ETV Bharat / state

दुनिया की तीसरी सबसे खतरनाक बीमारी ब्रेन स्ट्रोक, जानें कहीं आप भी तो नहीं इसके शिकार

हार्ट अटैक और कैंसर के बाद ब्रेन स्ट्रोक दुनिया की तीसरी सबसे खतरनाक बीमारी है. हर साल बड़ी संख्या में लोगों की मौत इस बीमारी से होती है. ब्रेन हैमरेज होने की स्थिति में मरीज को बचाना बहुत मुश्किल हो जाता है.

world dangerous disease brain stroke
author img

By

Published : Oct 25, 2019, 11:39 PM IST

चंडीगढ़: वर्ल्ड ब्रेन स्ट्रोक ऑर्गेनाइजेशन कुछ साल पहले एक आंकड़ा दिया था, जिसमें कहा गया था कि दुनिया में हर 6 लोगों में से एक इंसान को ब्रेन स्ट्रोक का खतरा है. लेकिन कुछ सालों बाद खतरा इतना बढ़ गया कि अब यह आंकड़ा 4 लोगों में से एक का रह गया है. भारत में हर साल 15 से 20 लाख लोगों को ब्रेन स्ट्रोक होता है.

ब्रेन स्ट्रोक से होता है ब्रेन हैमरेज

भारत में हर रोज बड़ी संख्या में लोग ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित हो रहे हैं. इस बीमारी में दिमाग की नश फटने से ब्रेन हैमरेज हो जाता है. जिस कारण इंसान की मौत हो जाती है. ब्रेन हैमरेज होने की स्थिति में बहुत कम लोग ही इसका इलाज करवा पाते हैं.

बीमारी के बारे में जानकारी देते डॉक्टर

दिमाग की नश फटने से हो जाती है मौत

ब्रेन स्ट्रोक में दिमाग के किसी नस में खून का धक्का जम जाता है. जिससे धीरे-धीरे नश डेड हो जाती है. जब नश चोक हो जाती है तो फट जाती है. दिमाग में नश फटने से खून पूरी तरह से दिमाग में फैल जाता है, इस कंडीशन में मरीज के बचने के चांस बहुत कम हो जाते हैं. अगर मरीज को तुरंत ट्रीटमेंट नहीं दिया जाता तो जान जाने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं. इसके साथ ही इंसान को लकवा भी मार सकता है और इंसान लंबे समय तक कोमा में जा सकता है.

4 घंटे के अंदर हो सकता है इलाज

ब्रेन स्ट्रोक होने पर इलाज शुरू होने तक का समय बेहद जरूरी होता है. अगर मरीज को 4 घंटे के अंदर डॉक्टर के पास पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बच सकती है. दिमाग में होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकता है, लेकिन अगर मरीज का इलाज देरी से शुरू हो तब उसकी जान बचाना भी मुश्किल हो जाता है.

ये भी पढ़ें:-धनतेरस पर बाजारों में बढ़ी रौनक, सोने-चांदी से सजे बाजार

ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण

  • हाथ पैर कांपने लगते हैं
  • शरीर ठीक से काम नहीं करता
  • बोलने में समस्या होती है.
  • शरीर के अंगों में फड़-फड़ महसूस होती है.

  • ब्रेन स्ट्रोक होने के कारण

ब्रेन स्ट्रोक की मुख्य वजह दिमाग की नसों में खून के थक्के जमना है और यह हमारे खराब लाइफस्टाइल की वजह से होता है. शारीरिक व्यायाम नहीं करने, खाने में चिकनाई की मात्रा ज्यादा होने, हाई कोलेस्ट्रॉल वाला खाना खाने से इसकी संभावना ज्यादा हो जाती है.

29 अक्टूबर ब्रेन स्ट्रोक-डे
29 अक्टूबर को पूरी दुनिया में वर्ल्ड ब्रेन स्ट्रोक-डे मनाया जाता है, जिसका मकसद यही है कि लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया जाए. उन्हें इस बीमारी के लक्षण और इलाज के बारे में बताया जाए ताकि पहले तो यह बीमारी किसी को ना हो और अगर कोई इसकी चपेट में आ जाए तो उसे तुरंत इलाज मुहैया करवाया जा सके ताकि उसकी जान भी बचाई जा सके.

