चंडीगढ़: साल 2020 ने कोराना महामारी के दौरान (Covid-19 Crises) अस्पताओं और स्वास्थ्य सुविधाओं की अहमियत को बताया, लेकिन सरकारों और सरकारी प्रबंधकों ने अस्पतालों की जरूरतों को नकारते रहे, और समय के साथ हालात ये हो गए कि जब बीमारियां इंसानों पर हावी हुई तो जर्जर अधारभूत सुविधाओं की वजह से राष्ट्रीय स्तरीय अस्पताल भी पस्त नजर आए. अनदेखी के दंश को झेलने वाले अस्पतालों में देश का दूसरा प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान चंडीगढ़ पीजीआई (Chandigarh PGIMS) भी है, जिसके कई विभाग और अस्पताल पिछले 60 सालों से ना अपडेट हुए और ना ही भवन की मरम्मत (Chandigarh Pgi Hospital Not Renovated) की गई.
दिल्ली एम्स के बाद चंडीगढ़ पीजीआई को देश का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल घोषित किया गया है, लेकिन दशकों से मरम्मत के अभाव में यहां खड़ी इमारतें कभी भी किसी अनहोनी को न्यौता दे सकती हैं. चंडीगढ़ पीजीआई को लेकर हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने भी चिंता जाहिर की. चंडीगढ़ पीजीआई के नेहरू अस्पताल के हालात को लेकर खुद स्वास्थ्य मंत्री अनिल ने भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को पत्र लिख कर जल्द रैनोवेशन करवाने के लिए आग्रह किया.
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया (Union Minister Mansukh Mandaviya) को पत्र में लिखा कि चंडीगढ़ पीजीआई उत्तर भारत का एक प्रमुख स्वास्थ्य संस्थान है जहां पर हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे कई राज्यों से बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए आते हैं. हालांकि यहां पर सभी हाईटेक सुविधाएं मौजूद हैं. मरीजों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए नए भवनों का निर्माण भी किया किया जा रहा है, लेकिन पीजीआई की शुरुआती इमारतों का नवीनीकरण या पुनर्निर्माण करने की आवश्यकता है.
इस वजह से नहीं हुई भवनों की मरम्मत: आपको बता दें कि चंडीगढ़ पीजीआई नेहरू अस्पताल की मरम्मत के लिए साल 2010 में केंद्र सरकार की ओर से 200 करोड़ रुपये का बजट भी पास कर दिया गया था. मरम्मत कार्य के लिए कई बार टेंडर भी निकाले गए, लेकिन कोई भी कंपनी इस काम को करने के लिए आगे नहीं आई. दलील ये दी गई कि अस्पताल में सैकड़ों मरीज भर्ती रहते हैं. उन मरीजों को अस्पताल से बाहर नहीं किया जा सकता है, ना ही नए मरीजों को भर्ती होने पर रोक लगाई जा सकती है. ऐसे में इन मरीजों को किसी नए भवन में शिफ्ट करने से पहले मरम्मत का काम शुरू करना ही असंभव था.
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मरम्मत का काम करीब 9 साल तक अटका रहा. साल 2019 में ही पीजीआई ने अस्पताल का बोझ कम करने के लिए एक नए भवन का निर्माम किया गया, लेकिन जब तक मरीजों को वहां शिफ्ट कर मरम्मत का काम शुरू किया जाता, तब तक भारत में कोरोना महामारी ने दस्तक दे दी. ऐसे में नए अस्पताल के भवन को कोविड अस्पताल में तब्दील कर दिया गया, जिसके बाद से अभी तक वहां कोरोना मरीज ही भर्ती हो रहे हैं.
हालांकि इस बारे में चंडीगढ़ पीजीआई के निदेशक प्रोफेसर जगतराम का कहना है कि पीजीआई में मरीजों के बोझ को कम करने के लिए कई नए सेंटर बनाए जा रहे हैं. इसके लिए पीजीआई में 50 एकड़ से ज्यादा जमीन भी ले ली गई है. इन सेंटर्स में न्यू इमरजेंसी, ओटी कंप्लेक्स, मदर एंड चाइल्ड केयर सेंटर, न्यूरोसाइंस सेंटर, सीनियर सिटीजन सेंटर, ऑर्गन ट्रांसप्लांट सेंटर, कैंसर सेंटर, ट्रामा सेंटर, ओपीडी स्क्रीनिंग सेंटर, ब्लड ट्रांसफ्यूजन सेंटर, एंड्रो क्रोनोलॉजी सेंटर बनाए जाएंगे. इन सेंटर्स के बन जाने से नेहरू अस्पताल में मरीजों का बोझ काफी कम हो जाएगा.
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पीजीआई में इलाज करवाने आए कुछ मरीजों के परिजनों से हमारी टीम ने बातचीत की. परिजनों का कहना है कि पीजीआई में बेहतरीन इलाज किया जाता है. इलाज में किसी तरह की कोई समस्या नहीं है, लेकिन जिस तरह से यहां पर मरीजों की संख्या बढ़ रही है उस हिसाब से नई इमारतों का निर्माण किया जाना चाहिए और पुरानी इमारतों की मरम्मत भी की जानी चाहिए. वहीं तीमारदारों के बैठने और आराम करने के लिए भी भवनों का निर्माण किया जाना चाहिए.
आपको बता दें कि चंडीगढ़ पीजीआई में देश-विदेश से हर साल लाखों मरीज इलाज करवाने के लिए आते हैं. यहां सबसे ज्यादा मरीज पंजाब से आते हैं. साल 2019 में अकेले पंजाब से 10 लाख मरीज इलाज करवाने के लिए चंडीगढ़ पीजीआई पहुंचे. वहीं हरियाणा से करीब 5.50 लाख मरीज, चंडीगढ़ से भी 5.50 लाख मरीज, हिमाचल प्रदेश से करीब 3.60 लाख मरीज, उत्तर प्रदेश से 1.30 लाख, जम्मू-कश्मीर से करीब 75 हजार, और अन्य राज्यों से करीब 92 हजार मरीज आए.
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हालांकि साल 2020 में कोविड की वजह से ओपीडी बंद कर दी गई थी, जिस वजह से साल 2020 में मरीजों की संख्या कम रही, लेकिन आमतौर पर पीजीआई में कुल मरीजों की संख्या प्रतिवर्ष करीब 30 लाख रहती है. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि चंडीगढ़ पीजीआई का समय-समय पर अपडेट होना कितना अहम हो जाता है.
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