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ओपी चौटाला ने सर्दी में पैदा की सियासी गर्मी, मौजूदा सरकार हटाने के लिए हुड्डा से हाथ मिलाने को तैयार, सुनिए ताजा बयान

हरियाणा की राजनीति में इन दिनों नई हलचल है. हलचल इसलिए क्योंकि एक दूसरे के धुर विरोधी माने जा रहे दो दिग्गज नेता ओपी चौटाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा (OP Chautala and Hooda Meeting) पहली बार एक साथ दिखाई पड़े. एक साथ दिखाई ही नहीं दिये बल्कि गर्मजोशी से मिले. भूपेंद्र हुड्डा से मिलने के बाद ओपी चौटाला ने जो बयान दिया उसने कड़ाके की ठंड में सियासी गर्मी पैदा कर दी है.

OP Chautala and Hooda meeting
ओपी चौटाला और हुड्डा की मुलाकात
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Published : Jan 16, 2023, 6:19 PM IST

Updated : Jan 16, 2023, 6:29 PM IST

हुड्डा के साथ आने को तैयार ओपी चौटाला.

चंडीगढ़: पिछले दो दशक से सत्ता से महरूम इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) क्या कांग्रेस के साथ गठबंधन करेगी. क्या धुर विरोधी माने जाने वाले पूर्व सीएम ओपी चौटाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा हाथ मिला सकते हैं. ये वो सवाल हैं जो हरियाणा की राजनीति में इस समय लोगों के बीच घूम रहे हैं. इसकी वजह है ओम प्रकाश चौटाला और भूपेंद्र हुड्डा का एक कार्यक्रम में मिलना. एक दूसरे से बात करना. और बात ही नहीं करना बल्कि साथ बैठकर नाश्ता भी करना.

ओपी चौटाला और भूपेंद्र हुड्डा की ये मुलाकात 15 जनवरी को रोहतक में हुई. मौका था पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता रहे सुभाष बतरा के पिता प्रकाश बतरा की 104वीं जयंती का. जयंती पर बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस आयोजन में पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री और इनेलो सुप्रीमो ओपी चौटाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी बुलाया गया था. हलांकि दोनों नेताओं की मुलाकात बहुत औपचारिक थी लेकिन जिस तरह दोनो ने एक साथ बैठकर साथ में नाश्ता किया वो कड़ाके की ठंड के बीच हरियाणा की राजनीति में गर्मी पैदा करने के लिए काफी थी.

OP Chautala and Hooda meeting
ओपी चौटाला से हाथ मिलाते भूपेंद्र सिंह हुड्डा

दरअसल प्रकाश बतरा की जयंती कार्यक्रम में ओपी चौटाला पहले पहुंचे और अपनी सीट पर बैठे थे. उनके बगल में चौधरी बीरेंद्र सिंह भी मौजूद थे. इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा पहुंचे. ओपी चौटाला के पास पहुंचकर हुड्डा रुक गये. हुड्डा बेहद गर्मजोशी से ओपी चौटाला से मिले. उन्होंने ओपी चौटाला से हाथ मिलाया और पूछा आप कैसे हैं. आपका स्वास्थ्य कैसा है. यही नहीं इसके अलावा दोनों नेता नाश्ते के टेबल पर भी एक साथ नजर आये. भूपेंद्र हुड्डा चाय पी रहे हैं और ओपी चौटाला उनके साथ बैठे हैं.

ओपी चौटाला और भूपेंद्र हुड्डा का एक साथ बैठना भले महज एक कार्यक्रम की औपचारिक मुलाकात हो. लेकिन पिछले कुछ दशक में उनकी ऐसी मुलाकात नहीं हुई. 2005 में भूपेंद्र हुड्डा हरियाणा के मुख्यमंत्री बने. 2013 में ओपी चौटाला को जेबीटी भर्ती मामले में दिल्ली की एक अदालत ने सजा सुनाई और वो तिहाड़ जेल भेज दिये गये. उस दौरान हरियाणा में भूपेंद्र हुड्डा मुख्यमंत्री थे. हलांकि जेबीटी भर्ती घोटाले की जांच सीबीआई ने की थी लेकिन कुछ राजनीतिक जानकार बताते हैं कि चौटाला परिवार इसके लिए भूपेंद्र हुड्डा को जिम्मेदार मानता है. ओपी चौटाला को सजा मिलने के बाद चौटाला और हुड्डा के बीच तल्खी और बढ़ गई थी.

