चरखी दादरी: आपने कभी खुशियों की दीवार का नाम सुना है? जी हां, हरियाणा के चरखी दादरी जिले में एक खुशियों की दिवार है. यहां आने वाला हर व्यक्ति खुश होकर जाता है. यहां पैसे नहीं बल्कि मुफ्त में खुशियां मिलती है. गरीब लोग अपनी जरूरत के हिसाब से यहां आते हैं और मुफ्त में सामान लेकर जाते हैं. इस खुशियों की दीवार को कोई सरकारी संस्था नहीं चलाती. बल्कि इसे चलाते हैं रंगकर्मी और सामाजिक कार्यकर्ता संजय रामफल.
रंगमंच पर अपने अभिनय के माध्यम से लोगों को जिंदगी के मायने सिखाने वाले संजय, जिंदगी के रंगमंच पर भी गरीबों और बेसहारों के चेहरे पर खुशी देने का काम करते हैं. पिछले तीन साल से खुशियों की दीवार चला रहे रंगकर्मी व सामाजिक कार्यकर्ता संजय रामफल ने अब जमीन पर बैठकर कार्य करने वालों को खुशियां देने का अभियान शुरू किया है.
बता दें कि, रंगकर्मी संजय रामफल ने करीब पांच साल पहले जिला न्यायालय परिसर में खुशियों की दीवार अभियान की शुरूआत की थी. साथ ही उन्होंने यहां कपड़ा बैंक चला रखा है. जहां से कोई भी व्यक्ति अपनी जरूरत का कपड़े ले जा सकता है. अब तक हजारों लोगों को उनकी जरूरत के मुताबिक कपड़े बांटे जा चुके हैं. संजय अकेले ही एकत्रित सामान को लेकर गरीबों के बीच पहुंचाते हैं.
गरीबों की हालत देखी तो शुरू किया अभियान
रंगकर्मी संजय रामफल कहते हैं कि वो मायानगरी मुम्बई में काफी वर्षों तक रहे हैं. वहां गरीबों की हालत देखी तो उन्होंने सेवा करने का अभियान चलाया. उन्होंने कहा कि उनके पास ना तो पैसे हैं और ना ही साधन हैं. फिर भी गरीबों की सेवा का जुनून लिए वे खुद ही गरीबों के बीच पहुंच जाते हैं और उनकी सेवा करते हैं.
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जरूरत का मिला सामान, मिली खुशी
किरणबाई ने बताया कि वे गरीब हैं. इसलिए खुशियों की दीवार से कपड़े ले जाती हैं. यहां कपड़े व जरूरत का सामान नि:शुल्क मिलने से खुशियां मिलती है. वहीं मोची पवन कुमार ने कहा कि गर्मी-सर्दी में जमीन पर बैठकर कार्य करना पड़ता था. अब संजय भाई ने उनको काउंटर देकर ये समस्या खत्म कर दी. काउंटर पर बैठकर कार्य करने से बहुत खुशी मिल रही है.
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पूराने दिनों को याद कर रो पड़े संजय
जब ईटीवी भारत की टीम ने संजय रामफल से पूछा कि उन्होंने ये काम कैसे शुरू किया तो संजय की आंखे छलक पड़ी. संजय बताते हैं कि वो एक बेरोजगार आदमी हैं. उन्होंने अपने जीवन में बहुत कुछ झेला है, लेकिन गरीबों और बेसहारों का दुख उनसे झेला नहीं जाता. इसलिए उन्होंने ये काम शुरू किया.
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लोगों को संजय से लेनी चाहिए सीख
विलियम शेक्सपियर ने कहा था कि जिंदगी एक रंगमंच है और हम लोग इस रंगमंच के कलाकार! सभी लोग जीवन को अपने- अपने नजरिये से देखते और जीते हैं, लेकिन सामाजिक कार्यकर्ता संजय रामफल अपनी परवाह नहीं करते हुए लोगों के लिए जीते हैं और उनकी बनाई खुशियों की दीवार गरीबों के चेहरे पर खुशी देने का काम करती है. लोगों को संजय से सीख लेकर गरीब और बेसहारा लोगों की मदद करनी चाहिए. ताकि वो भी मुख्य धारा में आ सकें.
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