चंडीगढ़: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. हाई कोर्ट ने एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में सीबीआई कोर्ट की कार्यवाही पर 9 अगस्त तक रोक लगा दी है. ऐसे में आपको बताते हैं कि आखिर ये एजेएल प्लॉट आवंटन मामला है क्या? जिसमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर भ्रष्टाचार सहित कई गंभीर आरोप लगे हैं.
दरअसल, 1982 में तत्कालीन सीएम चौधरी भजनलाल ने पंचकूला सेक्टर-6 में प्लॉट नंबर सी-17 एजेएल को अलॉट किया था. कंपनी को प्लॉट पर 6 महीने में निर्माण शुरू करके दो साल में काम पूरा करना था, लेकिन कंपनी 10 साल में भी ऐसा नहीं कर पाई. जिसके बाद अक्टूबर 1992 में जब भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा के मुख्यमंत्री और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष थे तब उन्होंने अलॉटमेंट कैंसिल करके प्लॉट को रिज्यूम कर लिया था.
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1982 की दरों पर प्लॉट आवंटित कराने का आरोप
18 अगस्त 1995 को फ्रेश अलॉटमेंट के लिए आवेदन मांगे गए. इसमें एजेएल कंपनी को भी आवेदन करने की छूट दी गई थी. भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप हैं कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए नेशनल हेराल्ड की सब्सिडी एसोसिएट्स जनरल लिमिटेड (एजेएल) कंपनी को 2005 में 1982 की दरों पर प्लॉट आवंटित करवाया था. हुड्डा और एजेएल पदाधिकारियों पर 2005 में अवैध तरीके से भूखंड को फिर से आवंटित करने का आरोप है. इससे सरकार को 67.65 लाख रुपये का नुकसान हुआ था.
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इन धाराओं के तहत आरोप हुए हैं तय
एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित कई लोग आरोपी हैं. इस मामले में पंचकूला स्थित विशेष सीबीआई अदालत की ओर से भूपेंद्र हुड्डा सहित अन्य आरोपियों पर आरोप भी तय (चार्जेस फ्रेम) तय कर दिए गए हैं. कोर्ट ने मामले में आरोपियों पर धारा 120बी (साजिश रचना), 420 भारतीय दंड संहिता(धोखाधड़ी), 13 (2), 13 1 (डी) (भ्रष्टाचार अधिनियम) के तहत आरोप तय किए हैं. वहीं एजेएल प्लॉट आवंटन मामले के दूसरे मुख्य आरोपी रहे एजेएल हाउस के चेयरमैन मोतीलाल वोरा की पहले ही मौत हो चुकी है.