ये भी पढ़ें- जब एक मंच पर पहुंचे ओम प्रकाश चौटाला, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और बीरेंद्र सिंह, जानिए फिर क्या हुआ?

इनेलो के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस नेताओं से कई बार सवाल किया गया. 2 जनवरी को झज्जर में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा से जब ये सवाल किया गया तो उन्होंने इसे सिरे से नकार दिया था. दीपेंद्र हुड्डा ने कहा था कि जिस पार्टी का कोई वजूद नहीं है उसके साथ गठबंधन का सवाल ही नहीं उठता. कहा जाता है कि राजनीति में कोई भी स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता.

OP Chautala and Hooda meeting
नाश्ते के टबल पर ओपी चौटाला और भूपेंद्र हुड्डा.

इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) पिछले दो दशक से सत्ता से बाहर है. आखिरी बार 2000 से 2005 तक इनेलो से ओपी चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे. हरियाणा में मौजूदा समय में इनेलो के पास बहुत ज्यादा जनाधार नहीं है. 2019 के विधानसभा चुनाव में भी इनेलो के टिकट पर केवल ओपी चौटाला के बेटे अभय चौटाला ही विधायक बन पाये. बाकी सीटों पर उनके उम्मीदवारों को बुरी तरह हार मिली. लोकसभा की 10 सीटों पर भी इनेलो उम्मीदवार जीत नहीं पाये. 2019 के विधानसभा चुनाव में इनेलो को केवल 2.45 प्रतिशत वोट मिले.

हलांकि जिस तरह से हाल के दिनो में बेहद कम मार्जिन से हार जीत देखी गई है, उस हिसाब से इनेलो के कांग्रेस के साथ गठबंधन होने पर 2.45 प्रतिशत वोट से हरियाणा में भी नतीजा बदल सकता है. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक फीसदी से कम वोट से भी बीजेपी को सरकार गंवानी पड़ी और कांग्रेस सत्ता में आ गई. हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस को बीजेपी से केवल 0.90 प्रतिशत ज्यादा वोट मिला है.

OP Chautala and Hooda meeting
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के नतीजे.

रोहतक पहुंचे ओपी चौटाला से जब सवाल किया गया कि क्या 2024 में वो कांग्रेस के साथ आयेंगे. इस सवाल पर उन्होंने साफ कहा कि उनका किसी से भी बैर नहीं है और वो मौजूदा सरकार के खिलाफ हैं. उन्होंने 2024 में कांग्रेस के सरकार बनाने के दावे पर कहा कि मौजूदा सरकार का पतन तय है लेकिन कौन सरकार बनायेगा ये भविष्य के गर्भ में है. ओपी चौटाला ने जिस तरह से कांग्रेस के साथ आने से इनकार नहीं किया उससे यही कयास लगाये जा रहे हैं कि हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में दोनों दल साथ आ सकते हैं. चुनाव से पहले भी और चुनाव के बाद भी.

हरियाण में अभी बीजेपी और जननायक जनता पार्टी की गठबंधन सरकार है. जेजेपी पार्टी इनेलो से अलग होकर ओपी चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला ने ही बनाई है. इसको लेकर चौटाला घराने में काफी दिनों तक टकराव चलता रहा. इनेलो छोड़कर नई पार्टी बनाने के बाद से ही ओपी चौटाला के दोनों बेटों में तनातनी देखने को मिलती रही है. दोनो परिवार खुलकर एक दूसरे पर वार भी करते रहे हैं. ओपी चौटाला ने भी बेहद तल्ख लहजे में जेजेपी और सरकार की आलोचना की है. इसलिए राजनीतिक गलियारे में कांग्रेस के साथ इनेलो गठबंधन के कयास ज्यादा जोरों पर है.

