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एक ऐसा गांव जहां होलिका दहन करने पर आती है आफत ! - chandigarh news

छ्त्तीसगढ़ के तेलीनसती गांव में बिना होलिका दहन के होली खेली जाती है. यदि किसी व्यक्ति ने होलिका दहन करने की कोशिश की तो गांव में आफत आ जाती है.

different story on telin sati village related holi celebration
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Published : Mar 10, 2020, 9:31 AM IST

धमतरी: वक्त जरूर बदला, लेकिन धमतरी से महज 3 किलोमीटर दूर तेलीनसती गांव की दस्तूर नहीं बदली है. यहां के ग्रामीण अबीर गुलाल तो जमकर उड़ाते हैं, लेकिन होलिका दहन नहीं करते हैं. इस गांव में आज भी बिना होलिका दहन के ही होली का त्योहार मनाया जाता है. गांववालों की मान्यता है कि आग जलाने से उनके ऊपर आफत आ सकती है, जबकि पीढ़ियों से चली आ रही इस परंपरा को युवा वर्ग भी आगे बढ़ा रहा है.

यहां होलिका दहन मनाने पर आती है आफत

दरअसल, ऐसी मान्यता है कि होली के मौके पर गांव में आग नहीं जलाई जाती है. अगर कोई व्यक्ति ऐसा करने की कोशिश भी करता है तो गांव में आफत आ जाती है. गांव वालों का कहना है कि, 'सदियों से पहले इस गांव में एक महिला अपने पति की चिता में सती हुई थी और तब से यह परंपरा चली आ रही है, जिसे हर शख्स मानता है'.

एक ऐसा गांव जहां होलिका दहन करने पर आती है आफत, देखें वीडियो

ये भी जानें- आई रे होली : रंग में नहीं पड़ेगा 'भंग', जब इन बातों का रखेंगे ख्याल

'बहनोई को मारकर मेड़ में गाड़ दिया'

लोग बताते हैं कि, गांव में एक जमींदार था, जो सात भाई और एक बहन थी. बहन की शादी के बाद दमाद घरजमाई बनकर रहता था. उनकी सैकड़ों एकड़ की खेती भी थी. एक बार खेत का मेड़ टूट गया और इसके बाद सातों भाई ने मेड़ बांधने की खूब कोशिश की, लेकिन वह बांध नहीं सके. एक दिन सातों भाइयों ने अपनी बहनोई को मारकर उसी मेड़ में गाड़ दिया और जब बहन ने पूछा तो उन्होंने सारी बातें बता दी. इस बात को जानने के बाद बहन पति की चिता सजाकर सती हो गई. इसके बाद से ही गांव में होलिका नहीं जलाई जाती है. इसकी याद में जय मां सती मंदिर भी बनाया गया है.

धमतरी: वक्त जरूर बदला, लेकिन धमतरी से महज 3 किलोमीटर दूर तेलीनसती गांव की दस्तूर नहीं बदली है. यहां के ग्रामीण अबीर गुलाल तो जमकर उड़ाते हैं, लेकिन होलिका दहन नहीं करते हैं. इस गांव में आज भी बिना होलिका दहन के ही होली का त्योहार मनाया जाता है. गांववालों की मान्यता है कि आग जलाने से उनके ऊपर आफत आ सकती है, जबकि पीढ़ियों से चली आ रही इस परंपरा को युवा वर्ग भी आगे बढ़ा रहा है.

यहां होलिका दहन मनाने पर आती है आफत

दरअसल, ऐसी मान्यता है कि होली के मौके पर गांव में आग नहीं जलाई जाती है. अगर कोई व्यक्ति ऐसा करने की कोशिश भी करता है तो गांव में आफत आ जाती है. गांव वालों का कहना है कि, 'सदियों से पहले इस गांव में एक महिला अपने पति की चिता में सती हुई थी और तब से यह परंपरा चली आ रही है, जिसे हर शख्स मानता है'.

एक ऐसा गांव जहां होलिका दहन करने पर आती है आफत, देखें वीडियो

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'बहनोई को मारकर मेड़ में गाड़ दिया'

लोग बताते हैं कि, गांव में एक जमींदार था, जो सात भाई और एक बहन थी. बहन की शादी के बाद दमाद घरजमाई बनकर रहता था. उनकी सैकड़ों एकड़ की खेती भी थी. एक बार खेत का मेड़ टूट गया और इसके बाद सातों भाई ने मेड़ बांधने की खूब कोशिश की, लेकिन वह बांध नहीं सके. एक दिन सातों भाइयों ने अपनी बहनोई को मारकर उसी मेड़ में गाड़ दिया और जब बहन ने पूछा तो उन्होंने सारी बातें बता दी. इस बात को जानने के बाद बहन पति की चिता सजाकर सती हो गई. इसके बाद से ही गांव में होलिका नहीं जलाई जाती है. इसकी याद में जय मां सती मंदिर भी बनाया गया है.

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