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खेती-किसानी से जुड़े इन 3 अध्यादेशों पर जारी है घमासान, आसान भाषा में जानिए पूरी कहानी

केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े तीन अध्यादेश व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश और आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन ) अध्यादेश पारित किए हैं. केंद्र सरकार के खेती-किसानी से जुड़े इन तीन अध्यादेशों के खिलाफ पंजाब सहित हरियाणा के किसान भी नाखुश है.

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Published : Jul 25, 2020, 10:45 PM IST

Updated : Aug 1, 2020, 4:38 PM IST

3 ordinances related to agriculture and farming
खेती-किसानी से जुड़े तीन अध्यादेशों पर जारी है संग्राम

चंडीगढ़ः वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार भारत में करीब 58 फिसदी लोग कृषि उद्योग पर निर्भर है. केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े तीन अध्यादेश व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश और आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन ) अध्यादेश पारित किए हैं.

केंद्र सरकार के खेती-किसानी से जुड़े इन तीन अध्यादेशों के खिलाफ पंजाब सहित हरियाणा के किसान भी नाखुश है. यहां के किसान संगठन इसके खिलाफ अपनी नाराजगी जताते हुए लगातार धरना पर्दशन कर रहें हैं. 20 जुलाई को ट्रैक्टरों पर काले झंडे लगाकर किसानों ने बता दिया कि वह पीछे हटने वाले नहीं है. जबकि केंद्र सरकार इसे किसानों के लिए फायदेमंद बता रही है. तो आईए सबसे पहले तो ये जानते हैं कि आखिर इन अध्यादेशों में है क्या.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट

व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश:

इस अध्यादेश में किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलेगी. किसानों की फसल को कोई भी कंपनी या व्यक्ति खरीद सकता है. वहीं इस अध्यादेश में किसानों को तीन दिन के अंदर पैसे मिलने की बात कही गई है. इस अध्यादेश की सबसे बड़ी बात तो ये है कि अगर किसान और व्यापारी में कोई विवाद होगा तो उसका निपटारा जिला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा तीस दिनों के भीतर किया जाएगा.

इस अध्यादेश से क्यों नाखुश हैं किसान

उपरोक्त विवाद को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है. जिससे किसानों को डर है कि कंपनियों के दबाव में आकर सरकार उनके साथ विश्वासघात ना कर दे. इस बात को लेकर किसान डरे हुए हैं.

मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश:

इस अध्यादेश के तहत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट खेती को बढ़ावा देने की बात कही है.

इस अध्यादेश से क्यों नाखुश है किसान

इस अध्यादेश से किसानों को डर है कि किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जाएंगे. जिसके विरोध में किसान सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश:

देश में कालाबाजारी को रोकने के लिए साल 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया गया था. इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एक निश्चित मात्रा से अधिक खाद्य वस्तुओं का भंडारण नहीं कर सकता था. अब केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए अध्यादेश में आलू, प्याज और तिलहन जैसे दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर लगाई गई रोक को हटा लिया गया है. इस अध्यादेश के माध्यम से लोग इन सामानों की जितनी चाहें स्टॉक जमा कर सकते हैं.

इस अध्यादेश से क्यों नाखुश हैं किसान?

किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण करने की क्षमता नहीं है. जिससे उनको अपने उत्पादों को कंपनियों को बेचना ही पड़ेगा और कंपनियां जब चाहें इन वस्तुओं का दाम बढ़ा कर लोगों से पैसे ऐंठ सकती हैं. ये कहना है पर्दशन करने वाले किसानों का.

पढ़ेंः नए अध्यादेश के बाद भी जारी रहेगा फसलों का समर्थन मूल्य- कृषि मंत्री

अब जिक्र करते हैं हरियाणा के किसानों का...

