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Shubh Vivah: शादी में सात नहीं चार फेरे ही हैं काफी, जानिए क्यों

सनातन धर्म पद्धति में विवाह की अगर बात करें तो कई सारे रोचक तथ्य निकलकर सामने आते हैं. जैसे बात करें शादी के दौरान लिए जाने वाले फेरों की. अभीतक हम सात फेरे ही जानते थे कि विवाह के दौरान वर-वधु इन फेरों को लेते हैं, पर क्या आप जानते हैं विवाह में वर-वधु सात नहीं बल्कि इससे कितने फेर लेते हैं.

Shubh Vivah in Faridabad
Shubh Vivah in Faridabad
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Published : Feb 25, 2023, 1:50 PM IST

Updated : Mar 4, 2023, 2:06 PM IST

सनातन धर्म पद्धति में विवाह

फरीदाबाद: जब शादी होती है उस समय आपने शादी में देखा होगा कि शादी में कई तरह के विधि-विधान होते हैं. हर एक विधान का अलग-अलग महत्व है और यही वजह है कि शादियों में एक-एक विधि-विधान को बड़े ही बारीकियों से किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि शादी में कोई भी विधि-विधान छूट गया तो दांपत्य जीवन में काफी कठिनाइयां आती है और यही वजह है कि शादियों में कई तरह के विधि विधान देखने को मिलते हैं. इन विधि-विधान में सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं सात फेरे, क्योंकि सात फेरों के बिना शादी पूर्ण नहीं मानी नहीं जाती है. यही वजह है कि पंडितजी मंत्र पढ़ते हैं और वर-वधू अग्नि के सात फेरे लेते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शादी चार फेरे में ही पूरी हो जाती है. सुनकर अचंभित तो जरूर हुए होंगे आप लेकिन यही सही है.

महंत मुनिराज ने ईटीवी भारत को सात फेरे की विधि विधान को लेकर क्या कहा. महंत मुनिराज के अनुसार वास्तविक में शादी में जो फेरे लिए जाते हैं वह 7 नहीं बल्कि 4 होते हैं. धर्म, अर्थ काम और मोक्ष. अधिकतर शादियों में सात फेरे होते हैं लेकिन सनातन धर्म पद्धति के अनुसार 4 फेरे लेकर शादी पूर्ण मानी जाती है. चार फेरे के बाद वर-वधू को अग्नि के सामने बिठा दिया जाता है. उसके बाद तीन फेरे और लिए जाते हैं.

सात फेरे इसलिए लिए जाते हैं कि अग्नि की साथ जीवा हैं और यही वजह है कि अग्नि के साथ फेरे लिए जाते हैं. लेकिन शादी चार फेरे में ही पूरी मानी जाती है. हालांकि अलग-अलग देवताओं का अलग-अलग विधान है और निश्चित है कि किसकी कितनी परिक्रमा लगानी चाहिए, जैसे सूर्य भगवान की हम बात करें तो उनकी 1 फेरे भी लगाते हैं और सात फेरे भी लगाते हैं क्योंकि सूर्य भगवान के 7 घोड़े हैं.

यह भी पढ़ें-25 फरवरी का पंचांग: आज का अशुभ काल सबसे खतरनाक, इतने बजे शुरु होगा शुभ अमृत काल

इसी प्रकार गणेश भगवान की तीन परिक्रमा लगाते हैं. शिवजी की आधी परिक्रमा लगाते हैं, इसी प्रकार से विष्णु भगवान के 4 परिक्रमा लगाते हैं. इन चार फेरों में 3 फेरों में कन्या आगे रहती है और चौथे में वर आगे रहता है. जब वर-वधू की शादी होती है तो वह लक्ष्मी और विष्णु के रूप में होते हैं. इसीलिए विष्णु भगवान के 4 परिक्रमा ही लगती है और 4 फेरे में ही शादी सफल मानी जाती है. लेकिन अग्नि वहां पर मौजूद रहती है तो 3 फेरे उनके भी लगती हैं तो टोटल 7 फेरे से हो जाते हैं, जिसे परिक्रमा कहते हैं ना कि फिर फेरे. फेरे चार ही होते हैं और चार फेरे में शादी सफल मानी जाती है. तो हम कह सकते हैं कि परिक्रमा सात होते हैं लेकिन फेरे चार ही होते हैं. सनातन धर्म पद्धति के अनुसार 4 फेरे में ही विवाह पूर्ण हो जाता है.

