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विधानसभा का विशेष सत्र: रणबीर गंगवा बने डिप्टी स्पीकर, सदन के पटल पर रखी CAG रिपोर्ट - बीजेपी विधायक रणबीर गंगवा बने डिप्टी स्पीकर

हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान पक्ष-विपक्ष के बीच में हंगामा देखने को मिला. किरण चौधरी की ओर से महाराष्ट्र का मुद्दा उठाए जाने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल और कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने पूर्व में हुई घटनाओं का हवाला देते हुए इसका विरोध किया. जिसके बाद किरण चौधरी और अनिल विज में नोंकझोंक हो गई.

special session of haryana assembly
हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र में गूंजा विशाल हरियाणा का मुद्दा
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Published : Nov 26, 2019, 5:58 PM IST

चंडीगढ़: संविधान की 70वीं वर्षगांठ पर मंगलवार को हरियाणा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया. जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष ने अपने-अपने विचार रखे. साथ ही नलवा से बीजेपी विधायक रणबीर गंगवा को सर्वसम्मति से डिप्टी स्पीकर नियुक्त किया गया.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उठाया विशाल हरियाणा का मुद्दा

सदन में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ओर से विशाल हरियाणा का मुद्दा उठाया गया. हुड्डा ने कहा कि विशाल हरियाणा बनाकर उसमें पश्चिम यूपी को शामिल करना चाहिए, साथ ही चंडीगढ़ की जगह दिल्ली को विशाल हरियाणा की राजधानी बनाना चाहिए. वहीं कार्यवाही स्थगित होने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सीएम मनोहर लाल ने कहा कि इस मुद्दे पर सदन में कोई चर्चा नहीं हुई.

विधानसभा का विशेष सत्र

सीएम ने सदन में गिनाई सरकार की उपलब्धियां

सीएम मनोहर लाल ने सदन में सरकार की कई उपलब्धियां गिनाई. सीएम ने कहा कि सरकार ने पंचायती राज कानून में संशोधन किया और पढ़े लिखे लोगों को आगे बढ़ाने का काम किया. तब लोगों ने इसे संविधान के खिलाफ बताया था और सुप्रीम कोर्ट में मामला गया लेकिन हमें जीत मिली.

‘सरकार ने गरीब परिवारों को सरकारी नौकरी में 5% आरक्षण दिया’

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सरकार ने उन परिवारों को सरकारी नौकरियों में पांच फीसदी का आरक्षण दिया, जिनके परिवार से कभी किसी को सरकारी नौकरी नहीं मिली थी. उन्होंने कहा कि इस मामले को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन कोर्ट ने सरकार की बात को सही माना.

सदन में पेश की गई कैग रिपोर्ट

हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र में कैग की रिपोर्ट भी सदन के पटल पर रखी गई. कैग की 2017 - 18 मार्च तक की रिपोर्ट सदन में पेश की गई. कैग की ये रिपोर्ट तीन चरणों में तैयार की गई. जिसमें सरकार की कई नाकामियों का जिक्र किया गया.

ये भी पढ़िए: विधानसभा का विशेष सत्रः महाराष्ट्र मामले पर किरण चौधरी और अनिल विज में नोंकझोंक

कैग रिपोर्ट में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए गए. कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पीजी विश्वविद्याल के डिप्लोमा और एमबीए कोर्स में 40 से 56 फीसदी दाखिलों में कमी आई है. विश्विद्यालय में 55 फीसदी टीचिंग स्टाफ और 41 फीसदी गैर शिक्षण स्टाफ की कमी को पुरा नही किया जा सका. इसगे अलावा कैग में विश्वविद्यालय के होस्टल में मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं पर भी सवाल उठाए गए.

सरकार के भूजल प्रबंधन पर उठे सवाल

कैग रिपोर्ट में प्रदेश सरकार के भूजल प्रबंधन पर भी सवाल उठाए गए. रिपोर्ट में सामने आय कि कम स्टाफ के चलते हरियाणा सरकार लक्ष्य को पूरा नही कर पाई. सरकार ने 471 241 रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन प्रदेश में सिर्फ 241रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर ही बन पाए.

