फरीदाबाद: जिले के मिनी जंतर मंतर कहे जाने वाले बीके चौक पर रविवार को पुरुष आयोग की टीम के सदस्यों ने जेंडर न्यूट्रल लॉ की मांग करते हुए पुरुष विरोधी मानसिकता का पुतला फूंककर सरकार से महिला आयोग की तरह पुरुष आयोग टीम का गठन करने की मांग की. इस मौके पर उन्होंने महिलाओं को मिलने वाले अधिकार का महिलाओं द्वारा गलत दुरुपयोग करने के आरोप भी लगाए. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए महिला आयोग का गठन किया गया है उसी प्रकार पुरुषों को न्याय दिलाने के लिए भी पुरुष आयोग का गठन होना चाहिए.
प्रदर्शनकारी महिमा मेहदी रत्ता ने आरोप लगाते हुए कहा कि बेटी को जिस प्रकार से पिता की प्रॉपर्टी में हिस्सा मिलता है और फिर वह ससुराल में जाकर पति और उसकी प्रॉपर्टी की हकदार बन जाती है, लेकिन पुरुष को ऐसा अधिकार नहीं दिया गया है. पुरुष केवल 18 साल की उम्र तक अपने पिता की संपत्ति का हकदार रहता है. बाद में उसे पिता चाहे बेदखल कर सकता है और दामाद को तो अपने ससुराल में प्रॉपर्टी के बारे में पूछने तक का अधिकार नहीं है.
उन्होंने कहा कि ज्यादातर महिलाएं कई बार लोगों को गलत तरीके से छेड़छाड़, दुष्कर्म के मामलों में फंसा देती हैं जबकि कई बार तो कोर्ट से वे लोग बरी होकर आते हैं, लेकिन गलत तरीके से फंसाने वाली उन महिलाओं और जांच अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाती. वे चाहते हैं कि जिस प्रकार से दोषी पाए जाने पर दोषी को सजा मिलती है उसी प्रकार से गलत तरीके से फंसाने वाली महिलाओं और जांच अधिकारियों को भी सजा मिलनी चाहिए. बहुत से ऐसे पुरुष हैं जिन्हें बेवजह ही फंसाया जाता है इसीलिए पुरुष भी अपनी बात कहीं रख सकें ऐसा मंच होना चाहिए और इसके लिए पुरुष आयोग बनाया जाना चाहिए ताकि पुरुष भी अपनी बात को पुरुष आयोग में रख सकें.
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वहीं पुरुष आयोग बनाए जाने की मांग का समर्थन करते हुए इस प्रदर्शन में शामिल महिलाओं ने भी पुरुषों की इस मांग को जायज ठहराते हुए पुरुष आयोग बनाए जाने की मांग की. उनका कहना है कि जिस प्रकार से महिला अपने और बच्चों के खर्चे के लिए पुरुष पर कोर्ट में हक मांगती है उसी प्रकार से यदि महिला भी सक्षम है तो पुरुष को भी उससे खर्चा लेने का हक होना चाहिए. जिस प्रकार से रेप विक्टिम महिला को सरकार द्वारा खर्चा दिया जाता है उसी प्रकार से जब कोई आदमी रेप के मामले में निर्दोष पाया जाता है तो उस पुरुष को भी समान खर्चा मिलना चाहिए क्योंकि तब तक उसका सामाजिक रेप हो चुका होता है और उसकी भरपाई उसके केवल बरी होने से नहीं हो पाती.
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