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चरखी दादरी: नौकरी बहाली को लेकर पीटीआई टीचरों ने खेल मंत्री का पुतला फूंका

लघु सचिवालय के समक्ष 17 दिनों से अनशन पर बैठे पीटीआई टीचरों ने नौकरी बहाली की मांग को लेकर रोष प्रदर्शन करते हुए खेल मंत्री संदीप सिंह का पुतला फूंका और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

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Published : Jul 1, 2020, 10:51 PM IST

removed pti teachers protest in charkhi dadri
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चरखी दादरी: नौकरी बहाली की मांग को लेकर पिछले 17 दिन से अनशन पर बैठे पीटीआई टीचरों ने बुधवार को शहर में प्रदर्शन करते हुए खेल मंत्री संदीप सिंह का पुतला फूंका. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सरकार को चेतावनी दी कि वो खापों का समर्थन लेकर जनआंदोलन करेंगे और नौकरी पाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. पीटीआई टीचर समर्थन के लिए प्रदेश में सभी खापों और संगठनों से सम्पर्क करने में जुटे हैं.

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि नौकरी पाने के लिए किसी भी हद तक मर मिटने तक को तैयार हैं. इस दौरान महिला टीचरों ने थाली आदि बजाकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. वहीं कई कर्मचारी संगठन समर्थन में पहुंचे.

पीटीआई टीचरों ने खेल मंत्री का पुतला फूंका, देखें वीडियो

शारिरिक शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार उनकी जायज मांगों को अनदेखा कर रही है. प्रदेश की सभी बड़ी खापों व संगठनों से सम्पर्क हो चुका है और जल्द ही जनआंदोलन करेंगे. उन्होनें कहा कि सरकार उनके परिवार और बच्चों के भविष्य के बारे में बिल्कुल नहीं सोच रही है. कहा कि जल्द ही सरकार जिस दिन से उन्हें हटाया था उसी दिन से ज्वाइन कराए वरना जल्द ही एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा.

क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला?

दरअसल भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में 1983 पीटीआई अध्यापकों की भर्ती की गई थी. जो विद्यार्थीे भर्ती परीक्षा में फेल हो गए थे. उन्होंने र्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में याचिका दायर की.याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था. इसके खिलाफ चयनित पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं.

ये भी पढ़ें- नकली कोल्ड ड्रिंक बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़, भारी मात्रा में केमिकल बरामद

चरखी दादरी: नौकरी बहाली की मांग को लेकर पिछले 17 दिन से अनशन पर बैठे पीटीआई टीचरों ने बुधवार को शहर में प्रदर्शन करते हुए खेल मंत्री संदीप सिंह का पुतला फूंका. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सरकार को चेतावनी दी कि वो खापों का समर्थन लेकर जनआंदोलन करेंगे और नौकरी पाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. पीटीआई टीचर समर्थन के लिए प्रदेश में सभी खापों और संगठनों से सम्पर्क करने में जुटे हैं.

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि नौकरी पाने के लिए किसी भी हद तक मर मिटने तक को तैयार हैं. इस दौरान महिला टीचरों ने थाली आदि बजाकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. वहीं कई कर्मचारी संगठन समर्थन में पहुंचे.

पीटीआई टीचरों ने खेल मंत्री का पुतला फूंका, देखें वीडियो

शारिरिक शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार उनकी जायज मांगों को अनदेखा कर रही है. प्रदेश की सभी बड़ी खापों व संगठनों से सम्पर्क हो चुका है और जल्द ही जनआंदोलन करेंगे. उन्होनें कहा कि सरकार उनके परिवार और बच्चों के भविष्य के बारे में बिल्कुल नहीं सोच रही है. कहा कि जल्द ही सरकार जिस दिन से उन्हें हटाया था उसी दिन से ज्वाइन कराए वरना जल्द ही एक बड़ा आंदोलन किया जाएगा.

क्या है पीटीआई शिक्षकों का मामला?

दरअसल भूपेंद्र हुड्डा की सरकार में 1983 पीटीआई अध्यापकों की भर्ती की गई थी. जो विद्यार्थीे भर्ती परीक्षा में फेल हो गए थे. उन्होंने र्ती में अनियमतिता का आरोप लगाते हुए इसके खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट में याचिका दायर की.याचिका में कहा गया था कि सैकड़ों चयनित उम्मीदवारों का शैक्षिक रिकॉर्ड बेहद खराब है. आरोप में ये भी कहा गया था कि 90 फीसदी मेधावी उम्मीदवार मौखिक परीक्षा में असफल रहे. उन्हें 30 में से 10 नंबर भी नहीं आए. इसी के साथ यह भी आरोप लगा था कि इंटरव्यू के लिए तय किए गए 25 अंक को बदलकर 30 कर दिया गया. इन सबके मद्देनजर 30 सितंबर 2013 को पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पीटीआई भर्ती को रद्द कर दिया था. इसके खिलाफ चयनित पीटीआई शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए आठ अप्रैल को अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि साल 2010 में पीटीआई भर्ती में नियमों का उल्लंघन किया गया था. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. इसके बाद से ही पीटीआई अध्यापक लगातार सरकार पर नियुक्ति का दबाव बना रहे हैं.

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