केंद सरकार द्वारा किसानों से जुड़े तीन अध्यादेशों को मंजूरी देने के विरोध में पंजाब के साथ साथ हरियाणा के किसान भी प्रदर्शन कर रहे हैं. सिरसा के डबवाली में भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले किसानों ने 20 जुलाई को ट्रैक्टर रैली निकालकर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों की संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

इसके अलावा अब इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है. कई किसान नेताओं का कहना है कि अध्यादेश किसानों की आमदनी को बढ़ाने की बजाय कम कर देगा और इसका फायदा सिर्फ व्यापारियों और बिचौलियों को होगा.

पूर्व मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से हमने जानना चाहा कि आखिर वो क्या सोचते हैं इन अध्यादेशों के बारे में. हुड्डा का कहना है कि ये अध्यादेश खासतौर पर हरियाणा और पंजाब के किसानों के हित में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि न केवल किसान बल्कि ये अध्यादेश आढतियों औऱ मजदूरों के हित में भी नहीं है. हुड्डा ने तमाम वो बातें कही जिनका जिक्र हम उपरोक्त कर किसानों के नाखुश होने के दौरान कर चुके हैं.

नेता विपक्ष ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के दो ही तरीके हैं. पहला किसान की पैदावार बढ़ाई जाए. उनके लिए अच्छा बीज, अच्छा खाद दिया जाए. दूसरा किसान को उसकी फसल की लागत और 50 फिसदी भाव दिया जाए.

इसके अलावा हमने हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल से भी बातचीत की. जेपी दलाल ने कहा कि जैसे-जैसे केन्द्र और प्रदेश सरकार किसान हित में फैसले ले रही है, वैसे-वैसे विपक्ष को परेशानी होनी शुरू हो गई है. कृषि मंत्री ने फसल बीमा का जिक्र करते हुए बताया कि फसल बीमा का सबसे ज्यादा लाभ हरियाणा के किसानों को मिला है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने किसानों के हाथ बांध कर रखे थे. आज किसान अपनी फसल कहीं पर भी बेच सकता है, किसान के आज कोई रोक-टोक नहीं हैं. जेपी दलाल ने बार-बार दोहराया कि कि ये तीनों अध्यादेश किसान हित में हैं.

पढ़ेंः किसानों के लिए लाए गए अध्यादेश में संशोधन करे सरकार- भूपेंद्र सिंह हुड्डा

चंडीगढ़ः वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार भारत में करीब 58 फिसदी लोग कृषि उद्योग पर निर्भर है. केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े तीन अध्यादेश व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश और आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन ) अध्यादेश पारित किए हैं.

केंद्र सरकार के खेती-किसानी से जुड़े इन तीन अध्यादेशों के खिलाफ पंजाब सहित हरियाणा के किसान भी नाखुश है. यहां के किसान संगठन इसके खिलाफ अपनी नाराजगी जताते हुए लगातार धरना पर्दशन कर रहें हैं. 20 जुलाई को ट्रैक्टरों पर काले झंडे लगाकर किसानों ने बता दिया कि वह पीछे हटने वाले नहीं है. जबकि केंद्र सरकार इसे किसानों के लिए फायदेमंद बता रही है. तो आईए सबसे पहले तो ये जानते हैं कि आखिर इन अध्यादेशों में है क्या.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट

व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश:

इस अध्यादेश में किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलेगी. किसानों की फसल को कोई भी कंपनी या व्यक्ति खरीद सकता है. वहीं इस अध्यादेश में किसानों को तीन दिन के अंदर पैसे मिलने की बात कही गई है. इस अध्यादेश की सबसे बड़ी बात तो ये है कि अगर किसान और व्यापारी में कोई विवाद होगा तो उसका निपटारा जिला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा तीस दिनों के भीतर किया जाएगा.

इस अध्यादेश से क्यों नाखुश हैं किसान

उपरोक्त विवाद को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है. जिससे किसानों को डर है कि कंपनियों के दबाव में आकर सरकार उनके साथ विश्वासघात ना कर दे. इस बात को लेकर किसान डरे हुए हैं.

मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश:

इस अध्यादेश के तहत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट खेती को बढ़ावा देने की बात कही है.

इस अध्यादेश से क्यों नाखुश है किसान

इस अध्यादेश से किसानों को डर है कि किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जाएंगे. जिसके विरोध में किसान सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश:

देश में कालाबाजारी को रोकने के लिए साल 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया गया था. इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एक निश्चित मात्रा से अधिक खाद्य वस्तुओं का भंडारण नहीं कर सकता था. अब केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए अध्यादेश में आलू, प्याज और तिलहन जैसे दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर लगाई गई रोक को हटा लिया गया है. इस अध्यादेश के माध्यम से लोग इन सामानों की जितनी चाहें स्टॉक जमा कर सकते हैं.

इस अध्यादेश से क्यों नाखुश हैं किसान?

किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण करने की क्षमता नहीं है. जिससे उनको अपने उत्पादों को कंपनियों को बेचना ही पड़ेगा और कंपनियां जब चाहें इन वस्तुओं का दाम बढ़ा कर लोगों से पैसे ऐंठ सकती हैं. ये कहना है पर्दशन करने वाले किसानों का.

पढ़ेंः नए अध्यादेश के बाद भी जारी रहेगा फसलों का समर्थन मूल्य- कृषि मंत्री

अब जिक्र करते हैं हरियाणा के किसानों का...

केंद सरकार द्वारा किसानों से जुड़े तीन अध्यादेशों को मंजूरी देने के विरोध में पंजाब के साथ साथ हरियाणा के किसान भी प्रदर्शन कर रहे हैं. सिरसा के डबवाली में भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले किसानों ने 20 जुलाई को ट्रैक्टर रैली निकालकर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों की संख्या में किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

इसके अलावा अब इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है. कई किसान नेताओं का कहना है कि अध्यादेश किसानों की आमदनी को बढ़ाने की बजाय कम कर देगा और इसका फायदा सिर्फ व्यापारियों और बिचौलियों को होगा.

पूर्व मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से हमने जानना चाहा कि आखिर वो क्या सोचते हैं इन अध्यादेशों के बारे में. हुड्डा का कहना है कि ये अध्यादेश खासतौर पर हरियाणा और पंजाब के किसानों के हित में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि न केवल किसान बल्कि ये अध्यादेश आढतियों औऱ मजदूरों के हित में भी नहीं है. हुड्डा ने तमाम वो बातें कही जिनका जिक्र हम उपरोक्त कर किसानों के नाखुश होने के दौरान कर चुके हैं.

नेता विपक्ष ने कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के दो ही तरीके हैं. पहला किसान की पैदावार बढ़ाई जाए. उनके लिए अच्छा बीज, अच्छा खाद दिया जाए. दूसरा किसान को उसकी फसल की लागत और 50 फिसदी भाव दिया जाए.

इसके अलावा हमने हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल से भी बातचीत की. जेपी दलाल ने कहा कि जैसे-जैसे केन्द्र और प्रदेश सरकार किसान हित में फैसले ले रही है, वैसे-वैसे विपक्ष को परेशानी होनी शुरू हो गई है. कृषि मंत्री ने फसल बीमा का जिक्र करते हुए बताया कि फसल बीमा का सबसे ज्यादा लाभ हरियाणा के किसानों को मिला है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने किसानों के हाथ बांध कर रखे थे. आज किसान अपनी फसल कहीं पर भी बेच सकता है, किसान के आज कोई रोक-टोक नहीं हैं. जेपी दलाल ने बार-बार दोहराया कि कि ये तीनों अध्यादेश किसान हित में हैं.

पढ़ेंः किसानों के लिए लाए गए अध्यादेश में संशोधन करे सरकार- भूपेंद्र सिंह हुड्डा

Last Updated : Aug 1, 2020, 4:38 PM IST
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