परिवहन विभाग को हुए नुकसान का कैग में जिक्र

कैग रिपोर्ट में कृषि विभाग के अधिकारियों पर भी गंभीर आरोप लगाए. रिपोर्ट में कहा गया कि कृषि उद्योग निगम लिमिटेड के अधिकारियों की मिलीभगत से फतेहाबाद और अंबाला के 2 राइस मिलरों का गलत आंकलन किया गया. जिस वजह से सरकार को 24 करोड़ से ज्यादा नुकसान हुआ. इसके साथ ही कैग की रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि परिवहन विभाग की ओर से खरीदी गई 418 में से 317 बसों का कम इस्तेमाल किया गया. जिस वजह से प्रदेश सरकार को 48.81 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

चंडीगढ़: संविधान की 70वीं वर्षगांठ पर मंगलवार को हरियाणा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया. जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष ने अपने-अपने विचार रखे. साथ ही नलवा से बीजेपी विधायक रणबीर गंगवा को सर्वसम्मति से डिप्टी स्पीकर नियुक्त किया गया.

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उठाया विशाल हरियाणा का मुद्दा

सदन में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की ओर से विशाल हरियाणा का मुद्दा उठाया गया. हुड्डा ने कहा कि विशाल हरियाणा बनाकर उसमें पश्चिम यूपी को शामिल करना चाहिए, साथ ही चंडीगढ़ की जगह दिल्ली को विशाल हरियाणा की राजधानी बनाना चाहिए. वहीं कार्यवाही स्थगित होने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सीएम मनोहर लाल ने कहा कि इस मुद्दे पर सदन में कोई चर्चा नहीं हुई.

विधानसभा का विशेष सत्र

सीएम ने सदन में गिनाई सरकार की उपलब्धियां

सीएम मनोहर लाल ने सदन में सरकार की कई उपलब्धियां गिनाई. सीएम ने कहा कि सरकार ने पंचायती राज कानून में संशोधन किया और पढ़े लिखे लोगों को आगे बढ़ाने का काम किया. तब लोगों ने इसे संविधान के खिलाफ बताया था और सुप्रीम कोर्ट में मामला गया लेकिन हमें जीत मिली.

‘सरकार ने गरीब परिवारों को सरकारी नौकरी में 5% आरक्षण दिया’

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सरकार ने उन परिवारों को सरकारी नौकरियों में पांच फीसदी का आरक्षण दिया, जिनके परिवार से कभी किसी को सरकारी नौकरी नहीं मिली थी. उन्होंने कहा कि इस मामले को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, लेकिन कोर्ट ने सरकार की बात को सही माना.

सदन में पेश की गई कैग रिपोर्ट

हरियाणा विधानसभा के विशेष सत्र में कैग की रिपोर्ट भी सदन के पटल पर रखी गई. कैग की 2017 - 18 मार्च तक की रिपोर्ट सदन में पेश की गई. कैग की ये रिपोर्ट तीन चरणों में तैयार की गई. जिसमें सरकार की कई नाकामियों का जिक्र किया गया.

ये भी पढ़िए: विधानसभा का विशेष सत्रः महाराष्ट्र मामले पर किरण चौधरी और अनिल विज में नोंकझोंक

कैग रिपोर्ट में हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठाए गए. कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि पीजी विश्वविद्याल के डिप्लोमा और एमबीए कोर्स में 40 से 56 फीसदी दाखिलों में कमी आई है. विश्विद्यालय में 55 फीसदी टीचिंग स्टाफ और 41 फीसदी गैर शिक्षण स्टाफ की कमी को पुरा नही किया जा सका. इसगे अलावा कैग में विश्वविद्यालय के होस्टल में मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं पर भी सवाल उठाए गए.

सरकार के भूजल प्रबंधन पर उठे सवाल

कैग रिपोर्ट में प्रदेश सरकार के भूजल प्रबंधन पर भी सवाल उठाए गए. रिपोर्ट में सामने आय कि कम स्टाफ के चलते हरियाणा सरकार लक्ष्य को पूरा नही कर पाई. सरकार ने 471 241 रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर बनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन प्रदेश में सिर्फ 241रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर ही बन पाए.

परिवहन विभाग को हुए नुकसान का कैग में जिक्र

कैग रिपोर्ट में कृषि विभाग के अधिकारियों पर भी गंभीर आरोप लगाए. रिपोर्ट में कहा गया कि कृषि उद्योग निगम लिमिटेड के अधिकारियों की मिलीभगत से फतेहाबाद और अंबाला के 2 राइस मिलरों का गलत आंकलन किया गया. जिस वजह से सरकार को 24 करोड़ से ज्यादा नुकसान हुआ. इसके साथ ही कैग की रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि परिवहन विभाग की ओर से खरीदी गई 418 में से 317 बसों का कम इस्तेमाल किया गया. जिस वजह से प्रदेश सरकार को 48.81 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

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