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साल 2024 को शुभ बनाने के लिए साल 2023 की आखिरी भौमवती अमावस्या में कैसे करें पूजा जानिए? - Which god is worshiped in Bhaumvati Amavasya

Bhaumvati Amavasya: साल 2023 खत्म होने वाला है. इस साल की आखिरी अमावस्या आज (12 दिसंबर को) है. 12 दिसंबर को मंगलवार है इसलिए साल की आखिरी अमावस्या के दिन भौमवती अमावस्या का संयोग बन रहा है. आने वाला साल अच्छा हो, इसके लिए आखिरी अमवस्या में भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए.इससे संकट दूर होते हैं. पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है.

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12 दिसंबर को है भौमवती अमावस्या
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 8, 2023, 2:18 PM IST

Updated : Dec 12, 2023, 6:47 AM IST

जानिए भौमवती अमावस्या के दिन पूजन विधि

फरीदाबाद: भौमवती अमावस्या मार्गशीर्ष माह में पड़ रही है. इस दिन पूजा पाठ करने से व्यक्ति के मंगल दोष दूर होते हैं. आने वाला साल शुभ रह सकता है. गंगा नदी में स्नान करने से लाभ होता है. इस दिन दान का महत्त्व है.

भौमवती अमवस्या शुभ मुहूर्त: साल की आखिरी अमावस्या आज (12 दिसंबर को) है. 12 दिसंबर मंगलवार है इसलिए साल की इस आखिरी अमावस्या को भौमवती अमावस्या के तौर पर देखा जा रहा है. भौमवती अमावस्या 12 दिसंबर दिन मंगलवार को सुबह 6 बजकर 24 मिनट से प्रारंभ होगी जो 13 दिसंबर को सुबह 5 बजकर 1 मिनट तक रहेगी. इस दौरान पूजा पाठ करने से श्रद्धालुओं को विशेष लाभ होता है.

किस भगवान की होती है पूजा? : आचार्य श्री महेश भैया के अनुसार भौमवती अमावस्या को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. आचार्य जी के अनुसार भगवान लक्ष्मीनारायण की भी पूजा से लाभ प्राप्त होता है. भौमवती अमावस्या के दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व है. अगर गंगा में स्नान नहीं कर पाते हैं तो घर में ही बाल्टी में गंगाजल डाल कर पानी से स्नान करने पर गंगा स्नान का ही लाभ मिल जाता है. आचार्य श्री महेश भैया जी बताते हैं कि इस दिन पितरों का नाम लेकर तर्पण देना चाहिए जिसे पितरों को मुक्ति मिल सके.

भौमवती अमावस्या का महत्व: भौमवती अमावस्या के दिन भगवान विष्णु, भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा से संकट दूर होते हैं. श्रद्धालुओं को मनोवांछित सफलता मिलती है. आज के दिन तर्पण से पितर भी प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. भौमवती अमावस्या के दिन पूजा करने से जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष होता है उनका मंगल दोष दूर हो जाता है. साथ ही पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है. घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है तथा पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है.

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जानिए भौमवती अमावस्या के दिन पूजन विधि

फरीदाबाद: भौमवती अमावस्या मार्गशीर्ष माह में पड़ रही है. इस दिन पूजा पाठ करने से व्यक्ति के मंगल दोष दूर होते हैं. आने वाला साल शुभ रह सकता है. गंगा नदी में स्नान करने से लाभ होता है. इस दिन दान का महत्त्व है.

भौमवती अमवस्या शुभ मुहूर्त: साल की आखिरी अमावस्या आज (12 दिसंबर को) है. 12 दिसंबर मंगलवार है इसलिए साल की इस आखिरी अमावस्या को भौमवती अमावस्या के तौर पर देखा जा रहा है. भौमवती अमावस्या 12 दिसंबर दिन मंगलवार को सुबह 6 बजकर 24 मिनट से प्रारंभ होगी जो 13 दिसंबर को सुबह 5 बजकर 1 मिनट तक रहेगी. इस दौरान पूजा पाठ करने से श्रद्धालुओं को विशेष लाभ होता है.

किस भगवान की होती है पूजा? : आचार्य श्री महेश भैया के अनुसार भौमवती अमावस्या को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. आचार्य जी के अनुसार भगवान लक्ष्मीनारायण की भी पूजा से लाभ प्राप्त होता है. भौमवती अमावस्या के दिन गंगा स्नान का बहुत महत्व है. अगर गंगा में स्नान नहीं कर पाते हैं तो घर में ही बाल्टी में गंगाजल डाल कर पानी से स्नान करने पर गंगा स्नान का ही लाभ मिल जाता है. आचार्य श्री महेश भैया जी बताते हैं कि इस दिन पितरों का नाम लेकर तर्पण देना चाहिए जिसे पितरों को मुक्ति मिल सके.

भौमवती अमावस्या का महत्व: भौमवती अमावस्या के दिन भगवान विष्णु, भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा से संकट दूर होते हैं. श्रद्धालुओं को मनोवांछित सफलता मिलती है. आज के दिन तर्पण से पितर भी प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. भौमवती अमावस्या के दिन पूजा करने से जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष होता है उनका मंगल दोष दूर हो जाता है. साथ ही पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है. घर में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है तथा पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है.

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Last Updated : Dec 12, 2023, 6:47 AM IST
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