फरीदाबाद: खोरी गांव प्रकरण अब तूल पकड़ता जा रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर(Social worker Medha Patkar) ने आज खोरी गांव पहुंचकर लोगों से मुलाकात की है. सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर का कहना है कि प्रशासन अगर लोगों के आशियाने तोड़ता है तो इस तरह की कार्रवाई को किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता है.
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने हरियाणा सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए कहा है कि सरकार मानवता के खिलाफ काम कर रही है. लोगों के घरों को तोड़ने से पहले खोरी गांव के लोगों को बसाने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लोगों के हक में पैरवी नहीं की. सरकार को अपनी गलत कार्रवाई पर शर्म आनी चाहिए.
मेधा पाटकर ने कहा कि इसी तरह हरियाणा सरकार किसानों को भी परेशान कर रही है. जबकि किसान शांतिपूर्ण तरीके से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं.
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क्या है खोरी गांव का मामला ?
अरावली वन क्षेत्र में स्थित खोरी गांव फरीदाबाद जिले में है. इस गांव में बने करीब 10 हजार मकानों को ढहाने पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि वन क्षेत्र की भूमि पर कब्जा नहीं होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने खोरी गांव के लोगों की मांग को ठुकराते हुए कहा कि उन्हें पहले ही लगभग साल भर का समय दिया जा चुका है.
कौन हैं मेधा पाटकर ?
मेधा पाटकर एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता और सामाज सुधारक हैं. मेधा पाटकर ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की शुरुआत की थी. मेधा पाटकर ने अपना पूरा समय नर्मदा नदी पर लगाने के लिए अपनी पी.एच.डी की पढ़ाई भी छोड़ दी थी.
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