चंडीगढ़: देश और दुनिया के सामने पर्यावरण की रक्षा करना एक बड़ी चुनौती है. ऐसे में कई अभियान सरकार द्वारा चलाए भी जाते है, लेकिन जनता के सहयोग के बिना पर्यावरण की रक्षा कर पाना बेहद मुश्किल काम है. ऐसे में हरियाणा की बेटी प्रोफेसर सुमन मोर ने प्रदेश को गर्व करने का मौका दिया है. प्रोफेसर सुमन मोर ने पर्यावरण की रक्षा के लिए जागरूकता मुहिम चलाई है और जिसके बेहतर परिणाम भी देखने को मिले है. इसी के लिए हाल ही में प्रोफेसर सुमन मोर को राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया (National Award winner Professor Suman Mor) है. इस श्रेणी में वह अकेली महिला है, जिन्हें देश भर में से चुना गया है.
इस समारोह में 9 लोगों को पुरस्कार दिए गए थे, जिनमें से पर्यावरण श्रेणी में वह अकेली थी. उन्हें यह पुरस्कार केंद्रीय विज्ञान और तकनीकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने दिया. हालांकि यह पुरस्कार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों दिया जाना था, लेकिन चुनावी व्यवस्थाओं के चलते वे समारोह में नहीं आ पाए. बता दें कि डॉ. सुमन मोर मूलतः हरियाणा के हिसार जिले की रहने वाली है. फिलहाल वे चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी में पर्यावरण विभाग की चेयरपर्सन है. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने बताया कि (Professor Suman Mor interview) इस समय पर्यावरण को जिस तरह से नुकसान पहुंच रहा है, उसे रोका जाना बेहद जरूरी है और यह काम लोगों के सहयोग के बिना नहीं हो सकता है.
सुमन मोर ने कहा कि वायु प्रदूषण इसका एक मुख्य कारण है और वायु प्रदूषण के भी कई कारण है. जिनमें से पटाखे चलाना भी एक कारण है. जब भी किसी त्योहार या समारोह के मौके पर पटाखे चलाए जाते हैं, तब उस शहर के वायु प्रदूषण में बहुत ज्यादा इजाफा देखा गया है. इसीलिए लोगों को इसको लेकर जागरूक करना बेहद जरूरी था और मैंने इसी दिशा में काम करना शुरू किया. सुमन मोर ने बताया कि इसके लिए उन्होंने कई तरीके आजमाए ताकि लोगों को यह समझाया जा सके कि पटाखे चलाना क्यों हानिकारक है. इसके लिए डॉ. सुमन ने कॉमिक्स, पोस्टर, बैनर और ऐसी सामग्री तैयार की, जिसे पढ़कर लोगों को अच्छा लगे और उन्हें आसानी से समझ में आ सके.
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इसके अलावा वे खुद भी लोगों के बीच गई और पटाखों के खिलाफ जागरूकता अभियान (environmental protection campaign) चलाया. जिसका उन्हें बेहद सकारात्मक असर देखने को मिला. उन्होंने कहा कि आमतौर पर लोगों को यह मना कर दिया जाता है कि पटाखे नहीं जलाने चाहिए, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, लेकिन लोगों को पटाखों से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में विस्तार से नहीं समझाया जाता. जिससे लोग उन बातों को गंभीरता से नहीं लेते. उन्होंने कहा कि मैंने अपनी मुहिम में लोगों को यह सब बातें विस्तार से समझायी कि पटाखों से निकलने वाली गैस किस तरह से वायु प्रदूषण करती हैं और लोगों को किस तरह से इसका नुकसान पहुंचता है. खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह बेहद हानिकारक होती है.
प्रोफेसर सुमन ने बताया कि इस मुहीम का काफी अच्छा परिणाम देखने को मिला, जब हमने लोगों से फीडबैक लेना शुरू किया और लोगों ने पटाखे नहीं चलाने का निर्णय लिया. उन्होंने कहा कि इस मुहिम में उन्हें यह भी सुनने को मिला कि वे खुद हिंदू है, उसके बावजूद दिवाली के मौके पर लोगों को पटाखे चलाने से क्यों रोकना चाहती हैं. जिस पर उन्होंने कहा कि पटाखे दिवाली ही नहीं, बल्कि नए साल पर क्रिसमस पर और शादी समारोह में भी जलाए जाते हैं. वे सभी धर्मों का सम्मान करते हैं, लेकिन फिर भी हम लोगों को यही संदेश देते हैं कि वह पटाखे ना चलाएं बल्कि सादगी के साथ अपने सभी त्यौहार मनाए. पर्यावरण को बचाने का यह बेहतर विकल्प हो सकता है.
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प्रोफेसर सुमन मोर ने बताया कि वे सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर भी काम कर रही हैं. क्योंकि कचरे का निष्पादन भी एक बड़ी समस्या है. खासतौर पर गीले और सूखे कचरे को अलग करना और उसे निष्पादित करना बेहद मुश्किल काम है. लोग अभी तक इसे नहीं समझ पाए कि उनका लक्ष्य लोगों को अलग-अलग तरह के कचरे को अलग-अलग रखवाना है ताकि उसके निष्पादन को आसान बनाया जा सके. साथ ही वह यह कार्यक्रम भी चला रही हैं कि कचरे का निष्पादन किस तरह से किया जाए ताकि पर्यावरण को नुकसान होने से बचाया जा सके.
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