये की लागत बना इकलौता बेशकीमती खेल स्टेडियम व व्ययामशाला बदहाली का शिकार होता नजर आ रहा है. यहां खिलाड़ी जमीनी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. वहीं ये खेल स्टेडियम पशुओं के लिए चारागाह बन गया है.

स्टेडियम के हालात खस्ता

आपको बता दें कि एक तरफ स्टेडियम के हालात खस्ता हैं तो दूसरी तरफ खिलाड़ियों को खेल का पूरा सामान और सुविधाएं नहीं मिलने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालत ये है कि स्टेडियम में उगी झाड़ियों की वजह से यहां आने वाले खिलाड़ियों को प्रशिक्षण प्राप्त करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, बावजूद इसके खस्ताहाल पड़े खेल स्टेडियम के सुधार की ओर प्रशासन एवं जिम्मेदारों ने सुध नहीं ली.

खिलाड़ियों की सुविधाओं के लिए ग्रामीण क्षेत्र में खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने लाखों रुपये की लागत से स्टेडियम का निर्माण करवाया लेकिन देख रेख के अभाव में इसकी हालत दयनीय होती जा रही है.

कोई सुविधा नहीं

गांव का खेल स्टेडियम पूरी तरह से जर्जर और उजाड़ हो चुका है. हाल ही में स्टेडियम में खिलाड़ियों और नागरिकों की सुविधा के लिए हज़ारों रुपए खर्च कर बनाए गए शौचालय भी मानों उजड़ से गए हैं ना यहां पानी की पर्याप्त आपूर्ति की सुविधा है और इस्तेमाल होने से पहले ही फ्लश और टॉयलेट सीट टूट चुकी हैं. पिछले दिनों लाखों रुपए खर्च कर खिलाड़ियों की सुविधाओं के लिए बनाए नए शौचालय उपयोग करने से पहले ही उपयोग करने लायक नहीं रह गए हैं और शौचालय की हालत बिल्कुल ही खराब हो चुकी है.

पीने के पानी की सुविधा नहीं

जमीन पर पीने के पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी है. गांव पिरथला के युवाओं को नशे और अन्य तरह की बुरी आदतों से बचाने के लिए और खेल के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए बनाया गया स्टेडियम आज देख-रेख के अभाव में खंडहर में तब्दील हो चुका है. सही मायने में गांव की ये अचल संपत्ति करोड़ों की है, लेकिन देखरेख न होने से धीरे-धीरे जमींदोज होती जा रही है.

क्या बोले ग्रामीण?

गांव के लोगों और युवा खिलाड़ियों का कहना है कि खेल सुविधा के नाम पर गांव में स्टेडियम तो है, लेकिन इसमें पर्याप्त संसाधन व सुविधाएं नहीं होने के कारण इसका कोई उपयोग नहीं हो रहा है. ग्रामीणों ने सरकार, प्रशासन व खेल विभाग से मांग की है कि स्टेडियम में पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराई जाएं तथा खेल मैदान की नियमित साफ सफाई कराई जाए.

फतेहाबाद: खेल स्टेडियम का निर्माण गांव या शहर में इसलिए किया जाता है कि ताकि खिलाड़ियों की योग्यता को तराशने के लिए सुयोग्य अवसर मिले. लेकिन उस वक्त आप क्या कहेंगे जब यही उपयोगी खेल स्टेडियम अपनी बदहाली पर आंसू बहाने लगे.

बदहाल हुआ ये खेल स्टेडियम

खिलाड़ी पैदा करने वाली भूमि बंजर होने लगे. कंटीली झाड़ियां खिलाड़ियों की राह रोकने लगे. ऐसा ही कुछ नजारा टोहाना उपमण्डल के गांव पिरथला के खेल स्टेडियम का है, जिसका निर्माण साल 2013 में किया गया था. मकसद था गांव से खिलाड़ियों का तराशना. लेकिन आज ये सपना धूल फांक रहा है.

सरकारी दावे फतेहाबाद जिला के उपमंडल टोहाना से करीब 15 किमी दूर स्थित गांव पिरथला में इस खेल स्टेडियम में धुल चाटते नजर आते हैं. खिलाड़ियों की सुविधाओं के लिए गांव में लाखों रुपये की लागत बना इकलौता बेशकीमती खेल स्टेडियम व व्ययामशाला बदहाली का शिकार होता नजर आ रहा है. यहां खिलाड़ी जमीनी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. वहीं ये खेल स्टेडियम पशुओं के लिए चारागाह बन गया है.

