चंडीगढ़: वर्ल्ड ब्रेन स्ट्रोक ऑर्गेनाइजेशन कुछ साल पहले एक आंकड़ा दिया था, जिसमें कहा गया था कि दुनिया में हर 6 लोगों में से एक इंसान को ब्रेन स्ट्रोक का खतरा है. लेकिन कुछ सालों बाद खतरा इतना बढ़ गया कि अब यह आंकड़ा 4 लोगों में से एक का रह गया है. भारत में हर साल 15 से 20 लाख लोगों को ब्रेन स्ट्रोक होता है.
ब्रेन स्ट्रोक से होता है ब्रेन हैमरेज
भारत में हर रोज बड़ी संख्या में लोग ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित हो रहे हैं. इस बीमारी में दिमाग की नश फटने से ब्रेन हैमरेज हो जाता है. जिस कारण इंसान की मौत हो जाती है. ब्रेन हैमरेज होने की स्थिति में बहुत कम लोग ही इसका इलाज करवा पाते हैं.
दिमाग की नश फटने से हो जाती है मौत
ब्रेन स्ट्रोक में दिमाग के किसी नस में खून का धक्का जम जाता है. जिससे धीरे-धीरे नश डेड हो जाती है. जब नश चोक हो जाती है तो फट जाती है. दिमाग में नश फटने से खून पूरी तरह से दिमाग में फैल जाता है, इस कंडीशन में मरीज के बचने के चांस बहुत कम हो जाते हैं. अगर मरीज को तुरंत ट्रीटमेंट नहीं दिया जाता तो जान जाने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं. इसके साथ ही इंसान को लकवा भी मार सकता है और इंसान लंबे समय तक कोमा में जा सकता है.
4 घंटे के अंदर हो सकता है इलाज
ब्रेन स्ट्रोक होने पर इलाज शुरू होने तक का समय बेहद जरूरी होता है. अगर मरीज को 4 घंटे के अंदर डॉक्टर के पास पहुंचा दिया जाए तो उसकी जान बच सकती है. दिमाग में होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकता है, लेकिन अगर मरीज का इलाज देरी से शुरू हो तब उसकी जान बचाना भी मुश्किल हो जाता है.
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ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण
- हाथ पैर कांपने लगते हैं
- शरीर ठीक से काम नहीं करता
- बोलने में समस्या होती है.
- शरीर के अंगों में फड़-फड़ महसूस होती है.
- ब्रेन स्ट्रोक होने के कारण
ब्रेन स्ट्रोक की मुख्य वजह दिमाग की नसों में खून के थक्के जमना है और यह हमारे खराब लाइफस्टाइल की वजह से होता है. शारीरिक व्यायाम नहीं करने, खाने में चिकनाई की मात्रा ज्यादा होने, हाई कोलेस्ट्रॉल वाला खाना खाने से इसकी संभावना ज्यादा हो जाती है.
29 अक्टूबर ब्रेन स्ट्रोक-डे
29 अक्टूबर को पूरी दुनिया में वर्ल्ड ब्रेन स्ट्रोक-डे मनाया जाता है, जिसका मकसद यही है कि लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया जाए. उन्हें इस बीमारी के लक्षण और इलाज के बारे में बताया जाए ताकि पहले तो यह बीमारी किसी को ना हो और अगर कोई इसकी चपेट में आ जाए तो उसे तुरंत इलाज मुहैया करवाया जा सके ताकि उसकी जान भी बचाई जा सके.