चंडीगढ़: जाट आरक्षण आंदोलन 2016 का मुद्दा एक बार फिर से विधानसभा में चर्चा में रहने वाला है. इस बार कांग्रेस के बादली से विधायक कुलदीप वत्स जाट आरक्षण आंदोलन के मुद्दे को लेकर विधानसभा के बजट सत्र में आवाज उठाएंगे.
वैसे तो 2016 के बाद से लेकर अब तक कई बार जाट आंदोलन में हुई आगजनी और तोड़फोड़ के आरोपी युवकों की रिहाई की मांग उठती आई है, लेकिन इस मांग में 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद और इजाफा हुआ.
नई सरकार के पहले विशेष सत्र में कांग्रेस के ही बेरी से विधायक रघुवीर कादियान ने सबसे पहले जाट आंदोलन के आरोपी युवाओं की रिहाई की मांग का मुद्दा विधानसभा में उठाया था. उसके बाद इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने भी यही बात दोहराई थी और तब से शुरू हुआ ये क्रम विधानसभा के बाहर हरियाणा में कई मंचों पर चर्चा में रह चुका है.
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सरकार के मंत्री रहे कैप्टन अभिमन्यु तो खुद जाट आंदोलन के दौरान उनकी कोठी में हुई आगजनी के आरोपी युवकों को जींद में हुई महापंचायत के दौरान माफी दे चुके हैं और इस महापंचायत के बाद खासकर हरियाणा की जाट बेल्ट के नेता रह-रह कर आरोपी युवाओं की रिहाई की मांग के बहाने बीजेपी सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश करते रहे. इसी कड़ी में कांग्रेस के बादली के विधायक कुलदीप वत्स विधानसभा के बजट सत्र से पहले सरकार को घेरने की कांग्रेस की रणनीति को उजागर कर दी है.
'कश्मीर के पत्थरबाजों की तर्ज पर मिले रिहाई'
कुलदीप वत्स का कहना है कि जिस तरह से बीजेपी सरकार कश्मीर के पत्थरबाजी के आरोपी हजारों युवाओं को देशद्रोह की धारा से मुक्त करते हुए रिहाई दे सकती है. वैसे ही हरियाणा में जाट आंदोलन के आरोपी युवाओं को राहत क्यों नहीं मिल सकती? वहीं कुलदीप वत्स ने जाट आंदोलन के पीछे बीजेपी सरकार के मंत्रियों का हाथ भी बताया और इस सारे प्रकरण के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया है.
'सरकार ने की भाईचारा बिगाड़ने की कोशिश'
वत्स का कहना है कि कुछ लोगों ने हरियाणा के भाईचारे को खराब करने की कोशिश की है और ऐसे युवाओं पर इस तरह के मामले दर्ज करवा दिए हैं. जिनका दूर-दूर तक इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है. पुलिस प्रशासन ने दबाव के चलते निर्दोष बच्चों पर केस दर्ज किए हैं और हजारों युवा आज भी जेलों बंद है.
गठबंधन सरकार को घेरने की कोशिश !
विधानसभा के बजट सत्र में जाट आरक्षण आंदोलन के मुद्दे को लेकर कांग्रेस सदन में सरकार को घेरने की कोशिश करेगी. पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान कांग्रेस ने कई बार जाट आंदोलन के आरोपी युवाओं की रिहाई कि मांग की थी, लेकिन अब सरकार गठबंधन की है और कांग्रेस के पास भी पिछली बार के 15 विधायकों के मुकाबले 31 विधायक हैं , इसलिए कांग्रेस सरकार जाटों के बहाने दबाव बनाने की कोशिश करेगी.