फतेहाबाद: फतेहाबाद सिविल सर्जन कार्यालय द्वारा फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी करने को लेकर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया (Fake disability certificate issued in Fatehabad) है. खबर है कि सिविल सर्जन कार्यालय ने ऐसे लोगों को दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी कर दिए. जिनकी न तो डॉक्टरी जांच हुई और न ही पोर्टल पर असेसमेंट शीट अपलोड की गई. यही नहीं क्लीनिकल साइक्लोजिस्ट ने जिस युवती को 50 प्रतिशत दिव्यांग बताया. उसका पोर्टल पर 100 फीसदी दिव्यांग दिखाकर प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया.
बता दें कि साल 2019 में ये फर्जीवाड़ा सामने आया था. जिसका खुलासा अब हुआ है. सिविल सर्जन कार्यालय का ये फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद संबंधित अधिकारी और कर्मचारियों में हड़कंप मचा गया है. संबंधित विभाग पर अब सवाल खडे़ होने शुरू हो गए हैं. आरोप है कि विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाए गए हैं. उससे भी बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी करने के संबंध में तत्कालीन उप सर्जन को इसकी जरा सी भी भनक क्यों नहीं लगी.
जांच कमेटी का गठन: अब ये मामला सीएमओ सिविल सर्जन डॉ. सपना गहलावत के पास पहुंचा है. सपना गहलावत के पास केस पहुंचने के बाद अब एक कमेटी गठित कर जांच कराए जाने की बात सामने आई है. सिविल सर्जन डॉ. सपना गहलावत ने कहा है कि इस मामले में कमेटी गठित करके जांच शुरू कराई जाएगी और और जो फर्जी प्रमाण पत्र बनाए गए हैं उन्हें कैंसिल किया जाएगा. अंदेशा लगाया जा रहा है कि जांच में कई फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र सामने आ सकते हैं. हालांकि मामले में कितने लोग शामिल हैं और किसकी सह पर ये काम हो रहा था जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा.
कब का है मामला: फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र (fake handicap certificate issued in Fatehabad) बनाए जाने को लेकर मामला बेहद ही गर्म होता जा रहा है. ये मामला साल 2019 का है. जब फर्जी प्रमाण पत्र बनाए जाने का मामला सामने आया था. उस समय एक व्यक्ति के दिव्यांग प्रमाण पत्र के वेरीफिकेशन में आईक्यू 59% और दिव्यांगता 45% बिना किसी डॉक्टरी जांच के दे दी गई. मामले में यह भी खुलासा हुआ था कि प्रमाण पत्र विभाग के पोर्टल पर तो डाल दिया गया लेकिन कोई असेसमेंट शीट या रेफरल शीट पोर्टल पर अपलोड नहीं की गई. बावजूद इसके दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया.
ताजा मामला क्या है: रिसेंट के मामले की बात करें तो 2022 में एक युवती को क्लीनिकल साइक्लोजिस्ट के जांच के बाद उसे 50 प्रतिशत दिव्यांग अप्रूव किया गया. वहीं ऑफिशियल पोर्टल पर दिव्यांग सर्टिफिकेट 100 प्रतिशत के साथ अपलोड कर दिया गया. लेकिन असेसमेंट शीट अपलोड नहीं की गई. मामला सामने आने के बाद संबधित विभाग पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं.
क्यों होती है दिव्यांग प्रमाण पत्र की जांच: बता दें कि सरकारी नौकरी में आरक्षण लेने को लेकर दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी कराया जाता है. डॉक्टरों का बोर्ड दिव्यांगों की जांच करता है और उसके मुताबिक प्रमाण जारी किया जाता है. जांच के बाद ही प्रतिशत तय होता है और दिव्यांग पेंशनभोगी के योग्य है या नहीं इस बारे में जानकारी दी जाती है.