चंडीगढ़: सोमवार से चंडीगढ़ के सभी सरकारी स्कूल 9वीं से 12वीं तक बच्चों के लिए खोल दिए गए हैं. ऐसे में 6 महीने बाद खुले स्कूलों का जायजा लेने ईटीवी भारत की टीम चंडीगढ़ के सरकारी स्कूल पहुंची. जहां टीचर्स तो मिले लेकिन एक भी छात्र नजर नहीं आया.
चंडीगढ़ के ज्यादातर स्कूलों में एक भी बच्चा नहीं पहुंचा, जबकि कुछ स्कूलों में एक या दो बच्चे जरूर आए थे. इस बारे में चंडीगढ़ टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष स्वर्ण सिंह कंबोज ने कहा कि स्कूलों को खोलने से पहले अभिभावकों से इसके लिए फीडबैक मांगे गई थे. इसके लिए सभी अभिभावकों को एक ई-मेल भेजे गया था, जिसमें उनसे पूछा गया था कि वो स्कूलों को खोलने के पक्ष में है या नहीं?
स्वर्ण सिंह संबोज ने कहा कि फीडबैक में से 25000 अभिभावकों ने स्कूलों को खोले जाने के लिए हामी भरी थी. उससे लगा कि अभिभावक स्कूल खोले जाने के पक्ष में है, लेकिन अब जब स्कूल खोले गए तो पहले दिन एक भी बच्चा स्कूल नहीं पहुंचा.
उन्होंने कहा कि हो सकता है कि हमने जो फीडबैक अभिभावकों से मंगवाई थी, उसे बच्चों ने ही भरकर हमें वापस भेज दिया और वो फीडबैक फॉर्म मां-बाप तक पहुंचा ही ना हो. जब सोमवार को बच्चों को स्कूल भेजने की बात सामने आई हो तो हो सकता है तब माता-पिता ने उन्हें स्कूल भेजने से इनकार कर दिया, क्योंकि बच्चों को स्कूल में आने के लिए माता-पिता की ओर से दिया गया परमिशन लेटर जरूरी किया गया है.
तैयारियां पूरी, लेकिन नहीं पहुंचे छात्र
कंबोज ने कहा कि चंडीगढ़ के स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया है और उन्हें कोविड-19 से बचाने के लिए सभी तरह की व्यवस्थाएं की गई हैं. जैसे हर बच्चे को स्कूल में मास्क पहनना जरूरी है. बच्चा हैंड सैनिटाइज करने के बाद ही स्कूल में आएगा और एक क्लास में 12 बच्चों को बैठाया जाएगा. इसके अलावा बच्चे पानी की बोतल घर से लेकर आएंगे. स्कूल में नल से पानी पीने की इजाजत नहीं होगी. साथ ही बच्चों को स्कूल में खाने-पीने की इजाजत भी नहीं दी जाएगी.