चंडीगढ़: शहर में बाजारों और कॉलोनी में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को रेहड़ी और दुकानों पर काम करते हुए देखते हुए शिक्षा विभाग द्वारा एक विशेष तरह का सर्वे कराया जा रहा है. बच्चों का शिक्षा का अधिकार दिलवाने और पढ़ाई न कर पाने का कारण पता लगाने के लिए इस विशेष सर्वे द्वारा चंडीगढ़ शिक्षा विभाग को यह पता लगाना है कि आखिर इन बच्चों को कैसे बैहतर शिक्षा मुहैया करवाई जा सकती है. (Right to Education in chandigarh)
अगले सप्ताह से इस प्रक्रिया को शहर भर में लागू करते हुए शिक्षकों को सर्वे करने के लिए भेजा जाएगा. शिक्षा विभाग की ओर घर-घर पहुंचकर बच्चों पर सर्वे किया जाएगा. इसको लेकर शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों को निर्देश जारी किए जा चुके हैं. शिक्षकों को घरों में 14 वर्ष की उम्र तक स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों की कारणों के साथ सूची बनानी है. इसके लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है.
चंडीगढ़ में बच्चों को लेकर बढ़ रही वारदातों को देखते हुए यह फैसला चंडीगढ़ शिक्षा विभाग द्वारा लिया गया है. वहीं, शहर के कई जगह ऐसी हैं जहां 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को रेहड़ी और दुकानों पर काम करते हैं. इसके साथ ही कुछ तो चौक और लाइटों पर भी बच्चे गुब्बारे और पेन बेचते हैं. शिक्षक बच्चों की उम्र के साथ बच्चे कभी स्कूल गए है या नहीं, अगर स्कूल गए हैं तो कहां और कौन सी कक्षा तक पढ़ाई की है, स्कूल छूटने के क्या कारण हैं, ये सभी जानकारी एकत्रित करते हैं. (Survey of children in Chandigarh)
शिक्षा निदेशक हरसुहिंदर पाल सिंह बराड़ ने बताया कि जिन बच्चों की सूची तैयार की गई है, उन बच्चों को शिक्षक प्रेरित कर स्कूलों तक पहुंचाते हैं. चंडीगढ़ शहर के सरकारी स्कूलों में ऐसे विशेष बच्चों के लिए विशेष कक्षाएं लगाई जाएगी. जहां उनकी उम्र और समझ के अनुसार उन्हें बनती कक्षा में दाखिला किया जाएगा. बच्चे का सामान्य बच्चे जितना आईक्यू होने के बाद उसे सामान्य बच्चों के साथ कक्षाओं में दाखिला दिया जाता है. (Government Schools in Chandigarh City)
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