चंडीगढ़: पीजीआई रोहतक ने 11 अगस्त से बीडीएस (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी) फाइनल सत्र के छात्रों की परीक्षाएं निर्धारित कर डेटशीट जारी की थी. जिसके विरोध में एनएसयूआई ने पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट की शरण ली. मामले की सुनवाई करते हुए पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने डेंटल काउंसिल और रोहतक पीजीआई को तलब किया है. मामले की अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी.
एनएसयूआई ने अपनी याचिका में कहा है कि डेट शीट निकाला जाना गृह मंत्रालय और केंद्रीय सरकार की गाइडलाइंस के खिलाफ है. क्योंकि अभी 31 अगस्त तक सभी कॉलेज स्कूल व शिक्षण संस्थान बंद हैं. ऐसे में परीक्षा आयोजित किया जाना ना केवल छात्रों की जिंदगी से खिलवाड़ है बल्कि कोरोना संक्रमण के फैलने का भी खतरा है.
याचिका में ये भी कहा गया कि कोरोना महामारी के चलते संक्रमण से बचाव के लिए पूरे देश को गृह मंत्रालय के आदेश अनुसार लॉकडाउन में रखा गया था. जिसके चलते सबसे ज्यादा नुकसान देश के भविष्य कहे जाने वाले छात्रों को हुआ है और इनमें भी मेडिकल स्ट्रीम के छात्रों के साथ सरकार भेदभाव पूर्ण रवैया कर रही है. एक तरफ तो जहां प्रदेश में सत्तासीन विधायक सांसद सुरक्षित नहीं हैं. संक्रमण का शिकार हैं. तो वहीं मेडिकल टीम के छात्रों को परीक्षाओं में भेजकर मौत के कुएं में डालने का काम किया जा रहा है.
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इस डेट शीट को एनएसयूआई ने गैरकानूनी, अनुचित और अनैतिक बताते हुए कहा है कि ये छात्र विरोधी फैसला ना केवल गृह मंत्रालय के आदेशों की अवमानना है बल्कि ये राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस को भी दरकिनार करता है. कर्नाटक में भी एसएसएलसी परीक्षाओं के दौरान कोविड के मामले सामने आए थे. ऐसी स्थिति में परीक्षाएं करवाने का गलत नतीजा देखने को मिल सकता है.