चंडीगढ़: वर्ल्ड ब्रेन स्ट्रोक ऑर्गेनाइजेशन कुछ साल पहले एक आंकड़ा दिया था, जिसमें कहा गया था कि दुनिया में हर 6 लोगों में से एक इंसान को ब्रेन स्ट्रोक का खतरा है. लेकिन कुछ सालों बाद खतरा इतना बढ़ गया कि अब यह आंकड़ा 4 लोगों में से एक का रह गया है. भारत में हर साल 15 से 20 लाख लोगों को ब्रेन स्ट्रोक होता है.

ब्रेन स्ट्रोक से होता है ब्रेन हैमरेज

भारत में हर रोज बड़ी संख्या में लोग ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित हो रहे हैं. इस बीमारी में दिमाग की नश फटने से ब्रेन हैमरेज हो जाता है. जिस कारण इंसान की मौत हो जाती है. ब्रेन हैमरेज होने की स्थिति में बहुत कम लोग ही इसका इलाज करवा पाते हैं.

बीमारी के बारे में जानकारी देते डॉक्टर

दिमाग की नश फटने से हो जाती है मौत

ब्रेन स्ट्रोक में दिमाग के किसी नस में खून का धक्का जम जाता है. जिससे धीरे-धीरे नश डेड हो जाती है. जब नश चोक हो जाती है तो फट जाती है. दिमाग में नश फटने से खून पूरी तरह से दिमाग में फैल जाता है, इस कंडीशन में मरीज के बचने के चांस बहुत कम हो जाते हैं. अगर मरीज को तुरंत ट्रीटमेंट नहीं दिया जाता तो जान जाने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं. इसके साथ ही इंसान को लकवा भी मार सकता है और इंसान लंबे समय तक कोमा में जा सकता है.

4 घंटे के अंदर हो सकता है इलाज

ब्रेन स्ट्रोक होने पर इलाज शुरू होने तक का समय बेहद जरूरी होता है. अगर मरीज को 4 घंटे के अंदर डॉक्टर के पास पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बच सकती है. दिमाग में होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकता है, लेकिन अगर मरीज का इलाज देरी से शुरू हो तब उसकी जान बचाना भी मुश्किल हो जाता है.

ये भी पढ़ें:-धनतेरस पर बाजारों में बढ़ी रौनक, सोने-चांदी से सजे बाजार

ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण

  • हाथ पैर कांपने लगते हैं
  • शरीर ठीक से काम नहीं करता
  • बोलने में समस्या होती है.
  • शरीर के अंगों में फड़-फड़ महसूस होती है.

  • ब्रेन स्ट्रोक होने के कारण

ब्रेन स्ट्रोक की मुख्य वजह दिमाग की नसों में खून के थक्के जमना है और यह हमारे खराब लाइफस्टाइल की वजह से होता है. शारीरिक व्यायाम नहीं करने, खाने में चिकनाई की मात्रा ज्यादा होने, हाई कोलेस्ट्रॉल वाला खाना खाने से इसकी संभावना ज्यादा हो जाती है.

29 अक्टूबर ब्रेन स्ट्रोक-डे
29 अक्टूबर को पूरी दुनिया में वर्ल्ड ब्रेन स्ट्रोक-डे मनाया जाता है, जिसका मकसद यही है कि लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया जाए. उन्हें इस बीमारी के लक्षण और इलाज के बारे में बताया जाए ताकि पहले तो यह बीमारी किसी को ना हो और अगर कोई इसकी चपेट में आ जाए तो उसे तुरंत इलाज मुहैया करवाया जा सके ताकि उसकी जान भी बचाई जा सके.