स्टेडियम के हालात खस्ता

आपको बता दें कि एक तरफ स्टेडियम के हालात खस्ता हैं तो दूसरी तरफ खिलाड़ियों को खेल का पूरा सामान और सुविधाएं नहीं मिलने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालत ये है कि स्टेडियम में उगी झाड़ियों की वजह से यहां आने वाले खिलाड़ियों को प्रशिक्षण प्राप्त करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, बावजूद इसके खस्ताहाल पड़े खेल स्टेडियम के सुधार की ओर प्रशासन एवं जिम्मेदारों ने सुध नहीं ली.

खिलाड़ियों की सुविधाओं के लिए ग्रामीण क्षेत्र में खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने लाखों रुपये की लागत से स्टेडियम का निर्माण करवाया लेकिन देख रेख के अभाव में इसकी हालत दयनीय होती जा रही है.

कोई सुविधा नहीं

गांव का खेल स्टेडियम पूरी तरह से जर्जर और उजाड़ हो चुका है. हाल ही में स्टेडियम में खिलाड़ियों और नागरिकों की सुविधा के लिए हज़ारों रुपए खर्च कर बनाए गए शौचालय भी मानों उजड़ से गए हैं ना यहां पानी की पर्याप्त आपूर्ति की सुविधा है और इस्तेमाल होने से पहले ही फ्लश और टॉयलेट सीट टूट चुकी हैं. पिछले दिनों लाखों रुपए खर्च कर खिलाड़ियों की सुविधाओं के लिए बनाए नए शौचालय उपयोग करने से पहले ही उपयोग करने लायक नहीं रह गए हैं और शौचालय की हालत बिल्कुल ही खराब हो चुकी है.

पीने के पानी की सुविधा नहीं

जमीन पर पीने के पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी है. गांव पिरथला के युवाओं को नशे और अन्य तरह की बुरी आदतों से बचाने के लिए और खेल के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए बनाया गया स्टेडियम आज देख-रेख के अभाव में खंडहर में तब्दील हो चुका है. सही मायने में गांव की ये अचल संपत्ति करोड़ों की है, लेकिन देखरेख न होने से धीरे-धीरे जमींदोज होती जा रही है.

क्या बोले ग्रामीण?

गांव के लोगों और युवा खिलाड़ियों का कहना है कि खेल सुविधा के नाम पर गांव में स्टेडियम तो है, लेकिन इसमें पर्याप्त संसाधन व सुविधाएं नहीं होने के कारण इसका कोई उपयोग नहीं हो रहा है. ग्रामीणों ने सरकार, प्रशासन व खेल विभाग से मांग की है कि स्टेडियम में पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराई जाएं तथा खेल मैदान की नियमित साफ सफाई कराई जाए.

Intro:चाहकर भी नहीं खेल पा रहे खिलाड़ी...... पिरथला खेल मैदान की हालत खस्ता..... व्यामशाला को उपचार की जरूरत .........लाखों की राशि हुई मिट्टी, बदहाली का शिकार हुआ पिरथला का खेल स्टेडियम............ऐसे में कैसे बनेंगे सहवाग और ध्यानचंद......सुविधाएं न होने से खिलाड़ी मायूस......सुविधाओं के अभाव में पिरथला में बना खेल स्टेडियम बना सफेद हाथी ......... गांव के युवा खिलाडी व गा्रमिण खेल मंत्री अनिल विज को पत्र लिखकर करेगे इसके अधिग्रहणकी मांग। Body: खेल स्टेडियम का निर्माण गांव या शहर में इसलिए किया जाता है कि ताकि खिलाडियों की योग्तया को तराशने के लिए सुयोग्य अवसर मिले। पर उस वक्त आप क्या कहेगे जब यही उपयोगी खेल स्टेडियम अपनी बदहाली पर आसु बहाने लगे। खिलाडी पैदा करने वाली भूमि बंजर होने लगे। कंटीले झांड-झंगाड खिलाडियों की राह रोकने लगे। ऐसा ही कुछ नजारा टोहाना उपमण्डल के गांव पिरथला के खेल स्टेडियम का है जिसका निमार्ण वर्ष 2013 में किया गया था। मकसद था गांव की भूमि से खिलाडियों का तराशना। पर आज यह सपना धुल फांक रहा है। सरकारी दावें फतेहाबाद जिला के उपमंडल टोहाना से करीब 15 कि.मी दूर स्थित गाँव पिरथला में इस खेल स्टेडियम में धुल चाटते नजर आते है।
खिलाड़ियों की सुविधाओं के लिए गाँव में लाखों रुपये की लागत बना इकलौता बेशकीमती खेल स्टेडियम व व्ययामशाला बदहाली का शिकार होता नजर आ रही है व यहाँ खिलाड़ी जमीनी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। आपको बता दें एक तरफ स्टेडियम के हालात खस्ता है, तो दूसरी तरफ खिलाड़ियों को खेल का पूरा सामान और सुविधाएं नहीं मिलने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि स्टेडियम में उगे झाड़ झंखाड़ की वजह से यहां आने वाले खिलाड़ियों को प्रशिक्षण प्राप्त करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है,बावजूद इसके खस्ताहाल पड़े खेल स्टेडियम के सुधार की ओर प्रशासन एवं जिम्मेदारों ने सुध नहीं ली। खिलाड़ियों की सुविधाओं के लिए ग्रामीण क्षेत्र में खेल प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने
लाखों रुपये की लागत से स्टेडियम का निर्माण करवाया लेकिन देख रेख के अभाव में इसकी हालत दयनीय होती जा रही है