सनातन धर्म पद्धति में विवाह

फरीदाबाद: जब शादी होती है उस समय आपने शादी में देखा होगा कि शादी में कई तरह के विधि-विधान होते हैं. हर एक विधान का अलग-अलग महत्व है और यही वजह है कि शादियों में एक-एक विधि-विधान को बड़े ही बारीकियों से किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि शादी में कोई भी विधि-विधान छूट गया तो दांपत्य जीवन में काफी कठिनाइयां आती है और यही वजह है कि शादियों में कई तरह के विधि विधान देखने को मिलते हैं. इन विधि-विधान में सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं सात फेरे, क्योंकि सात फेरों के बिना शादी पूर्ण नहीं मानी नहीं जाती है. यही वजह है कि पंडितजी मंत्र पढ़ते हैं और वर-वधू अग्नि के सात फेरे लेते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि शादी चार फेरे में ही पूरी हो जाती है. सुनकर अचंभित तो जरूर हुए होंगे आप लेकिन यही सही है.

महंत मुनिराज ने ईटीवी भारत को सात फेरे की विधि विधान को लेकर क्या कहा. महंत मुनिराज के अनुसार वास्तविक में शादी में जो फेरे लिए जाते हैं वह 7 नहीं बल्कि 4 होते हैं. धर्म, अर्थ काम और मोक्ष. अधिकतर शादियों में सात फेरे होते हैं लेकिन सनातन धर्म पद्धति के अनुसार 4 फेरे लेकर शादी पूर्ण मानी जाती है. चार फेरे के बाद वर-वधू को अग्नि के सामने बिठा दिया जाता है. उसके बाद तीन फेरे और लिए जाते हैं.

सात फेरे इसलिए लिए जाते हैं कि अग्नि की साथ जीवा हैं और यही वजह है कि अग्नि के साथ फेरे लिए जाते हैं. लेकिन शादी चार फेरे में ही पूरी मानी जाती है. हालांकि अलग-अलग देवताओं का अलग-अलग विधान है और निश्चित है कि किसकी कितनी परिक्रमा लगानी चाहिए, जैसे सूर्य भगवान की हम बात करें तो उनकी 1 फेरे भी लगाते हैं और सात फेरे भी लगाते हैं क्योंकि सूर्य भगवान के 7 घोड़े हैं.

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इसी प्रकार गणेश भगवान की तीन परिक्रमा लगाते हैं. शिवजी की आधी परिक्रमा लगाते हैं, इसी प्रकार से विष्णु भगवान के 4 परिक्रमा लगाते हैं. इन चार फेरों में 3 फेरों में कन्या आगे रहती है और चौथे में वर आगे रहता है. जब वर-वधू की शादी होती है तो वह लक्ष्मी और विष्णु के रूप में होते हैं. इसीलिए विष्णु भगवान के 4 परिक्रमा ही लगती है और 4 फेरे में ही शादी सफल मानी जाती है. लेकिन अग्नि वहां पर मौजूद रहती है तो 3 फेरे उनके भी लगती हैं तो टोटल 7 फेरे से हो जाते हैं, जिसे परिक्रमा कहते हैं ना कि फिर फेरे. फेरे चार ही होते हैं और चार फेरे में शादी सफल मानी जाती है. तो हम कह सकते हैं कि परिक्रमा सात होते हैं लेकिन फेरे चार ही होते हैं. सनातन धर्म पद्धति के अनुसार 4 फेरे में ही विवाह पूर्ण हो जाता है.

Last Updated : Mar 4, 2023, 2:06 PM IST
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