चरखी दादरी: प्रदेश में ओवरलोडिंग के नाम पर मंथली लेने के कई मामलों के खुलासे हो रहे हैं. दो वर्ष पूर्व कमीशन काटकर प्रशासनिक अधिकारियों तक बंद पैकेट में पहुंचाया गया. मामले का खुलासा होने पर सामाजिक संगठनों ने अवैध वसूली मामले में संलिप्त अधिकारियों की संपत्ति की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को पत्र लिखा है.
पुलिस ने चालान पेश किया, जांच जारी
ओवरलोडिंग के खेल में एसआइटी ने कोर्ट में करीब ढाई हजार पेज की चार्जशीट पेश कर दी है. चार्जशीट में मुख्य आरोपित आरटीए के सचिव मनीष मदान को बताया गया है, जो अधिकारियों से पूरी सेटिंग करता था और हर माह रुपये पहुंचाए जाते थे. साथ ही डीसी के पीए समेत बाकी लोगों को भी आरोपित ठहराया गया है. एसआईटी सदस्य व डीएसपी नरेंद्र कादयान ने बताया कि मामले को लेकर न्यायालय में चालान पेश किया जा चुका है. जांच के दौरान अनेक पहलुओं को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. इस मामले में जो भी संलिप्त या संदिग्ध हैं, उनसे पूछताछ जारी है. लगातार अधिकारियों व अन्य लोगों को नोटिस भेजे जा रहे हैं.
लगातार हो रहे हैं खुलासे
गौरतलब है कि मई माह में रोहतक पुलिस द्वारा दो दलालों को ओवरलोडिंग मामले में वसूली करते काबू किया गया था. तब से ही लगातार परतें खुलती चली गई. मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन करके जांच तेज की गई तो पुलिस ने दादरी आरटीए के सहसचिव मनीष मदान, कर्लक अमित कुमार व तत्कालीन डीसी अजय तोमर के पीए सुरेश कुमार को गिरफ्तार करके करीब 72 लाख रुपये की नकदी बरामद की. जांच के दौरान ही तत्कालीन डीसी अजय तोमर, एडीसी व आरटीए संगीता ततेरवाल का नाम सामने आया. पुलिस द्वारा काबू किए लोगों से पूछताछ व जांच के दौरान ओवरलोडिंग के बड़े खेल का खुलासा हो पाया. इस खेल में कई जिलों के डीसी, एडीसी, आरटीए व अन्य अधिकारियों की संलिप्पता पाई गई.
सरकारी खजाने को लगाया बड़ा चूना
पुलिस सूत्रों की मानें तो आरटीए कर्मचारियों द्वारा अधिकारियों के कहने पर ओवरलोडिंग वाहनों के काटे गए चालानों में कटिंग करके बड़ा खेल खेल गया. इसके अलावा प्रदेश के 6 जिलों में डीसी, एडीसी, आरटीए द्वारा प्रति गाड़ी 7 हजार से 7500 रुपये की मंथली ली गई. जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि सरकारी खजाने को बड़ा चूना लगाया गया है. पुलिस को दिए बयानों में दलालों ने स्वीकार किया कि वे मंथली लेकर आरटीए कर्मचारियों के माध्यम से अलग-अलग जिलों के आरटीए व अन्य अधिकारियों तक पैसा भेजते थे. ओवरलोडिंग वाहनों से प्रति माह 8 हजार रुपये की वसूली गई और कमीशन उनके बीच बराबर हिस्सों में बांटकर पैकेट के माध्यम से अधिकारियों के पास भेजा जाता था. पैकेट भेजने वाले को भी प्रति पैकेट कमीशन दिया जाता था.
फंस सकते हैं डीसी
एसआईटी की तरफ से चार्जशीट में बताया गया है कि तत्कालीन डीसी के पीए सुरेश कुमार ने भी माना कि वह डीसी अजय तोमर व एडीसी संगीता ततेरवाल को पैकेट पहुंचाता था. इसके एवज में भी उसे नकद रुपये मिलते थे. एसआईटी ने यह भी सवाल उठाया है कि जिस तरीके से पीए ने स्वीकार किया है कि वह रुपये पहुंचाता था. इन आरोपों को देखते हुए ही आइएएस दंपती से पूछताछ की जाएगी.
एक हफ्ते में आइएएस दंपति को देना होगा जवाब
लगातार कई नोटिस जारी होने पर दो दिन पहले आइएएस दंपती एसपी के सामने पेश हुए. एसपी इस मामले में एसआईटी इंचार्ज हैं. एसआईटी की तरफ से उनसे करीब 18 सवालों के जवाब मांगे गए हैं, जो एक सप्ताह के अंदर देने होंगे. इसके बाद एसआईटी की जांच आगे बढ़ेगी.
संलिप्त अधिकारियों की संपत्ति की जांच के लिए ईडी को लिखा पत्र
सामाजिक संगठनों द्वारा ओवरलोडिंग मामले की जांच के लिए जहां लगातार सीबीआई जांच की मांग की गई वहीं अधिवक्ता संजीव तक्षक ने सामाजिक संगठनों के माध्यम से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने संलिप्त अधिकारियों की संपत्ति की जांच करवाने की मांग की है साथ ही सीबीआई से जांच करवाने को लेकर राज्यपाल को भी ज्ञापन भेजा है.
'खट्टर सरकार ने भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया, सीबीआई जांच से बच रही सरकार'
पूर्व सहकारिता मंत्री सतपाल सांगवान ने सरकार को घेरते हुए कहा कि प्रदेश की खट्टर सरकार ने ओवरलोडिंग के नाम पर करोड़ों के भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है. सरकार के मंत्री, नेता व अधिकारी मिलकर लूटने का कार्य कर रहे हैं इसलिए प्रदेश सरकार भी सीबीआई जांच करवाने से बच रही है.