ये भी पढ़ें- कांग्रेस इनेलो में होगा गठबंधन? दीपेंद्र हुड्डा ने दिया ये बड़ा बयान

हुड्डा के साथ आने को तैयार ओपी चौटाला.

चंडीगढ़: पिछले दो दशक से सत्ता से महरूम इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) क्या कांग्रेस के साथ गठबंधन करेगी. क्या धुर विरोधी माने जाने वाले पूर्व सीएम ओपी चौटाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा हाथ मिला सकते हैं. ये वो सवाल हैं जो हरियाणा की राजनीति में इस समय लोगों के बीच घूम रहे हैं. इसकी वजह है ओम प्रकाश चौटाला और भूपेंद्र हुड्डा का एक कार्यक्रम में मिलना. एक दूसरे से बात करना. और बात ही नहीं करना बल्कि साथ बैठकर नाश्ता भी करना.

ओपी चौटाला और भूपेंद्र हुड्डा की ये मुलाकात 15 जनवरी को रोहतक में हुई. मौका था पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता रहे सुभाष बतरा के पिता प्रकाश बतरा की 104वीं जयंती का. जयंती पर बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस आयोजन में पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री और इनेलो सुप्रीमो ओपी चौटाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी बुलाया गया था. हलांकि दोनों नेताओं की मुलाकात बहुत औपचारिक थी लेकिन जिस तरह दोनो ने एक साथ बैठकर साथ में नाश्ता किया वो कड़ाके की ठंड के बीच हरियाणा की राजनीति में गर्मी पैदा करने के लिए काफी थी.

OP Chautala and Hooda meeting
ओपी चौटाला से हाथ मिलाते भूपेंद्र सिंह हुड्डा

दरअसल प्रकाश बतरा की जयंती कार्यक्रम में ओपी चौटाला पहले पहुंचे और अपनी सीट पर बैठे थे. उनके बगल में चौधरी बीरेंद्र सिंह भी मौजूद थे. इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा पहुंचे. ओपी चौटाला के पास पहुंचकर हुड्डा रुक गये. हुड्डा बेहद गर्मजोशी से ओपी चौटाला से मिले. उन्होंने ओपी चौटाला से हाथ मिलाया और पूछा आप कैसे हैं. आपका स्वास्थ्य कैसा है. यही नहीं इसके अलावा दोनों नेता नाश्ते के टेबल पर भी एक साथ नजर आये. भूपेंद्र हुड्डा चाय पी रहे हैं और ओपी चौटाला उनके साथ बैठे हैं.

ओपी चौटाला और भूपेंद्र हुड्डा का एक साथ बैठना भले महज एक कार्यक्रम की औपचारिक मुलाकात हो. लेकिन पिछले कुछ दशक में उनकी ऐसी मुलाकात नहीं हुई. 2005 में भूपेंद्र हुड्डा हरियाणा के मुख्यमंत्री बने. 2013 में ओपी चौटाला को जेबीटी भर्ती मामले में दिल्ली की एक अदालत ने सजा सुनाई और वो तिहाड़ जेल भेज दिये गये. उस दौरान हरियाणा में भूपेंद्र हुड्डा मुख्यमंत्री थे. हलांकि जेबीटी भर्ती घोटाले की जांच सीबीआई ने की थी लेकिन कुछ राजनीतिक जानकार बताते हैं कि चौटाला परिवार इसके लिए भूपेंद्र हुड्डा को जिम्मेदार मानता है. ओपी चौटाला को सजा मिलने के बाद चौटाला और हुड्डा के बीच तल्खी और बढ़ गई थी.