गाँव का खेल स्टेडियम पूरी तरह से जर्जर और उजाड़ हो चुका है। हाल ही में स्टेडियम में खिलाड़ियों और नागरिकों की सुविधा के लिए हज़ारों रुपए खर्च कर बनाए गए शौचालय भी मानों उजड़ से गए हैं ना यहाँ पानी की पर्याप्त आपूर्ति की सुविधा है और इस्तेमाल होने से पहले ही फ्लश और टॉयलेट सीट टूट चुकी है । पिछले दिनों लाखों रुपए खर्च कर खिलाड़ियों की सुविधाओं के लिए बनाए नए शौचालय उपयोग करने से पहले ही उपयोग करने लायक नहीं रह गए है और शौचालय के हालात बिल्कुल ही खराब हो चुके हैं। जमीन पर पीने के पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी है। गाँव पिरथला के युवाओं को नशे और अन्य तरह की बुरी आदतों से बचाने के लिए और खेल के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए बनाया गया स्टेडियम आज देख-रेख के अभाव में खंडहर में तब्दील हो चुका है। सही मायने में गाँव की यह अचल संपत्ति करोड़ों की है, लेकिन देखरेख न होने से धीरे-धीरे जमींदोज होती जा रही है।

गाँव के मौजिज लोगों व युवा खिलाडियों का कहना है कि खेल सुविधा के नाम पर गांव में स्टेडियम तो है, लेकिन इसमें पर्याप्त संसाधन व सुविधाएं नहीं होने के कारण इसका कोई उपयोग नहीं हो रहा है। ग्रामीणों ने सरकार, प्रशासन व खेल विभाग से मांग की है कि स्टेडियम में पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराई जाएं तथा खेल मैदान की नियमित साफ सफाई कराई जाए तथा उन्होंने कहा अरसे से खस्ताहाल खेल स्टेडियम की हालत सुधारने के लिए अब खेल विभाग को आगे आकर खेल स्टेडियम अपने अधीन लेकर खेलों का पूरा सामान और प्रशिक्षक उपलब्ध करवाना चाहिए ताकि क्षेत्र के युवा खिलाड़ी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सके और ग्रामीण क्षेत्र की खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ने में मदद मिल सके । गाँव के एकमात्र खेल स्टेडियम की सुध नहीं लेने से खिलाडिय़ों व खेलप्रेमियों में भी गहरा रोष पनपा हुआ है। वही अब गा्रमिण व युवा खिलाडी खेल मत्री अनिल विज को पत्र लिखकर इसके अधिग्रहण की मांग करने का मन बना चुक है। देखना ये है अब गा्रमिणों के इस कदम का खेल मंत्रालय क्या हल करता है।Conclusion:टोहाना हरियाणा से नवल िंसह की रिपोर्ट


विजुवल -
बाईट 3- ग्रामीण, शिवनारायण गुरु
बाईट 1- युवा एथलिट, अशोक मैहरा
बाईट 2- गा्रमिण, पांडु नैन
vis 1 - स्टेडियम व व्यामाशाला की बदहाली को दिखाते कट शॉट
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