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अशोक तंवर ने थामा AAP का दामन, अरविंद केजरीवाल ने पार्टी में कराया शामिल

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Published : Apr 4, 2022, 3:57 PM IST

हरियाणा कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यश अशोक तंवर आज आम आदमी पार्टी में शामिल हो (Ashok Tanwar joins AAP) गए हैं. दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मौजूदगी में तंवर ने आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया है.

Ashok Tanwar joins AAP
Ashok Tanwar joins AAP

चंडीगढ़/नई दिल्ली: हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व सांसद डॉ. अशोक तंवर अब आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए (Ashok Tanwar joins AAP) हैं. करीब बीस बरस तक कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय रहने वाले डॉ. अशोक तंवर दिल्ली में आम आदमी पार्टी में शामिल हुए. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उन्हें पार्टी में शामिल किया. इस दौरान केजरीवाल ने तंवर को एक क्षमतावान, जुझारु और योग्य नेता बताते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी सकारात्मक राजनीति की पक्षधर है.

बता दें कि इससे पहले तंवर पिछले नवंबर में ही तृणमूल कांग्रेस में शामिल (TMC leader Ashok Tanwar to join AAP) हुए थे. सितंबर 2019 में कांग्रेस से किनारा करने के बाद तंवर ने फरवरी 2020 में अपना भारत मोर्चा बनाया था. गौरतलब है कि हरियाणा में इस समय विधानसभा चुनाव को करीब तीन साल, जबकि लोकसभा चुनावों को ढ़ाई वर्ष का समय रहा है. यह लम्बा वक्त है, जिसमें डॉ. अशोक तंवर को आम आदमी पार्टी का एक मजबूत संगठन खड़ा करने में मदद मिलेगी. हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और लोकसभा के सदस्य रहे डॉ. अशोक तंवर हरियाणा की राजनीति के प्रमुख किरदारों में आते हैं. उन्हें संगठन का लम्बा अनुभव है.

Ashok Tanwar joins AAP
'AAP' के हुए अशोक तंवर, अरविंद केजरीवाल ने पार्टी में किया शामिल

कौन हैं अशोक तंवर: अशोक तंवर का जन्म 12 फरवरी 1976 को झज्जर के गांव चिमनी में हुआ. डॉ. तंवर के पिता भारतीय सेना में रहे हैं. एक साधारण परिवार में जन्मे डॉ. तंवर शुरू से ही काबिल व मेहनती रहे है. उन्होंने काकतिया यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद तंवर ने देश के प्रतिष्ठित संस्थान जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से इतिहास में एमए किया और एमफिल और पीएचडी की डिग्री ली. जेएनयू में अध्ययन करते वक्त ही डॉ. तंवर विद्यार्थी राजनीति में सक्रिय हो गए. वे कांग्रेस के विद्यार्थी संगठन NSUI से जुड़े और 1999 में एनएसयूआई के सचिव और साल 2003 में अध्यक्ष बन गए.

ये भी पढ़ें- चंडीगढ़ मुद्दे पर दो खेमों में बंटी कांग्रेस, हुड्डा और सैलजा ग्रुप की अलग-अलग हो रही मीटिंग

अशोक तंवर हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. तंवर सिरसा से सांसद भी रहे हैं. सिरसा लोकसभा सीट पर 2009 में पहली बार चुनाव लड़कर सांसद बने थे. 2009 में तंवर ने अपने निकटतम इनेलो के प्रतिद्वंदी डॉ. सीता राम को 35 हजार 499 वोटों से हराया था. 2014 में वो इनेलो के उमीदवार चरणजीत सिंह रोड़ी से चुनाव हार गए. इसके बावजूद कांग्रेस ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देते हुए हरियाणा कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया. साल 2019 में अशोक तंवर सिरसा लोकसभा सीट से फिर चुनाव लड़े लेकिन बीजेपी प्रत्याशी सुनीता दुग्गल से उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

2014 में कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा का चुनाव अशोक तंवर के प्रदेश अध्यक्ष रहते लड़ा. जिसमें कांग्रेस हरियाणा में तीसरे नंबर की पार्टी रही. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव से ही हुड्डा गुट तंवर को हटाने में जुट गया था. वहीं उसके बाद नगर निगम चुनाव हो या फिर जींद उपचुनाव इनमें भी कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. वहीं 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी का एक भी सांसद जीत दर्ज नहीं कर पाया. खुद अशोक तंवर और भूपेंद्र सिंह हुड्डा, दीपेंद्र हुड्डा सभी को करारी हार का सामना करना पड़ा.