ये भी पढ़ें- जब एक मंच पर पहुंचे ओम प्रकाश चौटाला, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और बीरेंद्र सिंह, जानिए फिर क्या हुआ?

इनेलो के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस नेताओं से कई बार सवाल किया गया. 2 जनवरी को झज्जर में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा से जब ये सवाल किया गया तो उन्होंने इसे सिरे से नकार दिया था. दीपेंद्र हुड्डा ने कहा था कि जिस पार्टी का कोई वजूद नहीं है उसके साथ गठबंधन का सवाल ही नहीं उठता. कहा जाता है कि राजनीति में कोई भी स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता.

OP Chautala and Hooda meeting
नाश्ते के टबल पर ओपी चौटाला और भूपेंद्र हुड्डा.

इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) पिछले दो दशक से सत्ता से बाहर है. आखिरी बार 2000 से 2005 तक इनेलो से ओपी चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे. हरियाणा में मौजूदा समय में इनेलो के पास बहुत ज्यादा जनाधार नहीं है. 2019 के विधानसभा चुनाव में भी इनेलो के टिकट पर केवल ओपी चौटाला के बेटे अभय चौटाला ही विधायक बन पाये. बाकी सीटों पर उनके उम्मीदवारों को बुरी तरह हार मिली. लोकसभा की 10 सीटों पर भी इनेलो उम्मीदवार जीत नहीं पाये. 2019 के विधानसभा चुनाव में इनेलो को केवल 2.45 प्रतिशत वोट मिले.

हलांकि जिस तरह से हाल के दिनो में बेहद कम मार्जिन से हार जीत देखी गई है, उस हिसाब से इनेलो के कांग्रेस के साथ गठबंधन होने पर 2.45 प्रतिशत वोट से हरियाणा में भी नतीजा बदल सकता है. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक फीसदी से कम वोट से भी बीजेपी को सरकार गंवानी पड़ी और कांग्रेस सत्ता में आ गई. हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस को बीजेपी से केवल 0.90 प्रतिशत ज्यादा वोट मिला है.

OP Chautala and Hooda meeting
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के नतीजे.

रोहतक पहुंचे ओपी चौटाला से जब सवाल किया गया कि क्या 2024 में वो कांग्रेस के साथ आयेंगे. इस सवाल पर उन्होंने साफ कहा कि उनका किसी से भी बैर नहीं है और वो मौजूदा सरकार के खिलाफ हैं. उन्होंने 2024 में कांग्रेस के सरकार बनाने के दावे पर कहा कि मौजूदा सरकार का पतन तय है लेकिन कौन सरकार बनायेगा ये भविष्य के गर्भ में है. ओपी चौटाला ने जिस तरह से कांग्रेस के साथ आने से इनकार नहीं किया उससे यही कयास लगाये जा रहे हैं कि हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में दोनों दल साथ आ सकते हैं. चुनाव से पहले भी और चुनाव के बाद भी.

हरियाण में अभी बीजेपी और जननायक जनता पार्टी की गठबंधन सरकार है. जेजेपी पार्टी इनेलो से अलग होकर ओपी चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला ने ही बनाई है. इसको लेकर चौटाला घराने में काफी दिनों तक टकराव चलता रहा. इनेलो छोड़कर नई पार्टी बनाने के बाद से ही ओपी चौटाला के दोनों बेटों में तनातनी देखने को मिलती रही है. दोनो परिवार खुलकर एक दूसरे पर वार भी करते रहे हैं. ओपी चौटाला ने भी बेहद तल्ख लहजे में जेजेपी और सरकार की आलोचना की है. इसलिए राजनीतिक गलियारे में कांग्रेस के साथ इनेलो गठबंधन के कयास ज्यादा जोरों पर है.

ये भी पढ़ें- कांग्रेस इनेलो में होगा गठबंधन? दीपेंद्र हुड्डा ने दिया ये बड़ा बयान

Last Updated : Jan 16, 2023, 6:29 PM IST
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