फरीदाबाद: एक बार फिर राजनीतिक पार्टियों ने अपने चुनावी घोषणापत्र जारी कर दिए हैं. कोई अपने घोषणा पत्र को 'संकल्प पत्र' कह रहा है, तो कोई 'हम निभाएंगे' कह कर प्रचार कर रहा है. अब राजनीतिक दलों ने तो अपने वादों की घोषणा कर दी है, लेकिन आखिर में जनता के मुद्दे ही सबसे जरूरी होते हैं.
'शिक्षा-स्वास्थ्य होंगे चुनावी मुद्दे'
ईटीवी भारत ने जब युवाओं से उनके चुनावी मुद्दे जाने तो मुख्य तौर पर सभी ने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को अपनी चुनावी मुद्दा बताया. छात्रों का कहना था कि इस बार युवा इन चार मुद्दों को देख कर वोट डालेगा.
कुथ युवाओं का कहना था कि आज भी फरीदाबाद के सरकरी स्कूलों में स्टाफ और सुविधाओं की भारी कमी है. साथ ही स्वास्थ्य की बात करें तो कुछ युवाओं का कहना था कि निजी अस्पतालों में डॉक्टर मनमानी फीस वसूलते हैं. उनका कहना था कि सरकारी अस्पतालों में बेड जैसी समस्याएं अभी भी बनी हुई है.
'बेरोजगारी से जूझते युवा'
विपक्ष ने इस चुनाव में बेरोजगारी के मुद्दे को खूब उछाला है. साथ ही ये किसी से भी छिपा नहीं है कि बेरोजगारी के स्तर पिछले कुछ समय में काफी बढ़ गया है. ऐसे में युवाओं का कहना था कि हजारों छात्र पढ़ाई पूरी करके घर में बैठे हैं. उनका कहना था कि युवाओं को ना तो तनख्वाह अच्छी मिलती है और ना ही नौकरी.
'खेलों में पिछड़ता फरीदाबाद'
प्रदेश के युवाओं ने हमेशा से ही खेलों में देश का नाम ऊंचा किया है. चाहे वो कुश्ती हो या और कोई खेल. लेकिन फरीदाबाद के युवाओं का मानना है कि ना तो क्षेत्र में स्टेडियम है और ना ही कोई अच्छी सुविधा.