चंडीगढ़: देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं. इससे आमजन काफी परेशान है. कीमतों के बढ़ने का सारा दोष या तो पेट्रोलियम कंपनियों पर लगाया जाता है या सरकार पर मढ़ दिया जाता है. आमतौर पर यह भी कहा जाता है कि अगर पेट्रोल डीजल जीएसटी (GST on petrol diesel) के दायरे में आ जाएंगे तो शायद कीमतें कम हो जाएंगी. क्योंकि तब टैक्स कम हो जाएगा. इन सभी सवालों को लेकर ईटीवी भारत ने हिंदुस्तान पेट्रोलियम के उप महाप्रबंधक सुबोध चौधरी से बात की.
ईटीवी भारत से बात करते हुए सुबोध चौधरी ने पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के बारे में चर्चा की. उन्होंने कहा कि आम तौर पर जब कीमतें बढ़ती हैं तो बहुत से लोग सरकार या तेल कंपनियों को दोषी मानते हैं. जबकि ऐसा नहीं है क्योंकि तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में तय होती है. जिसमें तेल कंपनियों या सरकार का बहुत ज्यादा हस्तक्षेप नहीं होता. कोई भी सरकार यह नहीं चाहती कि वह महंगा तेल बेचे लेकिन मजबूरी में ऐसा करना पड़ता है.
जब उनसे पूछा गया कि जिस वक्त अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम होती हैं तब देश में महंगा पेट्रोल डीजल क्यों बेचा जाता है. जबकि उस वक्त तेल की कीमतें कम होनी चाहिए. इस बात का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि कई बार देश में ऐसी परिस्थितियां पैदा हो जाती हैं कि तेल कंपनियों को कम दाम में पेट्रोल डीजल देना पड़ता है. ऐसे वक्त में उन कंपनियों को काफी घाटा भी उठाना पड़ता है. उसी घाटे को पूरा करने के लिए तेल कंपनियों को रेट भी बढ़ाने पड़ते हैं.
चौधरी ने कहा कि इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत क्या है. क्योंकि तेल कंपनियों को अपना घाटा भी पूरा करना पड़ता है. तभी वह आगे लोगों को पेट्रोल- डीजल और अन्य पेट्रोलियम उत्पाद मुहैया करवा सकती हैं. इसलिए इन सभी चीजों में समन्वय बैठाना जरूरी होता है. हालांकि जब तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो अपने घाटे पूरा करने के बाद तेल कंपनी फिर से पेट्रोल डीजल के दाम कम कर देती हैं. उन्होंने कहा कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत आज कम है तो यह जरूरी नहीं कि देश में आज से ही पेट्रोल डीजल के दाम भी कम हो जाएंगे. इसमें कुछ वक्त लगता है.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि बहुत से लोगों का यह मानना है कि अगर पेट्रोल- डीजल जीएसटी के तहत आ जाएंगे. तब इनकी कीमत कम हो जाएगी जबकि ये सही नहीं है. सुबोध चौधरी ने कहा कि अलग-अलग राज्य पेट्रोल और डीजल पर अलग-अलग टैक्स लगाते हैं. जीएसटी आने के बाद यह टैक्स एक हो जाएगा. इस वक्त कई राज्य पेट्रोल और डीजल पर ज्यादा टैक्स लगा रहे हैं लेकिन जीएसटी आने के बाद यह टैक्स एक समान हो जाएगा. यानी सभी राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमत भी लगभग एक समान हो जाएगी. इसमें एक मुख्य कारण यह भी है कि देश में 80% कच्चा तेल दूसरे देशों से आयात किया जाता है. जबकि भारत में कच्चे तेल की मात्रा मात्र 20 फीसद ही मिल पाती है.
सुबोध चौधरी ने बताया कि भारत में रिन्यूएबल एनर्जी को लेकर भी तेजी से काम चल रहा है. भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों पर काम कर रही है. बाजार में बहुत इलेक्ट्रिक वाहन आ भी चुके हैं. देश में दोपहिया वाहन, कारें और बसें इलेक्ट्रिक रूप में आ गई है. लोग इनका इस्तेमाल भी कर रहे हैं. इसके अलावा भारत में सौर ऊर्जा को लेकर भी काम हो रहा है. एशिया का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा पावर प्लांट भारत में ही है. दूसरी ओर भारत में विंड एनर्जी को लेकर भी काम जारी है. उन्होंने कहा कि देश में एथेनॉल ईंधन बनाने की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है जो भविष्य में बायो ईंधन का बड़ा विकल्प बन सकता है. 2025 तक 20 फीसदी ईंधन एथेनॉल से बनाया जाएगा. हमें उम्मीद है कि साल 2030 तक भारत का ऑटो सेक्टर पूरी तरह से रिन्यूएबल एनर्जी से चलेगा.