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सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को लगाई फटकार, कहा- क्यों न सरकारों पर जुर्माना लगाया जाए

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई के दौरान पराली जलाने को लेकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार की जमकर खिंचाई की.

supreme court action on stubble burning
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Published : Nov 25, 2019, 4:03 PM IST

नई दिल्ली/ चंडीगढ़: दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है. कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार को इस बढ़ रहे प्रदूषण पर फटकार लगाई है. कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए सरकारों में कोई इच्छा शक्ति नहीं दिखाई देती. कई आदेश के बावजूद पराली जलाने के मामले लगातार बढ़े हैं. ऐसे में क्यों ना सरकारों पर जुर्माना लगाया जाए.

कोर्ट की हरियाणा सरकार को फटकार

इसके साथ ही कोर्ट ने हरियाणा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि हरियाणा में पराली जलाने के मामले क्यों बढ़ रहे हैं? पहले हरियाणा सरकार ने पराली जलाने के नियंत्रण को लेकर अच्छा काम किया था, लेकिन अब क्या हो गया? इस मामले पर पंजाब और हरियाणा अब कुछ नहीं कर रहा है.

  • Supreme Court asks Haryana Government why stubble burning has increased in the state. Says, “You (Haryana government) had done a good job earlier in controlling stubble burning, but now it has increased. Punjab & Haryana are not doing anything”. pic.twitter.com/NuvCpBM9fl

    — ANI (@ANI) November 25, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

'गैस चैंबर दिल्ली'

सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि लोगों को गैस चैंबरों में रहने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है? उन सभी को एक बार में मारना है तो 15 बैग भरकर विस्फोट कर दें. दिल्ली के लोग दूसरों की गलती का भुगतान क्यों करें. खेल चल रहा है. मैं सचमुच हैरान हूं.

  • Supreme Court to Solicitor General Tushar Mehta, "Why are people being forced to live in gas chambers? It is better to kill them all in one go, get explosives in 15 bags at one go. Why should people suffer all this? In Delhi blame game is going on, I am literally shocked”. pic.twitter.com/ZyeQwTpVCT

    — ANI (@ANI) November 25, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

आरोप प्रत्यारोप में पिस रही दिल्ली

जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि हमारे देश में लोग हंस रहे हैं कि हम भी पराली जलाने को कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं. आरोप प्रत्यारोप के खेल में दिल्ली के लोग क्यों पिस रहे हैं. प्रदूषण को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.

  • Supreme Court asks Central Pollution Control Board (CPCB) to file report on adverse impact on environment of the factories running in Delhi. A Bench headed Justice Arun Mishra also asks CPCB to file details on the nature of factories operating in the capital. pic.twitter.com/FpJzYriSiB

    — ANI (@ANI) November 25, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

ये भी पढे़ं:-चंडीगढ़: युवा पीढ़ी को नशे से बचाने की कोशिश, मुख्य सचिव ने राज्य सर्वेक्षण करवाने के दिए निर्देश

सुप्रीम कोर्ट की फटकार

जस्टिस अरुण मिश्रा ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि दिल्ली नरक से भी बदतर है. भारत में जीवन इतना सस्ता नहीं है और आपको भुगतान करना होगा. साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि आपको कुर्सी पर बैठने का कोई अधिकार नहीं. आप किसी व्यक्ति को कितना भुगतान करेंगे. आप किसी व्यक्ति के जीवन को कितना महत्व देते हैं.

नई दिल्ली/ चंडीगढ़: दिल्ली में बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है. कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार को इस बढ़ रहे प्रदूषण पर फटकार लगाई है. कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए सरकारों में कोई इच्छा शक्ति नहीं दिखाई देती. कई आदेश के बावजूद पराली जलाने के मामले लगातार बढ़े हैं. ऐसे में क्यों ना सरकारों पर जुर्माना लगाया जाए.

कोर्ट की हरियाणा सरकार को फटकार

इसके साथ ही कोर्ट ने हरियाणा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि हरियाणा में पराली जलाने के मामले क्यों बढ़ रहे हैं? पहले हरियाणा सरकार ने पराली जलाने के नियंत्रण को लेकर अच्छा काम किया था, लेकिन अब क्या हो गया? इस मामले पर पंजाब और हरियाणा अब कुछ नहीं कर रहा है.

  • Supreme Court asks Haryana Government why stubble burning has increased in the state. Says, “You (Haryana government) had done a good job earlier in controlling stubble burning, but now it has increased. Punjab & Haryana are not doing anything”. pic.twitter.com/NuvCpBM9fl

    — ANI (@ANI) November 25, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

'गैस चैंबर दिल्ली'

सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि लोगों को गैस चैंबरों में रहने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है? उन सभी को एक बार में मारना है तो 15 बैग भरकर विस्फोट कर दें. दिल्ली के लोग दूसरों की गलती का भुगतान क्यों करें. खेल चल रहा है. मैं सचमुच हैरान हूं.

  • Supreme Court to Solicitor General Tushar Mehta, "Why are people being forced to live in gas chambers? It is better to kill them all in one go, get explosives in 15 bags at one go. Why should people suffer all this? In Delhi blame game is going on, I am literally shocked”. pic.twitter.com/ZyeQwTpVCT

    — ANI (@ANI) November 25, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

आरोप प्रत्यारोप में पिस रही दिल्ली

जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि हमारे देश में लोग हंस रहे हैं कि हम भी पराली जलाने को कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं. आरोप प्रत्यारोप के खेल में दिल्ली के लोग क्यों पिस रहे हैं. प्रदूषण को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.

  • Supreme Court asks Central Pollution Control Board (CPCB) to file report on adverse impact on environment of the factories running in Delhi. A Bench headed Justice Arun Mishra also asks CPCB to file details on the nature of factories operating in the capital. pic.twitter.com/FpJzYriSiB

    — ANI (@ANI) November 25, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

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सुप्रीम कोर्ट की फटकार

जस्टिस अरुण मिश्रा ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि दिल्ली नरक से भी बदतर है. भारत में जीवन इतना सस्ता नहीं है और आपको भुगतान करना होगा. साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि आपको कुर्सी पर बैठने का कोई अधिकार नहीं. आप किसी व्यक्ति को कितना भुगतान करेंगे. आप किसी व्यक्ति के जीवन को कितना महत्व देते हैं.

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