फरीदाबाद: कोरोना महामारी की वजह से हमारी दिनचर्या बदल सी गई है. ज्यादातर काम अब ऑनलाइन हो गए हैं. पढ़ाई का काम हो या ऑफिस का काम हो या फिर कुछ खरीदना हो, सबकुछ ऑनलाइन हो गया है. जिसका असर आखों (Eye Diseases Are Increasing In People) पर पड़ रहा है. जलन, खुजली, दर्द और रुखापन बढ़ने से आंखों की रोशनी पर असर (Online work is affecting eyes) पड़ रहा है. ज्यादातर लोगों को तो चश्मा लग गया है. कुछ बातों का ध्यान रख इन बीमारियों से बचा जा सकता है.
ज्यादातर बच्चे कोरोना के बाद से ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. बच्चों घंटों तक मोबाइल और लैपटॉप के सामने बैठे रहते हैं. जिसकी वजह से बच्चों में आखों से संबंधित समस्या (Eye Diseases Are Increasing In People) हो रही है. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक फरीदाबाद में 100 में से करीब 13 बच्चों को चश्मे की जरूरत पड़ रही है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में ये दर 8 फीसदी है. मोबाइल फोन और लैपटॉप के जरिए पढ़ाई करने वाले बच्चों को आखों की समस्या हो रही है. कोरोना के कारण निजी और सरकारी सभी कार्यालयों में काम भी अब ऑनलाइन हो गया है.
अब तो बैठकें भी ऑनलाइन माध्यम से की जाती है. मतलब ये की लोगों का ज्यादातर वक्त स्क्रीन पर ही बीत रहा है. जिसकी वजह से उनमें आंखों से संबंधित बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं. लोग कई-कई घंटे लगातार कंप्यूटर और लैपटॉप पर बैठकर काम करते हैं. जिससे की सिर में दर्द, आंखों में जलन जैसी समस्या पैदा हो रही हैं. फरीदाबाद स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक वर्तमान समय में आंखों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.
लॉकडाउन से पहले 100 के करीब आखों से संबंधित ओपीडी होती थी, लेकिन अब ढाई सौ के करीब ओपीडी में मरीज पहुंच रहे हैं. स्क्रीन टाइम ज्यादा देने के कारण आंखों से संबंधित विभिन्न प्रकार की समस्याएं हो रही हैं. आप टी-20 नियम के तहत आखों की समस्या से बच सकते हैं. डॉक्टर निधि के मुताबिक T-20 नियम को अपनाकर आंखों की इन समस्याओं से राहत पाई जा सकती है. उन्होंने बताया कि स्क्रीन पर 20 मिनट काम करने के बाद 20 सेकेंड का ब्रेक लेना चाहिए.
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20 सेकेंड के लिए 20 मीटर दूर रखी चीज पर फोकस करना चाहिए. ऐसा करने से आपकी आंखों की मांसपेशियों को राहत महसूस होगी और जो स्क्रीन टाइम है. उसमे भी ब्रेक आएगा. जो स्कूली बच्चे ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं. वो मोबाइल का प्रयोग ना करके कंप्यूटर का प्रयोग करें तो ज्यादा अच्छा होगा. स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 में देश में 5.7 करोड़ लोग आखों से संबंधी बीमारियों से ग्रस्त थे. साल 2020 में ये आंकड़ा 13.7 करोड़ पहुंच गया. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक वयस्कों में आखों की बीमारी को 80 फीसदी तक समय रहते रोका जा सकता है. कई बार हम लोगों को लगता है कि जितना आंखों को पानी से साफ करेंगे, आंखें उतनी ही बेहतर होंगी. लेकिन ये करना गलत है. इससे आंखों की नेचुरल रोशनी पर फर्क पड़ता है. इसीलिए ज्यादा आंखें नहीं धोनी चाहिए.