ये भी पढ़ें- TMC के सहारे हरियाणा की राजनीतिक फिजा बदलेंगे अशोक तंवर, जानिए पूरी कहानी

दरअसल 2019 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अशोक तंवर को प्रदेश अध्य्क्ष पद से हटा दिया गया और उनकी जगह कुमारी सैलजा को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. इतना ही नहीं अशोक तंवर को चुनाव में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई. कांग्रेस में प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलने के बाद से ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा से उनकी कभी बनी नहीं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भूपेंद्र हुड्डा ने चुनाव से पहले अशोक तंवर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और कांग्रेस पर दबाव बनाकर अशोक तंवर की छुट्टी करा दी.

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चंडीगढ़/नई दिल्ली: हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व सांसद डॉ. अशोक तंवर अब आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए (Ashok Tanwar joins AAP) हैं. करीब बीस बरस तक कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय रहने वाले डॉ. अशोक तंवर दिल्ली में आम आदमी पार्टी में शामिल हुए. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उन्हें पार्टी में शामिल किया. इस दौरान केजरीवाल ने तंवर को एक क्षमतावान, जुझारु और योग्य नेता बताते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी सकारात्मक राजनीति की पक्षधर है.

बता दें कि इससे पहले तंवर पिछले नवंबर में ही तृणमूल कांग्रेस में शामिल (TMC leader Ashok Tanwar to join AAP) हुए थे. सितंबर 2019 में कांग्रेस से किनारा करने के बाद तंवर ने फरवरी 2020 में अपना भारत मोर्चा बनाया था. गौरतलब है कि हरियाणा में इस समय विधानसभा चुनाव को करीब तीन साल, जबकि लोकसभा चुनावों को ढ़ाई वर्ष का समय रहा है. यह लम्बा वक्त है, जिसमें डॉ. अशोक तंवर को आम आदमी पार्टी का एक मजबूत संगठन खड़ा करने में मदद मिलेगी. हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और लोकसभा के सदस्य रहे डॉ. अशोक तंवर हरियाणा की राजनीति के प्रमुख किरदारों में आते हैं. उन्हें संगठन का लम्बा अनुभव है.

Ashok Tanwar joins AAP
'AAP' के हुए अशोक तंवर, अरविंद केजरीवाल ने पार्टी में किया शामिल

कौन हैं अशोक तंवर: अशोक तंवर का जन्म 12 फरवरी 1976 को झज्जर के गांव चिमनी में हुआ. डॉ. तंवर के पिता भारतीय सेना में रहे हैं. एक साधारण परिवार में जन्मे डॉ. तंवर शुरू से ही काबिल व मेहनती रहे है. उन्होंने काकतिया यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद तंवर ने देश के प्रतिष्ठित संस्थान जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से इतिहास में एमए किया और एमफिल और पीएचडी की डिग्री ली. जेएनयू में अध्ययन करते वक्त ही डॉ. तंवर विद्यार्थी राजनीति में सक्रिय हो गए. वे कांग्रेस के विद्यार्थी संगठन NSUI से जुड़े और 1999 में एनएसयूआई के सचिव और साल 2003 में अध्यक्ष बन गए.

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अशोक तंवर हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. तंवर सिरसा से सांसद भी रहे हैं. सिरसा लोकसभा सीट पर 2009 में पहली बार चुनाव लड़कर सांसद बने थे. 2009 में तंवर ने अपने निकटतम इनेलो के प्रतिद्वंदी डॉ. सीता राम को 35 हजार 499 वोटों से हराया था. 2014 में वो इनेलो के उमीदवार चरणजीत सिंह रोड़ी से चुनाव हार गए. इसके बावजूद कांग्रेस ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देते हुए हरियाणा कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया. साल 2019 में अशोक तंवर सिरसा लोकसभा सीट से फिर चुनाव लड़े लेकिन बीजेपी प्रत्याशी सुनीता दुग्गल से उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

2014 में कांग्रेस ने हरियाणा विधानसभा का चुनाव अशोक तंवर के प्रदेश अध्यक्ष रहते लड़ा. जिसमें कांग्रेस हरियाणा में तीसरे नंबर की पार्टी रही. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव से ही हुड्डा गुट तंवर को हटाने में जुट गया था. वहीं उसके बाद नगर निगम चुनाव हो या फिर जींद उपचुनाव इनमें भी कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा. वहीं 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी का एक भी सांसद जीत दर्ज नहीं कर पाया. खुद अशोक तंवर और भूपेंद्र सिंह हुड्डा, दीपेंद्र हुड्डा सभी को करारी हार का सामना करना पड़ा.

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दरअसल 2019 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अशोक तंवर को प्रदेश अध्य्क्ष पद से हटा दिया गया और उनकी जगह कुमारी सैलजा को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. इतना ही नहीं अशोक तंवर को चुनाव में कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई. कांग्रेस में प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलने के बाद से ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा से उनकी कभी बनी नहीं. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भूपेंद्र हुड्डा ने चुनाव से पहले अशोक तंवर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और कांग्रेस पर दबाव बनाकर अशोक तंवर की छुट्टी करा दी.

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