Intro:ब्रेन स्ट्रोक एक साइलेंट किलर जैसी बीमारी है जो कब किस व्यक्ति को अपना शिकार बना ले। इसका बिल्कुल भी पता नहीं चलता। इस बीमारी के शिकार लोग या तो मर जाते हैं या जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो जाते हैं। दुनिया में हार्ट अटैक और कैंसर के बाद यह तीसरी ऐसी बीमारी है जो सबसे ज्यादा जाने ले रही है यह कहना है डॉक्टर दीपक का।


Body:वर्ल्ड ब्रेन स्ट्रोक ऑर्गेनाइजेशन कुछ साल पहले एक आंकड़ा दिया था जिसमें कहा गया था कि दुनिया में हर 6 लोगों में से एक इंसान को ब्रेन स्ट्रोक का खतरा है लेकिन कुछ सालों बाद खतरा इतना बढ़ गया कि अब यह आंकड़ा 4 लोगों में से एक का रह गया है। भारत में हर साल 15 से 20 लाख लोगों को ब्रेन स्ट्रोक होता है या दिमाग की नस फटने से ब्रेन हेमरेज हो जाता है। वही देश में हर रोज 3 से 4000 लोगों को ब्रेन स्ट्रोक हो रहा है । इसमें से दो या तीन प्रतिशत लोग ही इसका इलाज करवाने में असमर्थ हैं ।जहां तक लोग या तो मर जाते हैं या फिर अपाहिज हो जाते हैं।
उन्होंने कहा की ब्रेन स्ट्रोक दो प्रकार का होता है एक तो ब्रेंस तो दूसरा ब्रेन हेमरेज ब्रेन स्ट्रोक तब होता है जब दिमाग की किसी नस में खून का थक्का जम जाता है और वहां से रक्त प्रवाह नहीं हो पाता जिस वजह से दिमाग का एक हिस्सा काम करना बंद कर देता है और ब्रेन हेमरेज में दिमाग की कोई नस मर जाती है जिस वजह से नसों से खून बहने की वजह से भी दिमाग का कोई न कोई हिस्सा काम करना बंद कर देता है। इसमें बहुत से लोगों की मौत हो जाती है या इंसान के हाथ जुबान या टांगे बेजान हो जाते हैं।
ब्रेन स्ट्रोक होने पर इलाज शुरू होने तक का समय बेहद जरूरी होता है । अगर मरीज को 4 घंटे के भीतर डॉक्टर के पास पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बच सकती है और दिमाग में होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकता है। लेकिन अगर मरीज का इलाज देरी से शुरू हो तब उसकी जान बचाना भी मुश्किल हो जाता है।

उन्होंने इस बीमारी के लक्षणों के बारे में बात करते हुए बताया कि जब हाथों या पैरों में कंपन हो हाथ या पैर ठीक से काम ना कर रहे हो ,,लबोलने में समस्या आ रही हो या शरीर के विभिन्न अंगों में फड़ फड़ आहट महसूस हो रही हो , तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए हो सकता है , यह ब्रेन स्ट्रोक के होने की चेतावनी हो।

बेन स्टोक की मुख्य वजह दिमाग की नसों में खून के थक्के जमना है और यह हमारे खराब लाइफस्टाइल की वजह से होता है डॉग शारीरिक व्यायाम नहीं करते, खाने में चिकनाई की मात्रा ज्यादा रखते हैं ,हाई कोलेस्ट्रॉल वाला खाना खाते हैं। जिस वजह से नसों में खून के थक्के जमने की संभावना बढ़ जाती है इसी वजह से ब्रेन स्ट्रोक हो सकता है।
29 अक्टूबर को पूरी दुनिया में वर्ल्ड ब्रेन स्ट्रोक डे मनाया जाता है जिसका मकसद यही है कि लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया जाए ।उन्हें इस बीमारी के लक्षण और इलाज के बारे में बताया जाए ताकि पहले तो यह बीमारी किसी को ना हो और अगर कोई इसकी चपेट में आ जाए तो उसे तुरंत इलाज मुहैया करवाया जा सके ताकि उसकी जान भी बचाई जा सक



Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.